राजस्थान में किसानों के लिये विद्युत | 12 Aug 2024

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार, राजस्थान सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये नए समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, जिससे किसानों को दिन में अपने खेतों की सिंचाई के लिये विद्युत प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

मुख्य बिंदु:

  • विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार की पहल से वर्ष 2027 तक कृषि उपयोगकर्त्ताओं को दिन में निर्बाध विद्युत आपूर्ति की गारंटी मिल सकेगी।
  • प्रधानमंत्री कुसुम-सी योजना के अंतर्गत 4,386 मेगावाट की परियोजनाओं के लिये आशय-पत्र जारी किया गया तथा जयपुर में दो गैस आधारित विद्युत संयंत्रों के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
  • वर्ष 2020 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ( Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने पीएम-कुसुम योजना के घटक-सी के तहत फीडर स्तर पर सौरीकरण के कार्यान्वयन की शुरुआत की।
    • इस योजना के तहत, पहले से ही अलग किये गए कृषि फीडर या, कृषि के लिये प्रमुख भार वाले फीडर को ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना का उपयोग करके सौर ऊर्जा से जोड़ा जा सकता है ताकि फीडर की वार्षिक विद्युत की आवश्यकता को पूरा किया जा सके। इससे पूंजीगत लागत और विद्युत की लागत दोनों के मामले में लागत कम होगी।

PM कुसुम

  • परिचय:
    • PM-कुसुम भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है जिसका प्राथमिक उद्देश्य सौर ऊर्जा समाधानों को अपनाने को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है।
    • यह मांग-आधारित दृष्टिकोण पर काम करता है। विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (Union Territories- UT) से प्राप्त मांगों के आधार पर क्षमताओं का आवंटन किया जाता है।
    • विभिन्न घटकों और वित्तीय सहायता के माध्यम से, PM-कुसुम का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक 30.8 गीगावाट की महत्त्वपूर्ण सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि हासिल करना है।
  • PM-कुसुम के उद्देश्य:
    • कृषि क्षेत्र का डीज़लीकरण समाप्त करना: इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा चालित पंपों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करके सिंचाई के लिये डीजल पर निर्भरता को कम करना है।
      • इसका उद्देश्य सौर पंपों के उपयोग के माध्यम से सिंचाई लागत को कम करके किसानों की आय में वृद्धि करना तथा उन्हें अधिशेष सौर ऊर्जा को ग्रिड को बेचने में सक्षम बनाना है।
    • किसानों के लिये जल एवं ऊर्जा सुरक्षा: सौर पंपों तक पहुँच प्रदान करके और सौर-आधारित सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा देकर, इस योजना का उद्देश्य किसानों के लिये जल एवं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
    • पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाना: स्वच्छ एवं नवीकरणीय सौर ऊर्जा को अपनाकर, इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है।