उत्तर प्रदेश में स्थापित होंगी इज़रायली तकनीक पर आधारित 150 हाई-टेक नर्सरी | 14 Jun 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने बागवानी को बढ़ावा देने और ग्रामीण आजीविका में सुधार के दोहरे उद्देश्य की पूर्ति के लिये, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की योजनाओं के तहत, इज़रायली तकनीक पर आधारित 150 हाई-टेक नर्सरी स्थापित करने का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु
- इन हाई-टेक नर्सरियों का संचालन उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ करेंगी। उद्यान विभाग के अनुमान के अनुसार हाई-टेक नर्सरी की औसत लागत लगभग एक करोड़ रुपए होगी।
- स्कीम के तहत बेर, अनार, कटहल, नींबू, आम, अमरूद, मोरिंगा, ड्रेगन-फ्रूट आदि जैसे फल और स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों तथा आसपास के क्षेत्रों के आधार पर मांग के अनुसार कई सब्जियाँ उगाने के लिये प्रत्येक ज़िले में दो हाई-टेक नर्सरी विकसित की जा रही हैं।
- ये 150 हाई-टेक नर्सरियाँ राज्य के कृषि विज्ञान केंद्रों में, कृषि विश्वविद्यालयों के परिसर में और बागवानी विभाग के अनुसंधान केंद्रों में स्थापित की जाएंगी, ताकि किसानों को आसानी से प्रशिक्षित किया जा सके।
- इन नर्सरी को उचित बाड़ लगाने, सिंचाई की सुविधा, हाई-टेक ग्रीन हाउस जैसे बुनियादी ढाँचे से लैस किया जाएगा और सीएलएफ (क्लस्टर लेवल फेडरेशन)/राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्य समूहों के माध्यम से बनाए रखा जाएगा।
- राज्य सरकार की योजना गुणवत्ता वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये उत्कृष्टता केंद्रों के साथ-साथ हाई-टेक नर्सरी में गुणवत्ता वाले पौधे और बीज उगाने की है। इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की बढ़ती संख्या के लिये पर्याप्त फसल उपलब्ध कराना भी है।
- इन नर्सरी में उत्पादित पौधों को इच्छुक स्थानीय किसानों, क्षेत्रीय स्तर पर किसान उत्पादक संगठनों (FPO), राज्य स्तर पर अन्य निजी नर्सरी और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा रोपण के लिये बेचा जाएगा।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले पाँच वर्षों के दौरान बागवानी फसलों की खेती के क्षेत्र को 11.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 16 प्रतिशत और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, ताकि फलों, सब्जियों और मसालों के प्रसंस्करण के साथ-साथ समग्र उपज बढ़ाई जा सके।
- उल्लेखनीय है कि बस्ती और कन्नौज ज़िलों में क्रमश: फलों और सब्जियों के लिये इंडो-इज़राइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है, ताकि किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौध मिल सकें।