मध्य प्रदेश
भोजशाला-कमाल मौला परिसर
- 25 Apr 2024
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चर्चा में क्यों?
उच्च न्यायालय के निर्देश पर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) मध्यकालीन भोजशाला परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है। ASI द्वारा इस अभ्यास पूरा करने के लिये अतिरिक्त आठ सप्ताह की मांग की गई है।
- भोजशाला परिसर मध्य प्रदेश के धार ज़िले में स्थित है।
मुख्य बिंदु:
- हिंदू ASI द्वारा संरक्षित 11वीं सदी के स्मारक भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमल मौला मस्जिद कहता है।
- 7 अप्रैल 2003 को ASI द्वारा की गई एक व्यवस्था के अनुसार, हिंदू मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं जबकि मुस्लिम शुक्रवार को परिसर में नमाज़ अदा करते हैं।
- उच्च न्यायालय ने 11 मार्च 2024 को ASI को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" करने का आदेश दिया था।
- ASI के अनुसार, वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करके परिसर और उसके परिधीय क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण जारी है। टीम पूरे स्मारक का विस्तृत दस्तावेज़ीकरण कर रही है।
- उत्खनन जो कि एक बहुत ही व्यवस्थित एवं धीमी प्रक्रिया है, प्रगति पर है। इसकी संरचनाओं के उजागर हिस्सों की प्रकृति को समझने के लिये अधिक समय की आवश्यकता होगी।
- स्मारक की बारीकी से जाँच करने पर यह पाया गया कि प्रवेश द्वार बरामदे में बाद में भराव संरचना की मूल विशेषताओं को छिपा रहा है और इसे हटाने का कार्य मूल संरचना को कोई नुकसान पहुँचाए बिना बहुत सावधानी से किया जाना है जो एक धीमी तथा समय लेने वाली प्रक्रिया है।
- ASI ने राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) से ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया है।
- NGRI की एक टीम और उनके वैज्ञानिक उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए नियमित रूप से पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहे थे।
नोट: राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) एक भूवैज्ञानिक अनुसंधान संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1961 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) के तहत की गई थी।
ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (GPR)
- ASI द्वारा भूमि में दबे पुरातात्त्विक विशेषताओं का 3-D मॉडल तैयार करने के लिये GPR तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
- उपसतह से परावर्तित संकेतों के समय और परिमाण को रिकॉर्ड करने के लिये GPR एक सरफेस एंटीना के माध्यम से एक संक्षिप्त रडार आवेग प्रसारित करता है।
- रडार किरणें एक शंकु की आकार में फैलती हैं, जिससे बनने वाले प्रतिबिंब प्रत्यक्ष तौर पर भौतिक आयामों के अनुरूप नहीं होते हैं।
- रडार किरणें एक शंकु में फैलती हैं, जिससे ऐसे प्रतिबिंब बनते हैं जो सीधे भौतिक आयामों के अनुरूप नहीं होते हैं, जिससे आभासी प्रतिबिंब बनती हैं।