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ASI अपनी सूची से 18 'अप्राप्य' स्मारकों को हटाएगा

  • 02 Apr 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने 18 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की एक सूची जारी की है, जिन्हें वह सूची से हटाना चाहता है क्योंकि उनका अब राष्ट्रीय महत्त्व नहीं रह गया है।

मुख्य बिंदु:

  • सूची से हटने वाले स्मारकों में शामिल हैं:
    • हरियाणा के मुजेसर गाँव में कोस मीनार नंबर 13
    • दिल्ली में बाराखंबा कब्रिस्तान
    • झाँसी के रंगून में गनर बर्किल का मकबरा
    • लखनऊ में गऊघाट पर कब्रिस्तान
    • तेलिया नाला बौद्ध खंडहर, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक निर्जन गाँव का हिस्सा है।
  • स्मारकों को सूचीबद्ध करने से प्रभावी रूप से इसका अर्थ है कि केंद्रीय एजेंसी पर उनकी सुरक्षा करने का कोई दायित्व नहीं होगा और क्षेत्र में निर्माण एवं शहरीकरण से संबंधित गतिविधियाँ नियमित तरीके से की जा सकेंगी।
  • एक आधिकारिक गजट अधिसूचना के अनुसार, ASI ने 18 स्मारकों को सूची से हटाने के लिये प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्त्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR अधिनियम) की धारा 35 लागू की है।
  • वर्ष 2023 में संस्कृति मंत्रालय ने संसद को बताया था कि भारत के 3,693 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों में से 50 गायब हो गए हैं।
    • यह प्रस्तुतिकरण परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति को सौंपी गई 'भारत में अप्राप्य स्मारकों तथा स्मारकों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के हिस्से के रूप में किया गया था।
    • गायब स्मारकों में उत्तर प्रदेश के 11, साथ ही दिल्ली और हरियाणा के दो-दो स्मारक शामिल हैं। इसमें असम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के स्मारक भी शामिल हैं।
  • ASI के अनुसार, जो संस्कृति मंत्रालय के अधीन है, इन 50 स्मारकों में से 14 तेज़ी से शहरीकरण के कारण नष्ट हो गए, 12 जलाशयों या बाँधों के कारण डूब गए और 24 का पता नहीं चल पाया है।
    • 18 स्मारकों को सूची से हटाने का कदम संसदीय पैनल द्वारा यह देखे जाने के बाद आया है कि एएसआई संरक्षित स्थलों की सूची में बड़ी संख्या में छोटे स्मारक शामिल हैं और इसकी सिफारिश की गई थी की इसे उनके राष्ट्रीय महत्त्व, अद्वितीय वास्तुशिल्प मूल्य तथा विशिष्ट विरासत सामग्री के आधार पर तर्कसंगत एवं वर्गीकृत किया जाना चाहिये।

प्राचीन स्मारक तथा पुरातात्त्विक स्थल और अवशेष अधिनियम (AMASR अधिनियम), 1958

  • यह निम्नलिखित के लिये ऐतिहासिक कानूनों में से एक है-
    • प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों तथा पुरातात्त्विक स्थलों एवंर राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों (100 वर्ष से अधिक पुराने) का संरक्षण।
    • पुरातात्त्विक उत्खनन का विनियमन और
    • मूर्तियों, नक्काशी और अन्य समान वस्तुओं का संरक्षण।
  • ASI इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्य करता है।
  • भारत में ASI के संरक्षण में कुल 3,693 केंद्रीय संरक्षित स्मारक या स्थल हैं।
  • ASI अधिकारियों द्वारा स्मारकों की वर्तमान स्थिति का आकलन करने हेतु नियमित रूप से उनका निरीक्षण किया जाता है और आवश्यकता के अनुसार आवश्यक संरक्षण कार्य किये जाते हैं।
  • धारा 35: यदि केंद्र सरकार की राय है कि इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित कोई भी प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक या पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष राष्ट्रीय महत्त्व का नहीं रह गया है, तो वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, घोषित करें कि प्राचीन व ऐतिहासिक स्मारक या पुरातात्त्विक स्थल तथा अवशेष, जैसा भी मामला हो, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये राष्ट्रीय महत्त्व के नहीं रह गए हैं।

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