‘चिरायु’ योजना में 1.76 लाख बच्चों का हुआ इलाज | 19 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
18 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जन-संपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत ‘चिरायु’योजना के माध्यम से प्रदेश के एक लाख 76 हज़ार बच्चों का इलाज किया गया।
प्रमुख बिंदु
- ‘चिरायु’योजना के तहत 18 दिसंबर, 2018 से अब तक विभिन्न हृदय रोगों से पीड़ित 3081, होंठ एवं तालु की विकृति वाले 603, क्लबफुट वाले 670 और जन्मजात मोतियाबिंद से ग्रस्त 334 बच्चों का उपचार किया जा चुका है।
- ‘चिरायु’योजना में इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में अब तक 21 हज़ार 96 बच्चों का इलाज किया गया है।
- बाल स्वास्थ्य की देखभाल के लिये प्रदेश भर में 330 चिरायु दल कार्यरत् हैं। ये प्रदेश भर के स्कूलों और आँगनबाड़ियों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जाँच कर उनकी शारीरिक कमियों व रोगों की पहचान कर नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था करते हैं।
- मितानिन व एएनएम के माध्यम से भी इन बच्चों का चिह्नांकन कर चिरायु योजना के अंतर्गत पंजीयन किया जाता है। चिरायु दल द्वारा इन बच्चों की उच्चस्तरीय जाँच कर अनुबंधित अस्पतालों में ऑपरेशन करवाया जाता है।
- गौरतलब है कि प्रदेश में वर्ष 2014 से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित है। इसका उद्देश्य शून्य से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों में फोर-डी (4D), यानि डिफेक्ट एट बर्थ, डिज़ीज़, डिफिसिएंसी एंड डेवलपमेंट डिलेस इन्क्लुडिंग डिसएबिलिटी (Defect at birth, Disease, Deficiency & Development delays including disability) की जाँच कर शीघ्र उपचार उपलब्ध करना है।
- इसके तहत बच्चों में 44 प्रकार की बीमारियों की पहचान व जाँच कर उपचार किया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर उच्च संस्थाओं में रेफर भी किया जाता है।
- ‘चिरायु’योजना के अंतर्गत जन्म से छह सप्ताह की आयु के नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण डिलीवरी पॉइंट के स्टॉफ द्वारा, छह सप्ताह से छह वर्ष की आयु के बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्रों में और छह वर्ष से 18 वर्ष की आयु के बच्चों का शासकीय एवं अनुदान प्राप्त विद्यालयों में चिरायु दलों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।