Sambhav-2025

दिवस- 25:भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में असहयोग आंदोलन का क्या महत्त्व था? महात्मा गांधी ने आंदोलन से पीछे हटने का क्या कारण दिया? (250 शब्द)
 

30 Dec 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • असहयोग आंदोलन का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  • असहयोग आंदोलन के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
  • आंदोलन से पीछे हटने के गांधी जी के तर्क पर चर्चा कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष निकालिये।

परिचय:

असहयोग आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय था, जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रतिरोध के तरीकों में एक मत्त्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाया। वर्ष 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये गए इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ अहिंसक विरोध में सामाजिक-आर्थिक और धार्मिक रेखाओं से परे भारतीयों को एकजुट करना था।

मुख्य भाग:

असहयोग आंदोलन का महत्त्व:

  • जन-आधारित आंदोलन: असहयोग आंदोलन में समाज के विभिन्न वर्गों, जैसे किसानों, श्रमिकों, छात्रों और बुद्धिजीवियों की व्यापक भागीदारी देखने को मिली।
    • यह अभिजात वर्ग के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों से अधिक समावेशी और जन-आधारित आंदोलन की ओर बदलाव का प्रतीक है।
  • आर्थिक बहिष्कार: इस आंदोलन का एक प्रमुख पहलू आर्थिक बहिष्कार था, जिसके तहत भारतीयों को ब्रिटिश वस्त्रों और संस्थानों का त्याग करने के लिये प्रेरित किया गया।
    • इससे भारतीय जनता की एकजुट आर्थिक शक्ति का प्रदर्शन हुआ।
  • ब्रिटिश संस्थाओं का बहिष्कार: यह असहयोग शैक्षणिक संस्थानों, विधान परिषदों और सिविल सेवाओं तक फैला, जिसका उद्देश्य भारत में ब्रिटिश प्रशासनिक तथा आर्थिक संरचनाओं को कमज़ोर करना था।
  • एकता का प्रतीक: इस आंदोलन ने हिंदुओं और मुसलमानों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक साझा मंच प्रदान किया तथा हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया।
  • सांस्कृतिक अभिपुष्टि: असहयोग आंदोलन ने भारतीय सांस्कृतिक पहचान और आत्मनिर्भरता को पुनः स्थापित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच प्रदान किया।
    • आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में खादी को बढ़ावा देना एक महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रयास था।

महात्मा गांधी के आंदोलन से पीछे हटने के कारण:

गांधी जी ने निम्नलिखित कारणों से फरवरी 1922 में असहयोग आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया:

  • उन्होंने महसूस किया कि आंदोलन कई स्थानों पर हिंसक हो रहा था, विशेषकर वर्ष 1922 में चौरी-चौरा की घटना के बाद, जहाँ भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी और कई पुलिसकर्मियों को मार डाला था।
    • चौरी-चौरा की घटना ने गांधी जी को गहराई से व्यथित किया, क्योंकि उनका मानना था कि आंदोलन अहिंसा के मार्ग से विचलित हो गया है, जिसे वे संघर्ष की सफलता के लिये अनिवार्य मानते थे।
  • उनका मानना ​​था कि सत्याग्रहियों (अहिंसक प्रदर्शनकारियों) को जन संघर्ष के लिये तैयार होने से पहले उचित प्रशिक्षण और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
  • इसके अतिरिक्त, उन्हें कुछ कॉन्ग्रेस नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा, जो वर्ष 1919 के भारत सरकार अधिनियम के तहत चुनावों में भाग लेना चाहते थे और परिषदों के भीतर सुधारों के लिये काम करना चाहते थे।

निष्कर्ष:

वर्ष 1922 में महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लेने से भारत के कई नागरिकों के बीच असंतोष और निराशा की भावना उत्पन्न हुई। असहयोग आंदोलन की वापसी से असंतोष तो हुआ, लेकिन इसने विचार और मंथन को प्रेरित किया, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अगले चरणों के लिये नई रणनीतियों का आधार तैयार किया।