अश्वगंधा | 18 Apr 2024

चर्चा में क्यों?

अश्वगंधा की लोकप्रियता भारत और विदेश दोनों में बढ़ रही है। यह एक सदाबहार झाड़ी है जो भारत, अफ्रीका और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।

मुख्य बिंदु:

  • अश्वगंधा (Withania somnifera) एक औषधीय जड़ी बूटी है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधि के रूप में प्रतिष्ठित है।
  • इसे एडाप्टोजेन के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर में तनाव को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।
  • अश्वगंधा मस्तिष्क की कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है और रक्त शर्करा को कम करता है, साथ ही चिंता तथा अवसाद के लक्षणों से लड़ने में मदद करता है।
  • अश्वगंधा ने तीव्र और दीर्घकालिक रुमेटाइड आर्थराइटिस यानी संधिशोथ/गठिया जो व्यक्ति के जोड़ों में विकृति व विकलांगता पैदा करती है, दोनों के उपचार में नैदानिक सफलता दिखाई है।
    • रुमेटीइड गठिया (RA) एक ऑटोइम्यून रोग है जो आपके पूरे शरीर में जोड़ों के दर्द और क्षति का कारण बन सकती है।
    • ऑटोइम्यून रोग एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अचेतन अवस्था में शरीर को प्रभावित करती है।
  • अपने विशाल जैव यौगिकों के साथ सख्त और सूखा प्रतिरोधी प्रजाति होने के कारण, इसके उपयोग को हमेशा महत्त्व दिया जाता है तथा भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से मध्य प्रदेश में, इसका एकाधिकार बना हुआ है।
    • यह उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में शुष्क भागों में उगता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश देश के प्रमुख अश्वगंधा उत्पादक राज्य हैं।
    • मध्य प्रदेश में इसकी कृषि 5000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में की जाती है।
  • भारत में अश्वगंधा जड़ों का अनुमानित उत्पादन 1500 टन से अधिक है और वार्षिक आवश्यकता लगभग 7000 टन है, जिससे इसकी कृषि में वृद्धि तथा अधिक उत्पादन की आवश्यकता है।