Sambhav-2025

दिवस- 88: वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 में प्रजातियों की सुरक्षा और संरक्षण को मज़बूत करने के लिये नए प्रावधान शामिल किये गए हैं। इसके प्रमुख संशोधनों और उनके प्रभावों का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

13 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | पर्यावरण

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • अधिनियम और उसके प्रमुख उद्देश्यों का परिचय दीजिये।
  • अनुसूची पुनर्गठन, व्यापार विनियमन और CITES अनुपालन जैसे प्रमुख परिवर्तनों की व्याख्या कीजिये।
  • संरक्षण लाभ और विनियामक चिंताओं सहित निहितार्थों का उदाहरणों सहित विश्लेषण कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

दिसंबर 2022 में पारित वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022, प्रजातियों की सुरक्षा को बढ़ाकर, कानूनी ढाँचों को पुनर्गठित करके और वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) को लागू करके वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को मज़बूत करने का प्रयास करता है। यह संशोधन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाता है, जिसमें प्रजातियों की अनुसूचियों और व्यापार नियमों में संशोधन शामिल हैं।

मुख्य भाग:

प्रमुख परिवर्तन और उनके निहितार्थ:

  • अनुसूचियों की संख्या में कमी
    • मौजूदा छह अनुसूचियों को घटाकर चार कर दिया गया है:
      • अनुसूची I - उच्चतम स्तर की सुरक्षा वाली प्रजातियाँ (जैसे- बाघ, हाथी)।
      • अनुसूची II - तुलनात्मक रूप से कम संरक्षण की आवश्यकता वाली प्रजातियाँ (जैसे- कुछ पक्षी, सरीसृप)।
      • अनुसूची III संरक्षित पौधों की प्रजातियाँ
      • अनुसूची IV - अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये CITES विनियमन के अंतर्गत प्रजातियाँ।
    • निहितार्थ: प्रजातियों के वर्गीकरण को सरल बनाता है, लेकिन कुछ अनुसूची II प्रजातियों पर से संरक्षण हटाने के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
  • CITES प्रावधानों का कार्यान्वयन
    • यह अधिनियम वन्यजीव नमूनों के व्यापार को विनियमित करने के लिये एक प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना करता है
    • निर्यात परमिट और संरक्षण स्थिति की निगरानी के लिये एक वैज्ञानिक प्राधिकरण की स्थापना की गई है।
    • निहितार्थ: वैश्विक वन्यजीव व्यापार विनियमन को मज़बूत करता है लेकिन अधिकारियों पर अनुपालन का बोझ बढ़ाता है
  • वन्यजीव व्यापार विनियमों में परिवर्तन (वन्यजीव (संरक्षण) लाइसेंसिंग नियम, 2024)
    • कुछ प्रजातियों को अब लाइसेंसिंग प्रतिबंधों से बाहर रखा गया है, जिससे बंदी पशुओं, साँप के विष और ट्रॉफी पशुओं का व्यापार आसान हो गया है
    • नए लाइसेंसिंग मानदंडों में सुविधाओं, व्यावसायिक व्यवहार्यता और आपूर्ति के स्रोतों का मूल्यांकन शामिल है।
    • निहितार्थ: इससे कानूनी व्यापार और औषधीय अनुसंधान को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन अवैध वन्यजीव तस्करी पर चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
  • हाथी के स्वामित्व पर विवादास्पद धारा
    • धारा 43 संशोधन अनुसूची I के हाथियों को "धार्मिक या किसी अन्य उद्देश्य" के लिये उपयोग करने की अनुमति देता है।
    • चिंताएँ: वन्यजीव कार्यकर्त्ताओं को अवैध कब्ज़े में वृद्धि, हाथियों की तस्करी और शोषण के बिगड़ने की आशंका है
    • निहितार्थ: यह सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं को बढ़ावा देता है, लेकिन हाथी संरक्षण प्रयासों को कमज़ोर कर सकता है
  • राज्य वन्यजीव बोर्डों के अंतर्गत एक स्थायी समिति की स्थापना
    • स्थायी समिति को पूर्ण बोर्ड परामर्श के बिना संरक्षण संबंधी निर्णय लेने का अधिकार है।
    • निहितार्थ: इससे निर्णय लेने की दक्षता बढ़ेगी, लेकिन वन्यजीव प्रशासन में पारदर्शिता कम हो सकती है।
  • वन्यजीव अपराधों के लिये कठोर दंड
    • अवैध शिकार, आवास विनाश और अवैध व्यापार के खिलाफ अधिक ज़ुर्माना एवं सख्त प्रवर्तन
    • निहितार्थ: यह निवारक के रूप में कार्य करता है लेकिन इसके लिये बेहतर कार्यान्वयन और निगरानी की आवश्यकता है
  • वनवासी समुदायों के लिये संरक्षण
    • यह अधिनियम संरक्षित क्षेत्रों में चराई, पशुओं की आवाजाही और पारंपरिक गतिविधियों की अनुमति देता है।
    • निहितार्थ: वन्यजीव संरक्षण को बनाए रखते हुए आदिवासी आजीविका का समर्थन करता है।

निष्कर्ष:

वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 CITES कार्यान्वयन, सख्त दंड और शासन सुधारों के माध्यम से संरक्षण को मज़बूत करता है। हालाँकि प्रजातियों के संरक्षण में गिरावट और हाथी व्यापार प्रावधानों पर चिंताओं को प्रभावी वन्यजीव संरक्षण के लिये पारदर्शी प्रवर्तन तथा हितधारक जुड़ाव की आवश्यकता है।