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उत्तराखंड

उत्तराखंड में हिमस्खलन की चेतावनी

  • 21 Mar 2025
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

रक्षा भूसूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान ((DGRE) ने उत्तराखंड के पाँच ज़िलों के ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिये हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है।

मुख्य बिंदु

  • चमोली में हिमस्खलन::
  • हिमस्खलन चेतावनियाँ:
    • DGRE ने चमोली में ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिये ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जो हिमस्खलन के उच्च जोखिम का संकेत है।
    • उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग ज़िलों के लिए मध्यम जोखिम का संकेत देने वाला येलो अलर्ट जारी किया गया था।
    • बागेश्वर ज़िले के लिये कम खतरे के स्तर को दर्शाते हुए ग्रीन अलर्ट जारी किया गया। 
    • ताज़ा बर्फबारी के कारण ढलानों पर बर्फ का जमाव बढ़ गया है, जिससे इन क्षेत्रों में हिमस्खलन का खतरा काफी बढ़ गया है।
  • सुरक्षा अनुशंसाएँ:
    • DGRE ने घाटी में सुरक्षित और सावधानीपूर्वक चयनित मार्गों तक आवाजाही को सीमित रखने की सलाह दी। 
    • इसमें यात्रा करते समय अत्यधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया गया है तथा बर्फ से भरी ढलानों पर जाने के प्रति चेतावनी दी गई है।
    • प्राधिकारियों ने हिमस्खलन-प्रवण मार्गों के निकट स्थित असुरक्षित बस्तियों को खाली कराने की सिफारिश की।

रक्षा भूसूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (DGRE)

  • परिचय:
    • DGRE रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत एकमात्र ऐसा संस्थान है जो सशस्त्र बलों को उन्नत भू-आसूचना समाधान प्रदान करता है।
    • यह भारतीय हिमालय में भूस्खलन और हिमस्खलन के मानचित्रण, पूर्वानुमान, निगरानी, ​​नियंत्रण और शमन में विशेषज्ञता रखता है।
    • DGRE की स्थापना 15 नवंबर 2020 को DRDO के आर्मामेंट एंड कॉम्बैट इंजीनियरिंग क्लस्टर के तहत की गई थी।
    • इसका गठन DRDO की दो प्रमुख प्रयोगशालाओं को मिलाकर किया गया था:
      • हिम एवं हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (SASE), चंडीगढ़
      • रक्षा भू-भाग अनुसंधान प्रयोगशाला (DTRL), दिल्ली
    • DGRE का मुख्यालय चंडीगढ़ में स्थित है। 
  • अनुसंधान एवं मौसम विज्ञान केंद्र:
    • DGRE पाँच अनुसंधान एवं विकास केंद्र (RDCs) संचालित करता है :
      • मनाली (हिमाचल प्रदेश)
      • दिल्ली
      • तेजपुर (असम)
      • तवांग (अरुणाचल प्रदेश)
      • लाचुंग (सिक्किम)
    • इसके तीन पर्वतीय मौसम विज्ञान केंद्र (MMCs) भी हैं :
      • श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर)
      • औली (उत्तराखंड)
      • सासोमा (लद्दाख यूटी)
  • उद्देश्य:
    • चुनौतीपूर्ण इलाकों में सैनिकों की सुरक्षित गतिशीलता सुनिश्चित करना। 
    • आधुनिक मूल्यांकन तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न भूभागों की सैन्य क्षमता का आकलन करना। 
  • मिशन प्राथमिकताएँ:
    • भूस्थानिक सूचना प्रणाली - परिचालन योजना और सैन्य खुफिया जानकारी के लिये एक प्रणाली विकसित करना।
    • इंजीनियरिंग समाधान - विशेष रूप से हिमस्खलन और भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में सुरक्षित सैन्य आवाजाही सुनिश्चित करने के लिये  अत्याधुनिक इंजीनियरिंग समाधान प्रदान करना।
    • एआई-सक्षम प्रणालियाँ - अनुकूलित तैनाती और परिचालन दक्षता के लिये एआई-संचालित समाधान बनाएँ।

हिमस्खलन

  • परिचय:
    • हिमस्खलन किसी पहाड़ या ढलान से बर्फ और मलबे का अचानक, तेज़ी से नीचे आना है।
    • यह विभिन्न कारकों से उत्पन्न हो सकता है, जैसे भारी बर्फबारी, तापमान में तीव्र परिवर्तन, या मानवीय गतिविधियाँ।
    • हिमस्खलन की आशंका वाले कई क्षेत्रों में विशेष टीमें होती हैं जो विस्फोटकों, बर्फ अवरोधों और अन्य सुरक्षा उपायों जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग करके हिमस्खलन के जोखिम की निगरानी और नियंत्रण करती हैं।
  • प्रकार:
    • चट्टानी हिमस्खलन जिसमें टूटी हुई चट्टान के बड़े खंड शामिल होते हैं।
    • हिमस्खलन जो आमतौर पर ग्लेशियर के आसपास होता है।
    • मलबा - हिमस्खलन जिसमें विभिन्न प्रकार की असंगठित सामग्रियाँ होती हैं, जैसे ढीले पत्थर और मिट्टी।

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