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झारखंड

राँची के ब्रह्म मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने पर दोबारा निर्णय ले एएसआई : झारखंड हाईकोर्ट

  • 07 Sep 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • 5 सितंबर, 2023 को राँची के ऐतिहासिक टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर के संरक्षण व राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि टैगोर हिल के ब्रह्म मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के संबंध में भारतीय पुरातत्त्व विभाग (एएसआई) तीन माह के अंदर फिर से निर्णय ले।

प्रमुख बिंदु

  • चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को कई निर्देश देते हुए जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया। इससे पहले 31 जुलाई को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  • राज्य सरकार को टैगोर हिल क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का निर्देश देते हुए खंडपीठ ने कहा कि भूमि सुधार व राजस्व विभाग एक समिति बनाएगा, जो टैगोर हिल की चहारदीवारी की माप कराएगी। यह माप ओरिजनल राजस्व रिकॉर्ड के अनुरूप कराई जाए। इसके बाद टैगोर हिल की चहारदीवारी को उसके मूल स्वरूप में लाया जाए। सर्वे के लिये बनाई जानेवाली समिति में राँची के उपायुक्त द्वारा मनोनीत सदस्य रहेंगे।
  • खंडपीठ ने राज्य सरकार को टैगोर हिल के ब्रह्म मंदिर, कुसुम ताल, शांति धाम व समाधि स्थल का संरक्षण तथा रख-रखाव करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि टैगोर हिल क्षेत्र को सुंदर बनाया जाए तथा पूरे क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाए।
  • इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने पैरवी की। वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पक्ष रखा था।
  • उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सोसाइटी ऑफ प्रिजर्वेशन ऑफ ट्राइबल कल्चर एंड नेचुरल ब्यूटी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। प्रार्थी ने ब्रह्म मंदिर के संरक्षण के साथ-साथ इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की थी।
  • मामला याचिकाकर्त्ता ने कहा है कि मोरहाबादी में टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर 1910 में बना था। इसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर ने बनवाया था। वह नाटककार, चित्रकार और संगीतकार थे। ब्रह्म मंदिर के संरक्षण के साथ-साथ केंद्र सरकार के भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की ओर से इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।

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