मैथिली साहित्य के प्रयोगधर्मी साहित्यकार आचार्य सोमदेव का निधन | 15 Nov 2022
चर्चा में क्यों?
14 नवंबर, 2022 को बिहार के भोजपुर ज़िले के मैथिली साहित्य के प्रयोगधर्मी साहित्यकार आचार्य सोमदेव का निधन हो गया।
प्रमुख बिंदु
- वरिष्ठ साहित्यकार विभूति आनंद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 24 फरवरी, 1934 को जन्मे सोमदेव ने मैथिली साहित्य में ‘यात्री-नागार्जुन’ के बाद नई ऊर्जा भरी थी। प्रयोगवाद (कालध्वनि कविता संग्रह, जिसकी प्रख्यात भूमिका डॉ. धीरेंद्र ने लिखी थी) से शुरू होकर उन्होंने कई तरह के प्रयोग किये।
- पारंपरिक लोक धुनों को आधार बनाकर उन्होंने कई जनगीत लिखे, जो काफी चर्चित रहे। कविता में दोहा के साथ ही उन्होंने उपन्यास में भी अलग तरह के प्रयोग किये। उनकी लिखी ‘चरपतिया’ लोगों की जुबान पर आज भी है।
- गौरीशंकर, यानी सोमदेव ने दरभंगा को अपना कार्यक्षेत्र चुना था। एक दशक तक वे अपने पुत्र के साथ सहरसा में भी रहे।
- साहित्य अकादमी से पुरस्कृत सोमदेव पॉकेट बुक्स के प्रयोग को पहली बार मैथिली में लाए। उन्होंने प्रयोग के तौर पर मैथिली में ‘होटल अनारकली’ जैसे उपन्यास लिखे। सहसमुखी चौक पर, सोम पदावली, चरैवेति, चानोदाई जैसी उनकी किताबें चर्चित रहीं।
- आचार्य सोमदेव ने यात्री-नागार्जुन की रचनाओं के साथ ही ‘मेघदूत’ व ‘नामदेव’ का मराठी अनुवाद भी किया। उनकी कथा ‘भात’माइल स्टोन माना जाता है। उन्होंने ‘मिथिला भूमि’ व ‘मिथिला टाइम्स’जैसे पत्र-पत्रिकाओं का संपादन-प्रकाशन भी किया। नक्सलबाड़ी आंदोलन के दौरान उन्होंने ‘अग्नि संकलन’का प्रकाशन तथा मैथिली की प्रख्यात पत्रिका ‘वैदेही’का संपादन भी किया था।
- आचार्य सोमदेव को ‘यात्री चेतना पुरस्कार’, ‘सुभद्रा कुमारी चौहान शताब्दी पुरस्कार’आदि से भी सम्मानित किया जा चुका है।