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Sambhav-2025

  • 12 Feb 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस- 63: अनुच्छेद 323A और 323B के तहत स्थापित न्यायाधिकरणों की संरचना और क्षेत्राधिकार में क्या प्रमुख अंतर हैं? उपयुक्त उदाहरणों के साथ विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • न्यायाधिकरणों को संक्षेप में परिभाषित कीजिये तथा अनुच्छेद 323A और 323B का परिचय दीजिये।
    • अनुच्छेद 323A और अनुच्छेद 323B के तहत न्यायाधिकरणों के दायरे और संरचना में उदाहरण देकर अंतर स्पष्ट कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय:

    न्यायाधिकरण विशेषीकृत अर्द्ध-न्यायिक निकाय हैं जिन्हें विशिष्ट विवादों में त्वरित, कुशल और विशेषज्ञ निर्णय सुनिश्चित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) ने अनुच्छेद 323A और 323B प्रस्तुत किये, जिससे सरकार को नियमित न्यायालयों पर बोझ कम करने के लिये न्यायाधिकरण स्थापित करने में सक्षम बनाया गया। जबकि दोनों अनुच्छेद न्यायाधिकरणों के निर्माण की अनुमति देते हैं, वे अपने दायरे (विषय-वस्तु) और संरचना (प्राधिकरण, संरचना और पदानुक्रम) में काफी भिन्न हैं।

    मुख्य भाग:

    अनुच्छेद 323A और 323B के तहत न्यायाधिकरणों के दायरे में अंतर:

    • अनुच्छेद 323A विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों से संबंधित सेवा मामलों से संबंधित है तथा भर्ती, पदोन्नति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई और सेवा शर्तों से संबंधित विवादों का समाधान सुनिश्चित करता है
    • अनुच्छेद 323B सेवा मामलों से परे व्यापक विषयों को कवर करता है, जिसमें कराधान, औद्योगिक और श्रम विवाद, भूमि सुधार, चुनाव, विदेशी मुद्रा तथा उपभोक्ता संरक्षण शामिल हैं।
    • अनुच्छेद 323A के तहत केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) सरकारी कर्मचारियों से संबंधित विवादों का निपटारा करता है, जबकि आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT), राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) और चुनाव न्यायाधिकरण जैसे न्यायाधिकरण अनुच्छेद 323B के तहत कार्य करते हैं।

    अनुच्छेद 323A और 323B के तहत न्यायाधिकरणों की संरचना में अंतर:

    • न्यायाधिकरण स्थापित करने का प्राधिकार:
      • अनुच्छेद 323A न्यायाधिकरण केवल संसद द्वारा स्थापित किया जा सकता है, जिससे देश भर में सेवा-संबंधी विवादों से निपटने में एकरूपता सुनिश्चित होगी।
      • अनुच्छेद 323B के तहत, संसद और राज्य विधानमंडल दोनों न्यायाधिकरण स्थापित कर सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय तथा राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलन सुनिश्चित होता है।
    • न्यायाधिकरणों का पदानुक्रम:
      • अनुच्छेद 323A पदानुक्रम की अनुमति नहीं देता है, अर्थात् प्रत्येक राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर केवल एक न्यायाधिकरण बनाया जा सकता है।
      • अनुच्छेद 323B न्यायाधिकरणों के पदानुक्रम की अनुमति देता है, जिससे विभिन्न विषयों के लिये अपीलीय न्यायाधिकरणों सहित कई स्तरों का सृजन संभव हो सकेगा।
    • न्यायिक समीक्षा और निरीक्षण:
      • प्रारंभ में, अनुच्छेद 323A और 323B दोनों न्यायाधिकरणों में उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार शामिल नहीं था।
      • हालाँकि एल. चंद्र कुमार मामले (1997) ने मूल ढाँचे के एक भाग के रूप में न्यायिक समीक्षा की पुष्टि की, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधिकरण के निर्णयों पर निगरानी बनाए रखेंगे।
    • सदस्यों की नियुक्ति और संरचना:
      • अनुच्छेद 323A के अनुसार, न्यायाधिकरण के सदस्य योग्य न्यायिक अधिकारी या कानूनी विशेषज्ञ होने चाहिये, ताकि सेवा-संबंधी विवादों में उनकी विशेषज्ञता सुनिश्चित हो सके
      • अनुच्छेद 323B न्यायाधिकरण की प्रकृति के आधार पर कानूनी और विषय-वस्तु विशेषज्ञों, जैसे पर्यावरण या कराधान विशेषज्ञों, दोनों को शामिल करने की अनुमति देता है।

    निष्कर्ष:

    अनुच्छेद 323A और 323B के तहत न्यायाधिकरण न्यायिक लंबित मामलों को कम करने एवं विशेषीकृत न्यायनिर्णयन सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि बेहतर बुनियादी ढाँचे, पारदर्शी नियुक्तियों और न्यायाधिकरण के निर्णयों के सख्त क्रियान्वयन जैसे सुधारों के माध्यम से उनकी स्वतंत्रता, दक्षता तथा पहुँच को मज़बूत किया जाना चाहिये। तेज़ और प्रभावी न्यायिक प्रक्रिया सुनिश्चित करने के साथ-साथ संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिये एक सुचारु रूप से कार्यशील न्यायाधिकरण प्रणाली आवश्यक है।

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