गेहूँ की 22 नई प्रजातियाँ देश को समर्पित | 02 Sep 2022

चर्चा में क्यों?

1 सितंबर, 2022 को भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आईआईडब्ल्यूबीआर के पर्यवेक्षण में देश को गेहूँ की 22 नई प्रजातियाँ किसानों को समर्पित की गई।

प्रमुख बिंदु 

  • यह पहला मौका है, जब 2022 में एक साथ इतनी अधिक प्रजातियाँ देश के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों की सहभागिता से अनुमोदित की गई हैं।
  • इनमें पाँच प्रजातियाँ आईआईडब्ल्यूबीआर करनाल (हरियाणा) की हैं, इसके अलावा संस्थान की दो प्रजातियों का क्षेत्र विस्तार भी किया गया है। ये देश में गेहूँ उत्पादन में क्रांतिकारी कदम है, क्योंकि इससे देश के किसानों के सामने अधिक विकल्प मौजूद होंगे।
  • भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) करनाल और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के संयुक्त तत्त्वावधान ग्वालियर में 29 व 30 अगस्त को आयोजित 61वीं संगोष्ठी में ये निर्णय लिये गए थे।
  • डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि संगोष्ठी में प्रजाति पहचान समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें समिति ने 27 प्रस्तावों पर चर्चा की। इसमें से 22 गेहूँ की प्रजातियों का अनुमोदन कर किसानों के खेतों के लिये अनुमोदित कर दी गई हैं। शीघ्र ही इन्हें केंद्रीय प्रजाति अनुमोदन समिति द्वारा रिलीज किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि इन 22 प्रजातियों में पाँच प्रजातियाँ आईआईडब्ल्यूबीआर करनाल की हैं। जिसमें डीबीडब्ल्यू-370, डीबीडब्ल्यू-371, डीबीडब्ल्यू-372 और डीबीडब्ल्यू-316 के अलावा डीडीडब्ल्यू-55 शामिल हैं।
  • जल्द बुवाई व अधिक उत्पादन वाली डीबीडब्ल्यू-370 का उत्पादन 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, 371 का 75.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, दो जोन के लिये अनुमोदित की गई 372 का उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (मध्य भारत के लिए 75.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) के लिये अनुमोदित किया गया है।
  • 316 का उत्पादन (देर से बुवाई वाली प्रजाति) पूर्वोत्तर भारत के लिये 41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तो सीमित पानी में सेंट्रल जोन के लिए कठिया गेहूँ की प्रजाति डीडीडब्ल्यू-55 को अनुमोदित किया गया है, इसमें सिर्फ एक पानी लगाना होता है।
  • आईआईडब्ल्यूबीआर के प्रमुख अन्वेषक (फसल सुधार) डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इसके अलावा आईआईडब्ल्यूबीआर की दो प्रजातियाँ डीबीडब्ल्यू-187 व 303 मेगा प्रजातियों में शामिल हो गई हैं। 187 ऐसी प्रजाति हैं, जिसे 20 मिलियन हेक्टेयर के लिये अनुमोदित किया है, जो देश में पाँच मिलियन हेक्टेयर रकबे तक पहुँच गई है। हरियाणा में 50 प्रतिशत ये प्रजाति बोई जा रही है।
  • इन दोनों प्रजातियों का क्षेत्र विस्तार करते हुए मध्य क्षेत्र में उच्च उर्वरता, अगेती बुवाई के लिये अनुमोदित किया गया है। इसके अतिरिक्त जो प्रजातियाँ अनुमोदित की गई हैं, उनमें पीबीडब्ल्यू 826 (दो जोन के लिये), पीबीडब्ल्यू 883, आईएआरआई नई दिल्ली की एचडी 3369, 3406, 3411 व 3467, आईआरआई इंदौर की एचआई 1653, 1654, 1650, 1655, 8826, एमएसीएस पुणे की 6768, 4100, सीजी बिलासपुर की 1036 आदि शामिल हैं। आईएआरआई नई दिल्ली की दस प्रजातियाँ शामिल हैं।