उत्तराखंड
70वें राजकीय औद्यौगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले (गौचर मेला) का शुभारंभ
- 15 Nov 2022
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चर्चा में क्यों?
14 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 70वें राजकीय औद्यौगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले (गौचर मेला) का शुभारंभ किया और मेले के संस्थापक पत्रकार स्व. गोविंद प्रसाद नौटियाल की मूर्ति का अनावरण किया।
प्रमुख बिंदु
- कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ पत्रकार रमेश गैरोला ‘पहाड़ी’को गोविंद प्रसाद नौटियाल स्मृति पत्रकार सम्मान से नवाजा। इस मौके पर सीएम ने देवेश जोशी की ओर से ‘कै. धूमसिंह चौहान’पर लिखी पुस्तक का विमोचन भी किया।
- उल्लेखनीय है कि गौचर मेला लगभग 75 वर्षों से आयोजित होता आ रहा है। पहले यह मेला व्यापार के लिये प्रसिद्ध था, मगर समय के साथ मेले का रूप बदला और अब ये सांस्कृतिक मेले के रूप में मनाया जाता है। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गढ़-कुमाऊँ की संस्कृति दिखती है।
- गौचर मेला अब तक 11 बार अलग-अलग कारणों से नहीं हो पाया। गौचर मेला वर्ष 1943 के नवंबर माह में भोटिया व्यापारिक मेले के नाम से शुरू हुआ था, जो 1953 तक इसी नाम से चलता रहा।
- यह मेला उस समय पूर्णतया एक व्यापारिक मेला था। मेले में मुख्यतया तिब्बती ऊन, तिब्बती पश्मीना ऊन, च्यालकू, बकरियाँ, तिब्बती कालीन, दन, हींग, तिब्बती नमक, कस्तूरा एवं भोटिया चाय का व्यापार होता था, लेकिन 1962 में युद्ध के बाद चीन के साथ आए रिश्तों में तनाव के कारण अचानक तिब्बत के व्यापारिक मार्ग बंद हो गए थे।
- वर्ष 1947 से मेले का आयोजन नवंबर में शुभ तिथि निकालकर किया जाता था। तिब्बत से व्यापार बंद होने के बाद यह मेला औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले के रूप में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर होने लगा। इस मेले को एक बार ज़िला परिषद चमोली और दो बार टाउन एरिया कमेटी गौचर की ओर से संचालित किया जा चुका है।