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06 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस- 82: विश्व व्यापार संगठन (WTO) को वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिये किन प्रमुख सुधारों की आवश्यकता है? भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए इन सुधारों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय में, विश्व व्यापार संगठन (WTO) को परिभाषित कीजिये तथा वैश्विक व्यापार प्रशासन में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- भारत के हितों के संदर्भ में विश्व व्यापार संगठन के सामने आने वाली चुनौतियों और विश्व व्यापार संगठन सुधार के प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
वर्ष 1995 में स्थापित विश्व व्यापार संगठन (WTO) समझौतों और विवाद समाधान तंत्रों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करता है। हालाँकि बढ़ते संरक्षणवाद, व्यापार युद्ध और विवाद निपटान में अक्षमताओं ने इसकी भूमिका को कमज़ोर कर दिया है। इसकी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिये, वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और भारत के व्यापार हितों को संबोधित करने के लिये व्यापक सुधार आवश्यक हैं।
विश्व व्यापार संगठन के समक्ष चुनौतियाँ:
- विवाद निपटान पक्षाघात: अमेरिका द्वारा नई नियुक्तियों को अवरुद्ध करने के कारण अपीलीय निकाय 2019 से गैर-कार्यात्मक है, जिससे WTO की विश्वसनीयता कम हो रही है।
- रुकी हुई वार्ताएँ और निर्णय लेने में रुकावट: वर्ष 2001 में शुरू किया गया दोहा विकास एजेंडा (DDA) अभी भी अधूरा है, जिससे आम सहमति बनाने में कठिनाइयाँ झलकती हैं।
- संरक्षणवाद और व्यापार युद्धों का उदय: अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध और सब्सिडी विवाद विश्व व्यापार संगठन के मुक्त व्यापार सिद्धांतों को चुनौती देते हैं।
- अमेरिका के संभावित बाहर निकलने से WTO की वैधता प्रभावित हो सकती है, वैश्विक व्यापार नियमों में अस्थिरता आ सकती है और एकतरफा व्यापार नीतियों में वृद्धि हो सकती है।
- अप्रभावी विशेष एवं विभेदक उपचार (S&DT): विकसित राष्ट्रों का तर्क है कि भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को अधिक दायित्व लेना चाहिये, जिससे अल्प विकसित देशों (LDCs) के लाभ कम हो जाएंगे।
- पारदर्शिता का अभाव और अनुपालन संबंधी मुद्दे: कई विश्व व्यापार संगठन सदस्य व्यापार उपायों का खुलासा करने में विफल रहते हैं, जिससे नीति निगरानी की प्रभावशीलता सीमित हो जाती है।
- मिनिलेटरलिज़्म का उदय: मिनिलेटरलिज़्म का उदय विश्व व्यापार संगठन के बहुपक्षीय ढाँचे को कमज़ोर करता है, क्योंकि देश दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ मुक्त व्यापार क्षेत्र (AFTA) और मर्कोसुर (दक्षिणी साझा बाज़ार) आदि जैसे क्षेत्रीय व्यापार ब्लॉकों को प्राथमिकता देते हैं।
विश्व व्यापार संगठन के लिये आवश्यक प्रमुख सुधार:
- विवाद निपटान तंत्र को बहाल करना:
- व्यापार विवादों का निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित करने के लिये अपीलीय निकाय को पुनर्जीवित करना।
- विवाद समाधान प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और अनुपालन को मज़बूत करना।
- विश्व व्यापार संगठन के समझौता कार्य को बढ़ाना:
- लंबित समझौतों (जैसे- मत्स्यपालन सब्सिडी, ई-कॉमर्स विनियमन) पर गतिरोध को तोड़ने के लिये लचीले समझौता मॉडल को अपनाना।
- जहाँ पूर्ण सहमति कठिन हो, वहाँ बहुपक्षीय समझौतों को बढ़ावा देना।
- पारदर्शिता और निगरानी में सुधार:
- छुपे हुए व्यापार अवरोधों (जैसे- कृषि और औद्योगिक सब्सिडी) को रोकने के लिये अधिसूचना आवश्यकताओं को मज़बूत करना।
- गैर-अनुपालन को संबोधित करने के लिये एक तंत्र की स्थापना करना, विशेष रूप से प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा।
- विशेष एवं विभेदक उपचार (S&DT) प्रावधानों में सुधार:
- विकासशील देशों के हितों की रक्षा करना, यह सुनिश्चित करना कि वे आर्थिक विकास के लिये नीतिगत लचीलापन बनाए रखें।
- संरचनात्मक आर्थिक अंतरों पर विचार किये बिना उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मनमाने ढंग से वर्गीकरण से बचना।
- नई व्यापार चुनौतियों को शामिल करना:
- डिजिटल व्यापार, सीमा पार डाटा प्रवाह और व्यापार पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव को संबोधित करना।
- व्यापार विकृतियों के बिना पर्यावरण और श्रम मानकों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित करना।
विश्व व्यापार संगठन सुधारों में भारत की रुचि:
- कृषि एवं खाद्य सुरक्षा:
- अनुचित व्यापार प्रतिबंधों के विरुद्ध न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सार्वजनिक भंडारण (PSH) कार्यक्रमों का बचाव करना।
- यह सुनिश्चित करना कि कृषि समझौते (AoA) से भारतीय किसानों को नुकसान न पहुँचे।
- विवाद निपटान तक पहुँच:
- भारत के लिये अनुचित व्यापार उपायों (जैसे- भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ) को चुनौती देने के लिये एक कार्यात्मक अपीलीय निकाय महत्त्वपूर्ण है।
- MSME और डिजिटल अर्थव्यवस्था का संरक्षण:
- ऐसे अधिक निष्पक्ष ई-कॉमर्स विनियमनों का समर्थन करना जो विकसित देशों की तकनीकी दिग्गजों के पक्ष में न हों।
- यह सुनिश्चित करना कि भारत की डिजिटल नीतियों (जैसे- डाटा स्थानीयकरण) को अनुचित रूप से लक्षित न किया जाए।
निष्कर्ष:
विवाद समाधान, पारदर्शिता और वार्ता को मज़बूत करके निष्पक्ष, नियम-आधारित वैश्विक व्यापार को बहाल करने के लिये WTO सुधार आवश्यक हैं। भारत के लिये, कृषि सुरक्षा, निष्पक्ष ई-कॉमर्स नियम और न्यायसंगत व्यापार शर्तें सुनिश्चित करना प्रमुख प्राथमिकताएँ होनी चाहिये। एक संतुलित और समावेशी सुधार एजेंडा WTO की विश्वसनीयता को बढ़ाएगा तथा सतत् वैश्विक आर्थिक विकास का समर्थन करेगा।