उत्तराखंड में बुनियादी ढाँचे के विकास को स्वीकृति | 20 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) ने शैक्षिक बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये उत्तराखंड सरकार को 101.27 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
मुख्य बिंदु:
- शैक्षणिक संस्थान 1,05,818 लाख आबादी की ज़रूरतों को पूरा करेंगे, जिनमें से 25% से अधिक अल्पसंख्यक समुदायों से हैं।
- छात्रों की संपूर्ण शैक्षिक यात्रा के दौरान समावेशी और समग्र बुनियादी ढाँचे के महत्त्व को स्वीकार करते हुए, MoMA ने कॉलेजों में शैक्षिक बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये इन परियोजनाओं को स्वीकृति दे दी है।
- ये सुविधाएँ उच्च शिक्षा के महत्त्व को दर्शाती हैं, जिससे विश्लेषणात्मक मानसिकता, कौशल विकास, कैरियर उन्नति आदि के विकास में उच्च शिक्षा का योगदान होता है, जिससे राज्य के युवाओं का शैक्षणिक और व्यावसायिक विकास होता है।
अल्पसंख्यकों के लिये संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 29:
- इसमें प्रावधान है कि भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग की अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति हो, उसे उसको संरक्षित करने का अधिकार होगा।
- यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ भाषाई अल्पसंख्यकों दोनों को सुरक्षा प्रदान करता है।
- हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि इस अनुच्छेद का दायरा आवश्यक रूप से केवल अल्पसंख्यकों तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि अनुच्छेद में 'नागरिकों का वर्ग' शब्द के उपयोग में अल्पसंख्यकों के साथ-साथ बहुसंख्यक भी शामिल हैं।
- अनुच्छेद 30:
- सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार होगा।
- अनुच्छेद 30 के तहत सुरक्षा केवल अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषाई) तक ही सीमित है और नागरिकों के किसी भी वर्ग तक विस्तारित नहीं है (अनुच्छेद 29 के तहत)।
- अनुच्छेद 350-B:
- 7वें संवैधानिक (संशोधन) अधिनियम 1956 में इस अनुच्छेद को शामिल किया गया जो भारत के राष्ट्रपति द्वारा भाषाई अल्पसंख्यकों के लिये नियुक्त एक विशेष अधिकारी का प्रावधान करता है।
- संविधान के तहत भाषाई अल्पसंख्यकों के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच करना विशेष अधिकारी का कर्त्तव्य होगा।