उत्तराखंड
प्रदेश में पाँच महीने में 12 बाघ-बाघिनों की मौत
- 07 Jun 2023
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चर्चा में क्यों?
5 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार देशभर में बाघों के संरक्षण के तहत किये जा रहे प्रयासों के बीच उत्तराखंड में लगातार बाघों की मौत हो रही है। यहाँ बीते पाँच महीनों में 12 बाघ-बाघिनों की मौत हो चुकी है।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में इस साल अभी तक 12 बाघों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा मौतें सेंट्रल तराई क्षेत्र में हुई हैं। ज्यादातर मौतें आपसी संघर्ष या किसी दुर्घटना में हुई हैं। मुख्य वन संरक्षक कुमाऊँ को विस्तृत जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
- विदित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष अप्रैल में देश में बाघ गणना-2022 के आँकड़े जारी किये थे। उसमें पिछले चार वर्षों मेंबाघों की संख्या में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई गई है। देशभर में बाघों की संख्या करीब 3167 बताई गई है।
- वर्ष 2018 की गणना के अनुसार उत्तराखंड में बाघों की संख्या 442 है। अभी राज्यवार आँकड़े जारी नहीं किये गए हैं, लेकिन उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी इन्हीं आँकड़ों के आधार पर प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना जता रहे हैं। इसके उलट जिस तेजी से बाघों की मौत हो रही है, उससे तस्वीर का रंग धुंधला भी हो सकता है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से जारी आँकड़ों के अनुसार, देशभर में इस साल बीते पाँच महीनों में कुल 76 बाघों की मौत हुई है। इनमें 12 बाघ केवल उत्तराखंड में मारे गए। उत्तराखंड में इस साल बाघ की पहली मौत का मामला जनवरी में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सामने आया था। उसके बाद फरवरी में तीन बाघ नैनीताल और रामनगर में मृत पाए गए। फिर मार्च में दो बाघ चकराता रेंज हल्द्वानी और रामनगर डिविजन में मारे गए।
- अप्रैल में कॉर्बेट की ढेला रेंज में एक बाघ मृत पाया गया। मई में दो बाघ कालागढ़ डिविजन और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मारे गए, जबकि तीन बाघों की मौत का आँकड़ा अभी तक वेबसाइट पर अपडेट नहीं किया गया है। बाघों की मौत के कारण अलग-अलग हैं। वर्ष 2022 में 12 महीने में नौ बाघों की मौत दर्ज की गई थी।
- गौरतलब है कि वर्ष 2001 से मई 2023 तक उत्तराखंड में मृत बाघों की संख्या 181 है।