मध्य प्रदेश क्षमता निर्माण नीति-2023 का अनुमोदन | 13 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
12 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रि-परिषद की बैठक में मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के शासकीय सेवकों की क्षमता निर्माण के लिये ‘मध्यप्रदेश क्षमता निर्माण नीति-2023’ का अनुमोदन किया। यह नीति राज्य की वर्तमान प्रशिक्षण नीति-2001 का स्थान लेगी।
प्रमुख बिंदु
- राज्य की नवीन क्षमता निर्माण नीति-2023 भारत सरकार द्वारा लागू ‘मिशन कर्मयोगी’ की अवधारणा एवं विशेषताओं को सम्मिलित करते हुए और क्षमता विकास आयोग के सदस्य से परामर्श प्राप्त करते हुए तैयार की गई है।
- मध्य प्रदेश भारत के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है, जहाँ ‘मिशन कर्मयोगी’की अवधारणा के अनुरूप प्रदेश की क्षमता निर्माण नीति को तैयार कर उसे लागू करने का निर्णय लिया गया है।
- विदित है कि भारत सरकार की राष्ट्रीय प्रशिक्षण नीति वर्ष 1996 के संदर्भ में राज्य की वर्तमान प्रशिक्षण नीति को 11 जुलाई, 2001 को लागू किया गया था। भारत सरकार की वर्तमान राष्ट्रीय प्रशिक्षण नीति 19 जनवरी, 2012 को लागू की गई, लेकिन राज्य की प्रशिक्षण नीति में अभी तक कोई परिवर्तन नहीं किया गया था।
- प्रदेश की वर्तमान प्रशिक्षण नीति लगभग 22 वर्ष पुरानी हो चुकी है, जबकि शासकीय सेवकों के भर्ती के तरीके, सूचना प्रौद्योगिकी का शासकीय कार्यों में उपयोग, विभिन्न कानूनों में परिवर्तन इत्यादि कारणों से नवीन प्रशिक्षण नीति की आवश्यकता महसूस की गई।
- नवीन नीति में प्रदेश के समस्त शासकीय सेवकों, जिनमें संविदा कर्मी भी शामिल हैं, के संपूर्ण क्षमता निर्माण के लिये प्रशिक्षण और अन्य गतिविधियाँ की जाएंगी, जिससे शासकीय सेवक गुणवत्तापूर्ण नागरिक सेवा प्रदान करने के लिये संवेदनशील, कर्त्तव्यनिष्ठ, तत्पर, ईमानदार हों तथा आधुनिक तकनीक कौशल से युक्त होकर कार्य कर सकें।
- इस नीति में शासकीय सेवा के प्रत्येक संवर्ग के लिये संपूर्ण सेवाकाल की क्षमता विकास योजना तैयार की जाएगी। योजना के आधार पर शासकीय सेवक निश्चित अंतराल पर आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य होगा और उसे पदोन्नति से जोड़ा गया है। नीति में कर्त्तव्यनिष्ठ शासकीय सेवकों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान है।
- नीति के अनुसार प्रत्येक विभाग में क्षमता निर्माण इकाई का गठन किया जाना है, जो प्रत्येक पद के उत्तरदायित्व, कार्य और इसके लिये आवश्यक क्षमताओं का निर्धारण कर उसके अनुसार प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगी।
- इसमें बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण की आवश्यकता को देखते हुए 70 प्रतिशत प्रशिक्षण ऑनलाइन, 20 प्रशिक्षण कार्य-स्थल पर और 10 प्रतिशत प्रशिक्षण किसी प्रशिक्षण संस्थान में किया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद शासकीय सेवक की कार्य-क्षमता में हुए परिवर्तन का आकलन भी किया जाएगा।
- नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिये सर्वोच्च स्तर पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य प्रशिक्षण परिषद गठित होगी, जिसमें मंत्रीगण और वरिष्ठ अधिकारी होंगे। परिषद के सदस्य सचिव महानिदेशक प्रशासन अकादमी होंगे। इसके अलावा एक कार्यपालक समिति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित होगी, जिसमें प्रमुख विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सदस्य तथा संचालक प्रशासन अकादमी सदस्य सचिव होंगे।
- नवीन नीति में राज्य के बजट में ‘मिशन कर्मयोगी’नाम से एक नवीन मद बनाया जाएगा, जिसमें प्रत्येक शासकीय विभाग को उसके वेतन मद की एक प्रतिशत राशि प्रतिवर्ष उपलब्ध कराई जाएगी।
- मिशन कर्मयोगी को लागू करने के लिये आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसके लिये प्रशासन अकादमी को राज्य के बजट से प्रतिवर्ष 10 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।