राज-सिलिकोसिस पोर्टल में AI आधारित चेस्ट x-ray ऐप्लीकेशन का शुभारंभ | 10 Oct 2023
चर्चा में क्यों?
6 अक्तूबर, 2023 को राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि सिलिकोसिस पहचान एवं सिलिकोसिस प्रमाणीकरण प्रक्रिया को अधिक सुगम, सरल एवं तकनीकी आधारित बनाने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस Al Tools/Application विकसित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- डॉ. समित शर्मा ने बताया कि राज सिलिकोसिस पोर्टल पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित Application विकसित की गई है, जिसे नवीन सिलिकोसिस पोर्टल पर सिलिकोसिस प्रमाणीकरण प्रक्रिया में रेडियोलॉजिस्ट स्तर/ M.O. (Medical Officer) स्तर तथा ज़िला न्यूमोकोनियोसिस बोर्ड के स्तर पर उपयोग करने हेतु क्रियाशील कर दिया गया है।
- इसका उद्घाटन अभी हाल ही में, राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली द्वारा किया गया है।
- AI आधारित ऐप्लीकेशन के फायदे
- एआई-सक्षम सिलिकोसिस स्क्रीनिंग सिस्टम समाज के सबसे कमज़ोर वर्गों को चिकित्सकीय सेवा और आर्थिक सहयोग प्रदान करने में तेज़ी लाने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग पर सरकार के प्रगतिशील रुख का एक प्रमाण है।
- यह ऐप्लीकेशन चेस्ट x-ray को deep learning के आधार पर तय किये गए मानकों पर जाँच करता है। इससे फील्ड में कार्यरत् रेडियोलॉजिस्ट को चेस्ट x-ray के माध्यम से सिलिकोसिस पीड़ित को पहचानने में सहायता मिलेगी तथा यह मानवीय त्रुटियों को कम करने में सहायक होगा।
- इस तकनीक के माध्यम से रेडियोलॉजिस्ट के कार्यभार में कमी होगी तथा प्राप्त आवेदनों में से जो लोग सिलिकोसिस से पीड़ित नहीं हैं, उनकी छँटनी करने में आसानी होगी।
- त्वरित स्क्रीनिंग से शीघ्र चिकित्सा सहायता मिल सकेगी और स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों पर बोझ कम हो सकेगा।
- बीमारी का शीघ्र पता लगने से समय पर हस्तक्षेप और उपचार की अनुमति मिल सकेगी, जिससे संभावित रूप से रोग की प्रगति को रोका जा सकेगा।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है- बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता।
- इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है, जिनके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
- AI आधारित ऐप्लीकेशन किस प्रकार कार्य करेगा?
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एप्लीकेशन एक स्क्रीनिंग टूल है, जो तकनीक का उपयोग कर चेस्ट एक्स-रे की Findings का विश्लेषण कर सुझाव देगा कि जिस व्यक्ति का चेस्ट एक्स-रे है, उसे सिलिकोसिस की संभावना है अथवा नहीं तथा इस प्रकार यह AI Based Application रेडियोलॉजिस्ट के लिये सिलिकोसिस प्रमाणीकरण में निर्णय लेने में सहायता करेगा।
- इस पहल का मूल एक उन्नत deep learning मॉडल है, जिसमें व्यापक डाटासेट का उपयोग करके हर चरण में सावधानीपूर्वक विकसित और कठोरता से परीक्षण किया गया है। इस हेतु राज्य भर से प्राप्त 40 हज़ार चेस्ट एक्स-रे छवियों का उपयोग किया गया है। इस प्रयास को वाधवानी इंस्टीट्यूट फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीकी विशेषज्ञता द्वारा समर्थित किया गया है।
- रेडियोलॉजिस्ट एवं सिलिकोसिस प्रमाण-पत्र जारीकर्त्ता अधिकारी अपने चिकित्सकीय विवेक (Clinical Judgment) अनुसार प्रमाणीकरण हेतु पूर्व के समान निर्णय कर सकेंगे।
- राजस्थान न्यूमोकोनियोसिस पॉलिसी-2019
- राज्य सरकार द्वारा न्यूमोकोनियोसिस पॉलिसी राजस्थान-2019 लागू की गई थी। बीओसीडब्ल्यू सहित खनन श्रमिकों के कल्याण के लिये सिलिकोसिस नीति लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है।
- इस नीति में सिलिकोसिस ग्रस्त रोगियों को 3 लाख की सहायता राशि के अलावा 1.5 हज़ार रुपए प्रतिमाह की पेंशन सहित अन्य परिलाभों का प्रावधान है।
- उक्त हेतु निदेशालय विशेष योग्यजन द्वारा राज सिलिकोसिस पोर्टल के माध्यम से सिलिकोसिस प्रमाणीकरण एवं भुगतान का कार्य किया जाता है।
- इस प्रक्रिया में लाभार्थी द्वारा आवेदन पश्चात् रेडियोलॉजिस्ट द्वारा चेस्ट X-Ray के विश्लेषण व जाँच पश्चात् सिलिकोसिस से पीड़ित होने के बारे में प्रमाणीकरण किया जाता है।