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बिहार में अशोक शिलालेख व दो अन्य स्थल एएसआई अधिसूचना के लिये विचाराधीन

  • 20 Sep 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने कहा कि बिहार के दो स्मारक- अशोक शिलालेख और दो प्राचीन टीले वर्तमान में केंद्र-संरक्षित स्मारकों की स्थिति के अनुसार विचाराधीन हैं, जिन पर जल्द फैसला लिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पटना सर्किल ने पिछले 14 वर्षों की अवधि में इन सिफारिशों को अधिसूचना के लिये भेजा था।
  • अशोक शिलालेख स्थल रोहतास ज़िले में है और इसकी एएसआई अधिसूचना के लिये सिफारिश 2008 में भेजी गई थी, इसके बाद 2010 और 2021 में सिफारिशों के साथ-साथ बिहार में दो प्राचीन टीलों को केंद्र-संरक्षित स्मारकों के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
  • भागलपुर ज़िले में विक्रमशिला स्थल के पास जंगलिस्तान क्षेत्र में एक टीले के लिये सिफारिश 2010 में भेजी गई थीं। बिहार के एक अलग हिस्से में रानीवास टीले की सूची के लिये इसे 2021 में भेजा गया था।
  • वर्तमान में बिहार में 70 साइट एएसआई के पास हैं, जो इसके पटना सर्किल के तहत काम करती है। यह भारत के सबसे पुराने क्षेत्रीय सर्किलों में से एक है।
  • दिल्ली में एएसआई मुख्यालय के सूत्रों ने कहा कि पटना सर्किल द्वारा भेजी गई ये सिफारिशें प्रक्रिया के तहत हैं। अंतिम निर्णय लेने से पहले क्षेत्रीय सर्किलों द्वारा सावधानीपूर्वक दस्तावेज़ों के रूप में भेजे गए प्रस्तावों या सिफारिशों की एएसआई मुख्यालय में एक टीम द्वारा जाँच की जाती है। सबसे पहले एक अनंतिम अधिसूचना जारी होती है और फिर एक अंतिम राजपत्रित अधिसूचना जारी की जाती है।
  • गौरतलब है कि एएसआई द्वारा संरक्षित भारत में कुल 3,693 विरासत स्थल हैं। इनमें से कई यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जैसे- आगरा का ताजमहल, दिल्ली का लाल किला, कुतुबमीनार और हुमायूँ का मकबरा तथा बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर।
  • अधिकारियों ने कहा कि गया में शिव मंदिर को 1996 में एएसआई द्वारा अधिसूचित किया गया था, तब से बिहार में कोई भी नया स्थल एएसआई के दायरे में नहीं लाया गया है।
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