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28 Jan 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस- 50: भारतीय संविधान की एकात्मक विशेषताओं के संदर्भ में अनुच्छेद 3 के तहत राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित प्रावधानों का विश्लेषण कीजिये और यह जाँच कीजिये कि ये प्रावधान संघवाद के लिये किस प्रकार चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं? (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अनुच्छेद 3 और भारतीय संविधान में इसकी प्रासंगिकता को समझाते हुए संक्षिप्त परिचय से उत्तर आरंभ कीजिये।
- विश्लेषण कीजिये कि अनुच्छेद 3 किस प्रकार संघवाद के लिये चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है तथा इसके लिये प्रासंगिक प्रावधानों, उदाहरणों और तर्कों सहित उत्तर दीजिये।
- उचित निष्कर्ष निकालिये।
परिचय:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को राज्यों की सीमाओं का गठन, परिवर्तन या विलय करके उन्हें पुनर्गठित करने का अधिकार देता है। एकता और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किये गए इन प्रावधानों ने संघवाद पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएँ उत्पन्न की हैं, विशेषकर संविधान की एकात्मक प्रवृत्ति के संदर्भ में।
मुख्य भाग:
अनुच्छेद 3 का एकात्मक झुकाव:
- संसद के पास राज्य की सीमाओं में परिवर्तन करने का एकतरफा अधिकार है, जो राज्यों पर संघ के प्रभुत्व को उजागर करता है।
- राज्य विधानमंडल की भूमिका परामर्शदात्री है, बाध्यकारी नहीं, जिससे उनकी स्वायत्तता कम होती है।
- उदाहरण के लिये, वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश विधानसभा के विरोध के बावजूद आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना बनाया गया।
संघवाद को चुनौती:
- यह संघीय व्यवस्था में राज्यों की समान स्थिति को कमज़ोर करता है, क्योंकि पुनर्गठन के निर्णय राज्य की सहमति के अधीन नहीं होते हैं।
- यह क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांत को बाधित करता है, जैसा कि 2000 में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड के निर्माण में देखा गया।
- यह जातीय, भाषाई या क्षेत्रीय पहचान के आधार पर राज्य और स्वायत्तता की मांग को प्रोत्साहित करता है तथा प्रशासनिक चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।
- इससे संघ और राज्यों के बीच टकराव उत्पन्न होता है तथा सहकारी संघवाद कमज़ोर होता है।
संघर्ष के उदाहरण:
- पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के कारण चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद उत्पन्न हो गया।
- वर्ष 2019 में जम्मू और कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने की आलोचना इस आधार पर की गई थी कि राज्य की विधायिका को दरकिनार किया गया, जिससे केंद्र की हस्तक्षेपकारी नीतियों पर सवाल उठे।
संघवाद और एकता में संतुलन:
- अनुच्छेद 3 क्षेत्रीय आकांक्षाओं को संबोधित करने के लिये अनुकूलन प्रदान करके राष्ट्रीय एकता सुनिश्चित करता है।
- हालाँकि इसके अत्यधिक उपयोग से राज्यों के अलग-थलग पड़ने और संघ की निष्पक्षता में उनके विश्वास को नुकसान पहुँचने का खतरा है।
निष्कर्ष:
जबकि अनुच्छेद 3 राष्ट्रीय एकीकरण को बनाए रखने और क्षेत्रीय मांगों को समायोजित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है, इसका एकात्मक पूर्वाग्रह संघीय सिद्धांतों को चुनौती देता है। सहकारी संघवाद की भावना को बनाए रखने के लिये राज्यों के साथ अधिक परामर्श पर ज़ोर देने वाला एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।