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Sambhav-2025

  • 18 Dec 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    दिवस- 15: कृष्णदेव राय के शासनकाल के दौरान विजयनगर साम्राज्य की अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और सांस्कृतिक समृद्धि में उनके योगदान का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक के रूप में कृष्णदेव राय का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • विजयनगर साम्राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में उनके योगदान का उल्लेख कीजिये।
    • अंत में, उनके योगदान की स्थायी विरासत पर विचार कीजिये।

    परिचय:

    कृष्णदेव राय (शासनकाल 1509-1529 ई.) को विजयनगर साम्राज्य के सबसे शानदार शासकों में से एक माना जाता है। आर्थिक विकास और सांस्कृतिक समृद्धि में उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उनके शासनकाल को अक्सर "स्वर्ण युग" के रूप में वर्णित किया जाता है।

    मुख्य भाग:

    अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना

    • कृषि सुधार और सिंचाई: कृष्णदेव राय ने उपजाऊ कृष्णा और तुंगभद्रा नदी घाटियों में टैंकों, नहरों तथा जलाशयों जैसी व्यापक सिंचाई प्रणालियों का निर्माण एवं उनके रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया।
      • राया नहर के निर्माण जैसी परियोजनाओं ने खेती के लिये निरंतर जल आपूर्ति सुनिश्चित की, फसल की पैदावार बढ़ाई और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।
    • व्यापार और वाणिज्य: साम्राज्य के स्थिर प्रशासन ने इसके विशाल क्षेत्र में व्यापार को सुगम बनाया, जिससे व्यापारियों और कारीगरों को लाभ हुआ।
      • इस अवधि के दौरान, गोवा, भटकल और मैंगलोर जैसे प्रमुख बंदरगाहों ने दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व तथा यूरोप जैसे क्षेत्रों के साथ समुद्री व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • राजस्व सुधार: भूमि, व्यापार और वस्तुओं पर कर लगाया गया, लेकिन ये नीतियाँ इस तरह से बनाई गई थीं कि वे किसानों तथा व्यापारियों पर अत्यधिक दबाव न डालें।
      • उन्होंने योग्य व्यापारियों और कारीगरों को कर में छूट देकर आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया, जिससे आर्थिक स्थिरता तथा विकास को बढ़ावा मिला।
    • सैन्य और आर्थिक स्थिरता: कृष्णदेव राय के अधीन साम्राज्य की सैन्य शक्ति ने भी आर्थिक स्थिरता में योगदान दिया।
      • उनके सफल अभियानों, जैसे कि रायचूर दोआब को सुरक्षित करना, ने उपजाऊ भूमि और महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्गों तक पहुँच प्रदान की।

    सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करना

    • साहित्य का संरक्षण: कृष्णदेव राय के शासनकाल में कई भाषाओं में साहित्य का विकास हुआ।
      • उन्होंने स्वयं अमुक्तमाल्यद नामक तेलुगू क्लासिक कृति लिखी, जो शासन कला और भक्ति के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
    • वास्तुकला चमत्कार: दक्षिण भारतीय मंदिर वास्तुकला में कृष्णदेव राय का योगदान अद्वितीय है।
      • उन्होंने हम्पी में विट्ठल मंदिर और हजारा राम मंदिर जैसे भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया, जो अपनी जटिल नक्काशी एवं वास्तुशिल्पीय प्रतिभा के लिये प्रसिद्ध हैं।
    • कला के लिये समर्थन: राजा का संरक्षण संगीत और नृत्य सहित प्रदर्शन कलाओं तक विस्तारित था।
      • उन्होंने अपने दरबार में प्रतिष्ठित अष्टदिग्गजों (आठ साहित्यिक हस्तियों) सहित विद्वानों और कवियों को संरक्षण दिया।

    निष्कर्ष:

    आर्थिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण पर समान ध्यान देने वाले संतुलित दृष्टिकोण ने कृष्णदेव राय की दूरदर्शी शासक के रूप में प्रतिष्ठा को और सुदृढ़ किया। उनके योगदान ने न केवल विजयनगर साम्राज्य को अभूतपूर्व ऊँचाइयों तक पहुँचाया, बल्कि दक्षिण भारत के इतिहास पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी।

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