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गुरुग्राम ज़िले में पानी की उपलब्धता में वृद्धि के लिये जीडब्ल्यूएस चैनल की बढ़ाई जाएगी क्षमता

  • 14 Nov 2022
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

12 नवंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में हुई सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की बैठक में बताया कि राज्य के गुरुग्राम ज़िले में जल आपूर्ति में वृद्धि के लिये गुड़गाँव वाटर सप्लाई चैनल (जीडब्ल्यूएस) की क्षमता में वृद्धि की जाएगी।

प्रमुख बिंदु 

  • गौरतलब है कि वर्तमान में गुरुग्राम में वाटर सप्लाई चैनल क्षमता 175 क्यूसेक है, जिसे वर्ष 2030 की जनसंख्या के अनुसार 1000 क्यूसेक बढ़ाया जाएगा। इसके लिये चैनल की मरम्मत और रिमॉडलिंग पर लगभग 1600 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
  • बैठक में बताया गया कि गुड़गाँव वाटर सप्लाई चैनल की लंबाई 69 किलोमीटर है, जो काकरोई हेड से दिल्ली ब्रांच के आरडी नंबर-227800 से निकलती है और बसई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर खत्म होती है।
  • इस चैनल का निर्माण वर्ष 1995 में किया गया था, जिसकी क्षमता 175 क्यूसेक थी। इस चैनल से बहादुरगढ़, गुरुग्राम और जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, एचएसआईआईडीसी एवं वन विभाग के 28 वाटर वर्क्स की पानी की ज़रूरतें पूरी होती हैं। 27 सालों से लगातार पानी के प्रवाह के कारण चैनल की लाइनिंग खराब हो गई है। कुछ-कुछ जगह चैनल में दरारें भी आ चुकी हैं और गाद भरने की वजह से पानी की क्षमता में कमी आई है तथा इस चैनल की क्षमता 100 क्यूसेक तक पहुँच चुकी है, जिसे मरम्मत की सख्त आवश्यकता है।
  • बैठक में बताया गया कि विभिन्न विभागों द्वारा भी पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये इस चैनल से पानी लिया जाता है। इससे यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि वर्ष 2040 तक गुरुग्राम शहर व कस्बों में पीने के पानी की आवश्यकता लगभग 475 क्यूसेक तक पहुँच जाएगी। इस मांग को पूरा करने और पानी की बर्बादी से बचाने के लिये क्यूसेक क्षमता बढ़ाने के साथ ही जीडब्ल्यूएस चैनल की रिमॉडलिंग का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।
  • वर्तमान में 1050 क्यूसेक पानी दिल्ली को, 400 क्यूसेक पानी गुरुग्राम को दिया जा रहा है तथा शेष पानी का उपयोग सिंचाई के लिये किया जा रहा है। इन चैनलों की मरम्मत, रिमॉडलिंग होने से कुल क्षमता 2300 क्यूसेक हो जाएगी, जो वर्ष 2030 तक पानी की उपलब्धता को पूरा कर सकेगी।
  • बैठक में बताया गया कि वर्ष 2030 तक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, गुरुग्राम महानगरीय विकास प्राधिकरण, जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, एचएसआईआईडीसी, वन विभाग इत्यादि की पानी की ज़रूरतों के हिसाब से 1068 क्यूसेक की आवश्यकता पड़ेगी। इसी प्रकार, वर्ष 2040 तक 1269 क्यूसेक तथा वर्ष 2050 तक 1504 क्यूसेक पानी की आवश्यकता होगी। इसके लिये दिल्ली ब्रांच की भी पुन: डिज़ाइन और रिमॉडलिंग की ज़रूरत पड़ेगी।
  • पानी की आपूर्ति के संबंध में बैठक में बताया गया कि यमुना नदी पर रेणूका, किशाऊ और लखवाड़ बांध बनाए जाने प्रस्तावित हैं, जिनका कार्य 2031 तक पूरा होना संभावित है। इन बांधों के बनने से हरियाणा को अपने हिस्से का 1150 क्यूसेक पानी मिलेगा।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि पानी के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये आगामी वर्षों में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित कॉलोनियों, एचएसआईआईडीसी द्वारा विकसित इंडस्ट्रियल एस्टेट और निजी डेवलपर द्वारा विकसित कॉलोनियों में भी उपचारित अपशिष्ट जल नीति को पूरी तरह से लागू करना होगा, जिसके तहत डबल पाईपलाइन साफ पानी के लिये अलग और उपचारित पानी के लिये अलग लाईन बिछाना तथा माइक्रो एसटीपी स्थापित करने पर ज़ोर देना होगा और इसके अलावा बारिश के पानी को एकत्र करने की प्रणाली को भी लागू करने पर बल देना होगा।
  • मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि गंगा नदी के पानी को हरियाणा में लाने की दिशा में कदम उठाने चाहिये, जिसके लिये गंगा-यमुना लिंक नहर बनाने हेतु जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा जाए। इस लिंक नहर के बनने से हरियाणा को पानी की अतिरिक्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
  • उन्होंने फरीदाबाद महानगरीय प्राधिकरण के अधिकारियों को भी निर्देश देते हुए कहा कि फरीदाबाद में भी पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिये रैनीवेल परियोजना के माध्यम से जल संचयन पर ज़ोर दिया जाए। इसके अलावा, एक एक्सपर्ट कमेटी का भी गठन किया जाए, जो यमुना में अंडरग्राउंड फ्लो से संबंधित अध्ययन करेगी और इसके अलावा यह भी आकलन करेगी कि दक्षिण हरियाणा में पानी की कितनी ज़रूरत है और वर्तमान में कितनी आपूर्ति हो रही है।        
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