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बिहार का हरित बजट पिछले साल की तुलना में 3.26 फीसदी हुआ कम

  • 19 Dec 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

16 दिसंबर, 2022 को बिहार का तीसरा वित्तीय वर्ष 2022-23 का हरित बजट शीतकालीन सत्र में पेश किया गया। पिछले वर्षों की तुलना में हरित बजट में 3.26 फीसदी की कमी आई है।

प्रमुख बिंदु

  • हरित बजट के अंतर्गत चिह्नित विभागों की योजनाओं और कार्यक्रमों पर बजट आवंटन में कमी आई है। वर्ष 2021-22 में बजट 79359 करोड़ रुपए था, जो 2022-23 में घटकर 79255 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि कार्यक्रमों का कुल बजट आवंटन भी 29337 करोड़ रुपए से कम होकर 28380 करोड़ रुपए हो गया।
  • गौरतलब है कि बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है, जो हरित बजट पेश करता रहा है। इससे विभागों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिये चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद मिलती है। इस बजट की मदद से पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बजटीय प्रावधानों का अध्ययन एवं आकलन किया जाता है।
  • राज्य सरकार जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए इस बजट पर फोकस कर रही है। बिहार देश के उन गिने-चुने राज्यों में से एक है, जो जलवायु परिवर्तन के हिसाब से कृषि को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
  • हरित बजट में स्कीम मदों में सर्वाधिक आवंटन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा किया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में इस विभाग में स्कीम मद का आवंटन 663 करोड़ रुपए में से हरित योजनाओं के लिये 655 करोड़ रुपए आरक्षित किया गया है। यह कुल स्कीम मद का 98.74 फीसदी है।
  • इस मामले में गन्ना उद्योग विभाग दूसरे स्थान पर है। विभाग में स्कीम मद का आवंटन 100 करोड़ रुपए था, जिसमें 98.70 करोड़ रुपए हरित योजनाओं के लिये आवंटित किये गए। वहीं, तीसरे स्थान पर लघु जल संसाधन है, जिसके स्कीम मद का कुल आवंटन 827 करोड़ रुपए में से हरित योजनाओं के लिये 796 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है।
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