उत्तराखंड में UCC | 21 Oct 2024

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC), जिसे राज्य के स्थापना दिवस, 9 नवंबर को लागू किये जाने की उम्मीद है, विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप के संबंध में विभिन्न नई विधिक आवश्यकताएँ और दंड लागू करेगी। 

मुख्य बिंदु

  • प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का उद्देश्य उत्तराखंड में विधिक प्रथाओं का आधुनिकीकरण करना, विवाह पंजीकरण, उत्तराधिकार और विधिक प्रक्रियाओं से संबंधित मुद्दों का समाधान करना तथा प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से प्रक्रियाओं को सरल बनाना है।
  • प्रस्तावित कानून के प्रमुख पहलुओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • विवाह एवं लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण:
    • विवाहित युगलों के लिये समान नागरिक संहिता (UCC) के कार्यान्वयन के छह माह के भीतर अपने विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
    • लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों को अधिसूचना के एक महीने के भीतर अपने रिश्ते को पंजीकृत कराना होगा।
    • इन आवश्यकताओं का पालन न करने पर दंड लगाया जाएगा। जो युगल निर्धारित समय के भीतर अपने विवाह का पंजीकरण नहीं कराते हैं, वे सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिये अपात्र हो जाएंगे।
    • जिन लोगों ने पहले ही अन्य राज्यों में अपनी शादी का पंजीकरण करा लिया है, उन्हें उत्तराखंड में भी अपना रिकॉर्ड अपडेट कराना होगा।
  • गैर-अनुपालन हेतु दंड:
    • यदि युगल एक महीने के भीतर अपने लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत कराने में विफल रहते हैं, तो उन्हें तीन महीने तक की जेल, 10,000 रुपए तक का ज़ुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
    • गलत जानकारी देने पर तीन महीने तक की जेल या 25,000 रुपए का ज़ुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
    • विवाह या लिव-इन रिलेशनशिप को पूरी तरह से पंजीकृत न कराने पर छह महीने तक की जेल या 25,000 रुपए का ज़ुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
    • जो मकान मालिक अपंजीकृत युगलों को संपत्ति किराए पर देते हैं तथा जानबूझकर जानकारी छिपाते हैं, उन्हें भी विधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।
  • बच्चों एवं भरण-पोषण हेतु प्रावधान:
    • UCC के तहत, लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए किसी भी बच्चे को वैध माना जाएगा।
    • परित्याग के मामले में, महिला अपने साथी से भरण-पोषण का दावा करने की हकदार होगी।
    • यद्यपि UCC लिव-इन संबंध में रहने वाले युगलों के लिये गोपनीयता सुनिश्चित करता है, लेकिन इसके लिये यह आवश्यक है कि 18 से 21 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के माता-पिता को उनके लिव-इन संबंध के बारे में सूचित किया जाए।
  • संपत्ति अधिकार और उत्तराधिकार:
    • UCC बुजुर्ग माता-पिता की चिंताओं को दूर करने के लिये उत्तराधिकार की विधियों में बदलाव का प्रस्ताव करती है, जो अपने बच्चों के शहरों में चले जाने के बाद प्रायः खुद को गाँवों में अकेला पाते हैं।
    • इस कानून में सुझाव दिया गया है कि मृतक की चल और अचल संपत्ति को चार भागों में विभाजित किया जाए, जिसमें पत्नी, बच्चों और माता-पिता को हिस्सा आवंटित किया जाए तथा प्रत्येक को एक अलग इकाई माना जाए।
    • उत्तराधिकार के संबंध में हज़ारों सुझावों पर विचार किया गया, जिनमें ऐसे मुद्दे भी शामिल थे जिनमें बेटे की मृत्यु के बाद बुजुर्ग माता-पिता को कोई सहारा नहीं दिया गया।
  • विधिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना:
    • एक नया मोबाइल ऐप विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप के लिये पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाएगा। यह ऐप युगलों को सरकारी कार्यालयों में जाने की आवश्यकता के बिना पंजीकरण करने की अनुमति देगा।
    • इसके अतिरिक्त, यह ऐप वसीयत का मसौदा तैयार करने और उसे अद्यतन करने की प्रक्रिया को सरल बना देगा, जिससे व्यक्तियों के लिये किसी भी समय अपनी वसीयत में परिवर्तन करना संभव हो जाएगा।