बिहार
आयुष क्षेत्रीय समीक्षा बैठक
- 19 Feb 2024
- 8 min read
चर्चा में क्यों?
केन्द्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन तथा जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने बिहार के पटना में आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित छह राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड,मध्य प्रदेश, ओडिशा एवं उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक के दौरान वैश्विक स्तर पर समग्र स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
मुख्य बिंदु:
- आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत अपने संबंधित राज्य वार्षिक कार्य योजनाओं (एसएएपी) के माध्यम से उनके द्वारा प्रस्तावित विभिन्न गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के प्रयासों में सहयोग कर रहा है।
- NAM को ज़रूरतमंद जनता को सूचित विकल्प प्रदान करने के लिये आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को मज़बूत और बेहतर बनाकर पूरे देश में आयुष स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्रदान करने की कल्पना तथा उद्देश्यों के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है।
- आयुष मंत्रालय ने NAM के तहत सात राज्यों-बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को 1712.54 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
- इसने 58 एकीकृत आयुष अस्पतालों की स्थापना का भी समर्थन किया, जिनमें से 14 पहले से ही चालू हैं।
- नियोजित 12,500 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (AHWCs) में से 4235 को समर्थन दिया गया है, इन राज्यों में 3439 पहले से ही कार्यरत हैं।
- राज्यों से आयुष शिक्षण संस्थानों के निर्माण कार्य में जल्द-से-जल्द तेज़ी लाने और इसे क्रियाशील बनाने का आग्रह किया।
- राज्यों से स्वास्थ्य के समग्र दृष्टिकोण के लिए समुदाय को विभिन्न आयुष वस्तुएँ प्रदान करने के लिये NAM दिशा-निर्देशों में शामिल आयुष सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लागू करने पर ज़ोर देने की भी अपील की।
- राज्य सरकारों, विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ से भी अनुरोध किया गया है कि वे संभावित क्षेत्रों में व्यापक आधार पर लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के रुग्णता प्रबंधन और दिव्यांगता रोकथाम (MMDP) के लिये आयुष पर राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करें।
राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM)
- इस मिशन को सितंबर 2014 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आयुष विभाग द्वारा 12वीं योजना के दौरान राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से कार्यान्वयन के लिये शुरू किया गया था।
- वर्तमान में इसे आयुष मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है।
- इस योजना में भारतीयों के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये आयुष क्षेत्र का विस्तार शामिल है।
- यह मिशन देश में विशेष रूप से कमज़ोर और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में आयुष स्वास्थ्य सेवाएँ/शिक्षा प्रदान करने के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के प्रयासों का समर्थन कर स्वास्थ्य सेवाओं में अंतराल को संबोधित करता है।
हाथीपाँव (Lymphatic Filariasis)
- हाथीपाँव, जिसे आमतौर पर एलिफेंटियासिस (Elephantiasis) के रूप में जाना जाता है एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease- NTD) के रूप में माना जाता है। मानसिक स्वास्थ्य के बाद यह दूसरी सबसे अधिक अक्षम करने वाली बीमारी है।
- यह लसीका प्रणाली को नुकसान पहुँचा सकता है और शरीर के अंगों के असामान्य विस्तार को जन्म दे सकता है, जिससे दर्द, गंभीर विकलांगता तथा सामाजिक कलंक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- लसीका तंत्र वाहिकाओं और विशेष ऊतकों का एक नेटवर्क है जो समग्र द्रव संतुलन, अंगों एवं अंगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये आवश्यक है तथा महत्त्वपूर्ण रूप से शरीर की प्रतिरक्षा रक्षा प्रणाली का एक प्रमुख घटक है।
- हाथीपाँव एक वेक्टर जनित रोग है, जो फाइलेरियोइडिया (Filarioidea) कुल के नेमाटोड (राउंडवॉर्म) के रूप में वर्गीकृत परजीवियों के संक्रमण के कारण होता है। हाथीपाँव रोग का कारण धागेनुमा आकार के निम्नलिखित तीन प्रकार के फाइलेरियल परजीवी होते हैं-
- वुचेरेरिया बैनक्रोफ्टी (Wuchereria Bancrofti) हाथीपाँव के लगभग 90% मामलों के लिये उत्तरदायी होता है।
- ब्रुगिया मलाई (Brugia Malayi) अधिकाँश मामलों के लिये उत्तरदायी है।
- ब्रुगिया तिमोरी (Brugiya Timori) भी इस रोग का कारण है।
औषधीय उपचार:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हाथीपाँव के वैश्विक उन्मूलन में तेज़ी लाने के लिये तीन औषधीय उपचारों की सिफारिश करता है।
- उपचार, जिसे आईडीए (IDA) के रूप में जाना जाता है, में आइवरमेक्टिन (Ivermectin), डायथाइलकार्बामाज़िन साइट्रेट (Diethylcarbamazine Citrate) और एल्बेंडाज़ोल (Albendazole) का संयोजन शामिल है।
- इन औषधियों को लगातार दो वर्षों तक दिया जाता है। वयस्क कृमि का जीवनकाल लगभग चार वर्षों का होता है, इसलिये वह व्यक्ति को कोई नुकसान पहुँचाए बिना स्वाभाविक रूप से मर जाता है।
भारतीय परिदृश्य:
- हाथीपाँव भारत के लिये गंभीर खतरा है। 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अनुमानित 650 मिलियन भारतीयों को हाथीपाँव होने का खतरा है।
- विश्व में हाथीपाँव के 40% से अधिक मामले भारत में पाए जाते हैं।
- हाथीपाँव रोग के उन्मूलन की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2018 में ‘हाथीपाँव रोग के तीव्र उन्मूलन की कार्य-योजना’ (Accelerated Plan for Elimination of Lymphatic Filariasis- APELF) नामक पहल शुरू की थी।
- भारत ने इस रोग के उन्मूलन के लिये दोहरी रणनीति अपनाई है। इसके तहत हाथीपाँव निरोधक दो दवाओं (ईडीसी तथा एल्बेन्डाज़ोल- EDC and Albendazole) का प्रयोग, अंग विकृति प्रबंधन (Morbidity Management) और दिव्यांगता रोकथाम शामिल है।
- केंद्र सरकार दिसंबर 2019 से ट्रिपल ड्रग थेरेपी (Triple Drug Therapy) को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने के लिये प्रयासरत है।