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बिहार

बिहार में 17491 सहकारी समितियाँ की गई समाप्त

  • 21 Jun 2023
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

20 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में 17491 सहकारी समितियों को समाप्त कर दिया गया है, जिससे राज्य में अब 25487 सहकारी समितियाँ ही रह गई हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • पैक्स, डेयरी और मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को छोड़कर राज्य में अब 8884 अन्य तरह की समितियाँ बच गई हैं। राज्य में अब सबसे अधिक 2217 हाउसिंग सोसायटी है। 
  • विदित है कि पूर्व में राज्य में कुल 42985 सहकारी समितियाँ थीं। इनमें लंबे समय से कई समितियाँ सक्रिय नहीं थीं। उनके माध्यम से काम नहीं हो रहा था। झारखंड और बिहार के बंटवारे के बाद कई समितियों का औचित्य ही खत्म हो गया था। इस कारण इन समितियों को बंद कर दिया गया। 
  • राज्य में औद्योगिक सहयोग समिति, शीत भंडार, ग्रामोदय, तेल उत्पादक, ताड़, गुड़ उत्पादक, सिंचाई सहयोग समिति, संयुक्त सहयोग कृषि, नाव यातायात, चर्मकार सहयोग तथा सर्वोदय सहयोग समिति को समाप्त कर दिया गया है।
  • राज्य में अब सिर्फ आठ एससी-एसटी सहकारी समितियाँ हैं, इनमें लखीसराय-मुजफ्फरपुर में एक-एक तथा नालंदा व पटना में तीन-तीन समितियाँ हैं। दरभंगा व सीवान में एक भी महिला कल्याण समिति नहीं है। पूर्णिया में सबसे अधिक 145 महिला कल्याण समितियाँ हैं। राज्य में जूट की एक भी समिति नहीं है। 
  • इनके अलावा राज्य के पूर्वी चंपारण, जमुई, कटिहार, लखीसराय, नालंदा, पटना, रोहतास, सहरसा, सीतामढ़ी, वैशाली और पश्चिमी चंपारण छोड़कर किसी भी ज़िले में परिवहन समितियाँ अब नहीं हैं।  
  • पटना को छोड़कर राज्य में कहीं भी पर्यटन समिति नहीं है। पटना में पाँच पर्यटन समितियाँ हैं।
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