बिहार शराबबंदी की उपलब्धि | 28 May 2024
चर्चा में क्यों?
लैंसेट रीज़नल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित नए शोध के अनुसार, वर्ष 2016 में बिहार के शराब प्रतिबंध से दैनिक और साप्ताहिक खपत के 2.4 मिलियन मामलों तथा अंतरंग साथी के विरुद्ध हिंसा के 2.1 मिलियन मामलों को नियंत्रित किया गया।
- यह अनुमान लगाया गया है कि इस प्रतिबंध ने राज्य में 1.8 मिलियन पुरुषों को अधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त होने से रोका है।
मुख्य बिंदु:
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान, गरीबी, स्वास्थ्य और पोषण प्रभाग, अमेरिका सहित शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने राष्ट्रीय तथा ज़िला स्तर के स्वास्थ्य एवं घरेलू सर्वेक्षणों के आँकड़ों का विश्लेषण किया
- सख्त शराब विनियमन नीतियाँ बार-बार शराब पीने वालों और अंतरंग साथी हिंसा के कई पीड़ितों के लिये एक बड़े जनसंख्या स्तर पर स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती हैं।
- अप्रैल 2016 में, बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 ने पूरे राज्य में शराब के निर्माण, परिवहन, बिक्री तथा खपत पर लगभग पूर्ण रोक लगा दी।
- इसके सख्त प्रवर्तन ने प्रतिबंध को "स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा के परिणामों पर सख्त शराब प्रतिबंध नीति के वास्तविक कारण प्रभावों का अनुमान लगाने के लिये एक आकर्षक स्वाभाविक प्रयोग" बना दिया।
- प्रतिबंध से पूर्व राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 3, 4 और 5 के अनुसार, बिहार में पुरुषों द्वारा शराब पीने की दर 9.7% से बढ़कर 15% हो गई थी, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह 7.2% से बढ़कर 10.3% हुई थी।
- प्रतिबंध के बाद भावनात्मक हिंसा में 4.6% और यौन हिंसा में 3.6% की कमी देखी गई है।
नशे से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP) (अनुच्छेद 47):
- अनुच्छेद 47 में उल्लेख किया गया है कि "विशेष रूप से, राज्य मादक पेय और स्वास्थ्य के लिये हानिकारक दवाओं के औषधीय प्रयोजनों को छोड़कर इनके उपभोग पर प्रतिबंध लगाने के लिये नियम बनाएगा
- जबकि DPSP अपने आप में कानूनी रूप से लागू करने योग्य नहीं हैं, वे लक्ष्य निर्धारित करते हैं कि राज्य को ऐसी स्थितियाँ स्थापित करने की आकांक्षा रखनी चाहिये जिसके तहत नागरिक अच्छा जीवन जी सकें।
- इस प्रकार, शराब को संविधान और विस्तार से भारतीय राज्य द्वारा एक अवांछनीय बुराई के रूप में देखा जाता है जिसे विनियमित करने की आवश्यकता है।
- सातवीं अनुसूची:
- संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, शराब एक राज्य का विषय है, यानी, राज्य विधानमंडलों के पास इसके संबंध में कानून का मसौदा तैयार करने का अधिकार और ज़िम्मेदारी है, जिसमें "मादक शराब का उत्पादन, निर्माण, कब्ज़ा, परिवहन, खरीद तथा बिक्री" शामिल है।
- इस प्रकार, शराब से संबंधित कानून अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं, जो निषेध और निजी बिक्री के बीच पूरे स्पेक्ट्रम में आते हैं।