बाणेश्वर मेला - 2025 | 12 Feb 2025

चर्चा में क्यों?

डूंगरपुर ज़िले के बेणेश्वर धाम पर बेणेश्वर मेले का 8 से 12 फरवरी 2025 तक आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु 

  • मेले के बारे में:
    •  यह मेला भीलों की समृद्ध आदिवासी संस्कृति को प्रदर्शित करता है और इसे "आदिवासियों का कुंभ मेला” कहा जाता है। 
    • बाणेश्वर मेला राजस्थान के डूंगरपुर ज़िले में आयोजित होने वाला एक विशाल आदिवासी मेला है। यह जनवरी या फरवरी के महीनों में आयोजित होने वाला एक वार्षिक उत्सव है, जो बाणेश्वर महादेव (भगवान शिव) को समर्पित है। 
    • इस पवित्र अवसर पर गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भील लोग यात्रा करते हुए आते हैं ताकि नदियों के (माही और सोम के) संगम पर डुबकी लगा सकें। 
  • इतिहास
    • यह मेला वास्तव में दो मेलों का संयोजन है - एक शिव मंदिर में और दूसरा विष्णु मंदिर में आयोजित किया जाता है।
    • बाणेश्वर नाम की उत्पत्ति डूंगरपुर के शिव मंदिर में स्थित शिव लिंग से हुई है। स्थानीय भाषा में, बाणेश्वर का अर्थ है 'डेल्टा का स्वामी'। यह मेला डेल्टा पर आयोजित किया जाता है, जो सोम और माही नदियों के संगम से बनता है। 
    • यह मेला 500 वर्ष पहले शुरू हुआ था जब मावजी की पत्नी जनकुंवरी ने अपने ससुर के लिये एक विष्णु मंदिर बनवाया था क्योंकि उनका मानना ​​था कि मावजी भगवान विष्णु के अवतार थे। 
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम व खेल: 
    • बेणेश्वर मेले के दौरान ज़िला प्रशासन, पर्यटन विभाग और जनजाति विकास विभाग की ओर से कई सांस्कृतिक व खेलकूद कार्यक्रम आयोजित किये गए, साथ ही पुरुष और महिला वर्ग की एथलेटिक्स, सितोलिया प्रतियोगिता आयोजित की गई। 
    • इसी प्रकार तीरंदाजी, वालीबॉल, रस्साकसी महिलाओं की मटका दौड़, भजन मंडली, साफा बाँधों प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। 

डूंगरपुर ज़िला 

  • डूंगरपुर ज़िले के संस्थापक डूंगरसिंह (1358) थेयह राजस्थान का तीसरा सबसे छोटा ज़िला है
  • सीमा साझा: यह चार जिलों उदयपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ व सलूंबर के साथ सीमा साझा करता है।
    • इसकी गुजरात से अंतर्राज्यीय सीमा लगती है।
  • दर्शनीय स्थल: डूंगरपुर में जूना महल, उदई बिलास पैलेस, गैब सागर झील और बादल महल प्रमुख ऐतिहासिक महत्त्व के स्थल हैं।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले डूँगरपुर तथा बॉसवाड़ा का क्षेत्र ‘वागड़’ कहलाता था।
  • यह राज्य में सर्वाधिक लिंगानुपात (994) वाला ज़िला है।
  • यह ज़िला चारों ओर से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
  • राज्य में अरब सागर मानसून की शाखा सर्वप्रथम डूँंगरपुर ज़िले में ही प्रवेश करती है।