बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) | 18 Oct 2021
चर्चा में क्यों?
17 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के समीप आसना ग्राम में बस्तर के लोक नृत्य, स्थानीय बोलियाँ, साहित्य एवं शिल्पकला के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर बादल एकेडमी और इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के मध्य एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। इसके तहत इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय द्वारा बादल एकेडमी में लोक नृत्य और लोक संगीत के लिये साझा तौर पर कार्य किया जाएगा। विश्वविद्यालय द्वारा बादल एकेडमी को मान्यता प्रदान करते हुए अपने पाठ्यक्रमों से संबंधित विधाओं का संचालन किया जाएगा।
- बादल अकादमी में लाइब्रेरी, रिकॉर्ड़िग रूम, ओपन थिएटर, डांस गैलरी, चेंजिंग रूम, गार्डन एवं रेसिडेंशियल हाउस, पाथवे, एग्जीबिशन हॉल, कैफेटेरिया बनाए गए हैं।
- बादल एकेडमी के जरिये बस्तर की विभिन्न जनजातीय संस्कृतियों को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक हस्तांतरण करना, बाकी देश-दुनिया से इनका परिचय कराना, शासकीय कार्यों का सुचारू संपादन के लिये यहाँ के मैदानी कर्मचारी-अधिकारियों को स्थानीय बोली-भाषा का प्रशिक्षण देना आदि कार्य किया जाएगा।
- इस अकादमी में प्रमुख रूप से लोकगीत एवं लोक नृत्य प्रभाग, लोक साहित्य प्रभाग, भाषा प्रभाग और बस्तर शिल्प कला प्रभाग की स्थापना की गई है।
- लोक गीत एवं लोक नृत्य प्रभाग के तहत बस्तर के सभी लोक गीत, लोक नृत्य गीत का संकलन, ध्वन्यांकन, फिल्मांकन एवं प्रदर्शन का नई पीढ़ी को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें गंवर सिंग नाचा, डंडारी नाचा, धुरवा नाचा, परब नाचा, लेजागीत, मारीरसोना, जगार गीत आदि प्रमुख हैं।
- लोक साहित्य प्रभाग के तहत बस्तर के सभी समाजों के धार्मिक रीति-रिवाज, सामाजिक ताना-बाना, त्योहार, कविता, मुहावरा आदि का संकलन लिपिबद्ध कर जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया जाएगा।
- भाषा प्रभाग के तहत बस्तर की प्रसिद्ध बोली हल्बी, गोंडी, धुरवी और भतरी बोली का स्पीकिंग कोर्स तैयार कर लोगों को इन बोलियों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- इसी तरह बस्तर शिल्प कला प्रभाग के तहत बस्तर की शिल्प कलाओं में काष्ठकला, धातु कला, बाँसकला, जूटकला, तुंबा कला आदि का प्रदर्शन एवं निर्माण करने की कला सिखाई जाएगी।
- बादल एकेडमी में निर्मित तीन भवनों का नामकरण वीर शहीदों के नाम पर किया गया है। इनमें प्रशासनिक भवन का नाम शहीद झाड़ा सिरहा के नाम पर, आवासीय परिसर का नाम हल्बा जनजाति के शहीद गेंदसिंह के नाम पर और लायब्रेरी व अध्ययन भवन को धुरवा समाज के शहीद वीर गुंडाधुर के नाम पर किया गया है।
- इसके साथ ही यहाँ मुख्यमंत्री की मौज़ूदगी में थिंक-बी और आईआईएम रायपुर, आईआईआईटी रायपुर, हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साईंसेज के साथ एमओयू किया गया। उद्यमिता और स्वरोज़गार के इच्छुक बस्तर के युवाओं के स्टार्टअप्स को प्रमोट करने के साथ ही उन्हें इंक्यूबेट करने के लिये यह एमओयू किया गया।