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छत्तीसगढ़

बारनवापारा अभयारण्य को मिला नया स्वरूप

  • 09 Apr 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

8 अप्रैल, 2022 को छत्तीसगढ़ का सबसे उत्कृष्ट तथा आकर्षक अभयारण्य बारनवापारा का नए स्वरूप में कायाकल्प हुआ है। 

प्रमुख बिंदु

  • यह कायाकल्प वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य के अंतर्गत कैंपा (छत्तीसगढ़ प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) की वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 में स्वीकृत राशि से किया गया है।
  • इस वार्षिक कार्ययोजना के तहत 5 हज़ार 920 हेक्टेयर रकबे में सघन लेंटाना उन्मूलन तथा यूपोटोरियम उन्मूलन का कार्य हुआ है, जिसमें से बारनवापारा अभयारण्य के 19 कक्षों में कुल 950 हेक्टेयर रकबे में लेंटाना उन्मूलन का कार्य और 32 कक्षों में कुल 4 हज़ार 970 हेक्टेयर रकबे में यूपोटोरियम उन्मूलन का कार्य शामिल है।
  • राजधानी रायपुर से लगभग 100 किमी. की दूरी पर बलौदाबाजार वनमंडल अंतर्गत स्थित बारनवापारा अभयारण्य में हुए वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य से वहाँ मृदा में नमी होने के कारण घास प्रजाति शीघ्रता से बढ़ने लगी है। साथ ही इससे अभयारण्य में वन्यप्राणियों को अब घास चरने के लिये अच्छी सुविधा उपलब्ध हो गई है, जिससे वे लेंटाना तथा यूपोटोरियम के उन्मूलन कार्य के बाद स्वच्छंद विचरण भी करने लगे हैं। इससे पर्यटकों को वन्यप्राणियों की सहजता से दृष्टता हुई है और वन्यप्राणी भी स्वस्थ व तंदुरुस्त दिखाई देने लगे हैं। 
  • गौरतलब है कि बारनवापारा अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 244.86 वर्ग किमी. है, जिसमें मुख्यत: मिश्रित वन, साल वन व पूर्व के सागौन वृक्षारोपण हैं। बारनवापारा में मुख्य रूप से कर्रा, भिर्रा, सेन्हा मिश्रित वनों में पाए जाते हैं। सागौन वृक्षारोपण क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगे सागौन हैं तथा साल वन क्षेत्र कम रकबे में हैं।
  • उक्त छत्रक प्रजाति के अतिरिक्त शाकीय प्रजाति, जैसे- यूपोटोरियम, लेंटाना, चरोठा आदि प्रमुख खरपतवार हैं, जिनके कारण बारनवापारा अभयारण्य क्षेत्र में पाए जाने वाले शाकाहारी वन्यप्राणियों को घास नहीं मिलती, वन्यप्राणियों को आवागमन में भी दिक्कत होती है तथा माँसभक्षी प्राणियों से भी बचाव कठिन हो जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि बारनवापारा अभयारण्य में तेंदुए, गौर, भालू, साँभर, चीतल, नीलगाय, कोटरी, चौसिंघा, जंगली सूअर, जंगली कुत्ता, धारीदार लकड़बग्घा, लोमड़ी, भेड़िया एवं मूषक मृग जैसे वन्यप्राणी बहुतायत में मिलते हैं एवं आसानी से दिखते भी हैं।
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