अरावली ग्रीन वाल परियोजना का शुभारंभ | 27 Mar 2023
चर्चा में क्यों?
25 मार्च, 2023 को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले के टिकली गाँव में अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में ‘अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट’ का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट का उद्देश्य पाँच राज्यों में फैली अरावली पर्वत श्रृंखला के लगभग 5 किमी. के बफर क्षेत्र को हरित बनाना है।
- कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने वानिकी के माध्यम से मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण का मुकाबला करने के लिये एक कार्ययोजना और भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा कृषि वानिकी पर प्रकाशित एफएक्यू का अनावरण किया।
- अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के तहत वनरोपण, पुन: वनीकरण और जल स्रोतों की बहाली के माध्यम से न सिर्फ अरावली के हरित क्षेत्र और जैव विविधता में बढ़ोतरी होगी, बल्कि क्षेत्र की मिट्टी की उर्वरता, पानी की उपलब्धता और जलवायु में भी सुधार होगा।
- यह परियोजना स्थानीय समुदायों को रोज़गार के अवसर, आय सृजन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करके लाभान्वित करेगी।
- हरियाणा में अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के शुरुआती चरण में, परियोजना के तहत 75 जल स्रोतों का कायाकल्प किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 25 मार्च को अरावली परिदृश्य के प्रत्येक ज़िले में पाँच जल स्रोतों से हुई ।
- परियोजना में अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान और जल संसाधनों का संरक्षण भी शामिल होगा। यह परियोजना गुरुग्राम, फरीदाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी ज़िलों में बंजर भूमि को शामिल करेगी।
- स्वैच्छिक संगठन, सोसाइटी फॉर जियोइन्फॉर्मेटिक्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट और एनजीओ, आईएमगुरुग्राम क्रमश: बंधवाड़ी और घाटबंध में जल स्रोतों के पुनरुद्धार के लिये श्रमदान के उद्देश्य से लोगों को जुटाने के काम में लगे हुए हैं।
- उल्लेखनीय है कि अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट केंद्रीय वन मंत्रालय के भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिये देश भर में ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने के विजन का हिस्सा है। इस परियोजना में हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली राज्य शामिल हैं जहाँ 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर अरावली की पहाड़ियाँ फैली हैं।
- इस परियोजना में तालाबों, झीलों और नदियों जैसे सतही जल स्रोतों के कायाकल्प और पुनर्स्थापन के साथ-साथ झाड़ियों, बंजर भूमि और खराब वन भूमि पर पेड़ों और झाड़ियों की मूल प्रजातियों को लगाना शामिल होगा।
- यह परियोजना स्थानीय समुदायों की आजीविका बढ़ाने के लिये कृषि वानिकी और चरागाह विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।
- अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- अरावली रेंज के पारिस्थितिकी सेहत में सुधार।
- थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने और हरित बाधाओं को बनाकर भूमि क्षरण को कम करना, जो मिट्टी के कटाव, मरुस्थलीकरण और धूल भरी आंधियों को रोकेंगे।
- यह हरित दीवार अरावली क्षेत्र में देशी वृक्ष प्रजातियों को लगाकर, वन्यजीवों के लिये आवास प्रदान करके तथा पानी की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करके अरावली रेंज की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने के लिये कार्बन पृथक्करण और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करेगी।
- वनीकरण, कृषि-वानिकी और जल संरक्षण गतिविधियों से स्थानीय समुदायों को जोड़कर सतत् विकास और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना जिससे आय, रोज़गार, खाद्य सुरक्षा और सामाजिक लाभ सामने आएंगे।
- इस परियोजना को केंद्र और राज्य सरकारों, वन विभागों, अनुसंधान संस्थानों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं और स्थानीय समुदायों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा निष्पादित किया जाएगा। परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त वित्तपोषण, तकनीकी कौशल, नीति समन्वय और जन-जागरूकता आदि पर काम किया जाएगा।
- यूएनसीसीडी (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू काम्बैट डायवर्सिफिकेशन), सीबीडी (कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी) और यूएनएफसीसीसी (यूनाइटेशन नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज) जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के लिये योगदान करना।
- पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास में वैश्विक लीडर के रूप में भारत की छवि को आगे बढ़ाना।