झारखंड में बच्चे को गोद लेने के लिये सिविल सर्जन से लेनी होगी मंज़ूरी | 03 Jan 2023
चर्चा में क्यों?
1 जनवरी, 2023 को झारखंड बालगृह एवं दत्तक ग्रहण संस्था करुणा एनएमओ से मिली जानकारी के अनुसार राज्य दत्तक ग्रहण नियमावली-2022 के नियम-37 के अनुसार, ज़िला अस्पताल प्रबंधन की ओर से प्रमाण-पत्र निर्गत करना अनिवार्य किया गया है, जिसमे अब बच्चे को गोद लेने के लिये सामाजिक संस्था और लोगों को सिविल सर्जन से अनुमति लेनी होगी।
प्रमुख बिंदु
- नियम के अनुसार, अगर किसी परिचित, नर्सिंग होम, अस्पताल या किसी एनजीओ से बच्चे की सूचना मिलती है, तो उसके आधार पर आप बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं। इसके तहत सिविल सर्जन द्वारा बनाया गया मेडिकल बोर्ड पहले बच्चे को देख-समझकर उसका भौतिक सत्यापन (फिजिकल टेस्ट) करेगा कि बच्चा सामान्य कैटेगरी का है या फिर विशेष।
- गौरतलब है कि राज्य की बालगृह एवं दत्तक ग्रहण संस्था करुणा एनएमओ ने सिविल सर्जन कार्यालय को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश के अनुरूप प्रमाणपत्र निर्गत करने का आग्रह किया है। ऐसे में कोई भी परिवार अगर किसी बच्चे को गोद लेना चाहता है, तो उन्हें इस प्रक्रिया से गुजरना होगा। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) ने 11 अक्तूबर, 2022 को इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया था।
- यह संस्था मुख्य रूप से अनाथ, छोड़ दिये गए और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चों को गोद दिलाने के लिये काम करती है।
- ज्ञातव्य है कि वर्तमान में देश में लगभग तीन करोड़ 10 लाख अनाथ बच्चे हैं, लेकिन जटिल कानूनी प्रक्रिया के कारण पिछले पाँच सालों में सिर्फ 16,353 बच्चों को ही गोद लिया जा सका है।