पाटजात्रा के साथ बस्तर दशहरा शुरू | 09 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
08 अगस्त, 2021 को छत्तीसगढ़ में विश्व प्रसिद्ध 75 दिनी बस्तर दशहरा पर्व का शुभारंभ पाटजात्रा पूजा विधान के साथ हुआ।
प्रमुख बिंदु
- बस्तर में हर वर्ष की तरह इस साल भी दशहरे का शुभारंभ हरेली अमावस्या को पाटजात्रा की प्रथम रस्म से शुरू हुआ।
- पाटजात्रा बस्तर दशहरा की प्रथम महत्त्वपूर्ण रस्म है, जिसमें दंतेश्वरी मंदिर के समक्ष माचकोट के जंगल से लाई गई साल वृक्ष की लकड़ी (ठुरलू खोटला) की पारंपरिक रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।
- बस्तर दशहरा निर्माण की पहली लकड़ी को स्थानीय बोली में ठुरलू खोटला एवं टीका पाटा कहते हैं।
- बस्तर दशहरा की परंपरा के अनुसार, पाटजात्रा के लिये होने वाली पूजा में बस्तर महाराज की ओर से माझी-मुखिया पूजन सामग्री लेकर सिरहासार पहुँचते हैं और पाटजात्रा एवं अन्य पूजा विधान संपन्न कराते हैं।
- ध्यातव्य है कि बस्तर दशहरा की शुरुआत 1408 ई. में राजा पुरुषोत्तम देव ने शुरू की थी। उन्होंने जगन्नाथपुरी से वरदानस्वरूप मिले सोलह चक्कों के रथ का विभाजन करते हुए रथ के चार चक्कों को भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया था और शेष 12 पहियों का विशाल काष्ठ रथ माँ दंतेश्वरी को अर्पित कर दिया। तब से दशहरा में दंतेश्वरी के साथ राजा स्वयं भी रथारूढ़ होने लगे।