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25 Feb 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दिवस- 74: आधुनिक वैश्विक व्यवस्था में लघुपक्षवाद की भूमिका बढ़ी है, जबकि बहुपक्षवाद अब भी प्रणालीगत वैश्विक चुनौतियों के समाधान में महत्त्वपूर्ण बना हुआ है। वैश्विक शासन में इन दोनों दृष्टिकोणों की प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिये और उपयुक्त उदाहरणों के माध्यम से उनके प्रभाव को स्पष्ट कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- वैश्विक शासन के संदर्भ में लघुपक्षवाद और बहुपक्षवाद को परिभाषित कीजिये।
- मिनिलेटरलिज़्म की बढ़ती प्रमुखता पर चर्चा कीजिये।
- बहुपक्षवाद की स्थायी प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिये।
- प्रभावी वैश्विक शासन के लिये लघुपक्षवाद और बहुपक्षवाद के बीच संतुलन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिये।
- उचित रूप से निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
बदलती वैश्विक व्यवस्था में मिनीलेटरलिज़्म का उदय हुआ है, जहाँ विशिष्ट चुनौतियों से निपटने के लिये छोटे और केंद्रित गठबंधन, जैसे क्वाड एवं AUKUS, बनाए जा रहे हैं। हालाँकि बहुपक्षवाद - अपने व्यापक-आधारित, समावेशी दृष्टिकोण के साथ - प्रणालीगत वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने के लिये महत्त्वपूर्ण बना हुआ है। (जैसे- UN, WTO, WHO)।
मुख्य भाग:
मिनिलेटरलिज़्म की बढ़ती प्रमुखता
- एक लक्षित और अनुकूल दृष्टिकोण:
- मिनीलेटरलिज़्म समान विचारधारा वाले देशों के छोटे, रणनीतिक समूहों को संदर्भित करता है, जो विशिष्ट मुद्दों का प्रभावी समाधान सुनिश्चित करने के लिये सहयोग करते हैं। ये व्यवस्थाएँ व्यापक-आधारित आम सहमति-निर्माण पर साझा हितों को प्राथमिकता देती हैं।
- मिनिलेटरलिज़्म के उदाहरण:
- क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) - हिंद-प्रशांत सुरक्षा, समुद्री सहयोग और उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- AUKUS (ऑस्ट्रेलिया, UK, USA) - एक रक्षा समझौता जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करना है।
- I2U2 (भारत, इज़रायल, UAE, USA) - आर्थिक और तकनीकी पहल के लिये एक सहयोग तंत्र।
- दक्षता और त्वरित निर्णय लेना:
- वृहद बहुपक्षीय निकायों की तुलना में, लघुपक्षीय समूह निर्णय प्रक्रिया को सरल बनाकर नौकरशाही विलंब को कम करते हैं और तीव्र नीतिगत प्रतिक्रियाओं को सक्षम बनाते हैं।
- उदाहरण: AUKUS ने बिना किसी लंबी बातचीत के ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों को तेज़ी से मज़बूत किया।
- रणनीतिक एवं मुद्दा-विशिष्ट सहयोग:
- मिनिलेटरलिज़्म राष्ट्रों को सुरक्षा, प्रौद्योगिकी या आपूर्ति शृंखला अनुकूलन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है।
- उदाहरण: इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IEPEF) व्यापक व्यापार समझौतों की आवश्यकता के बिना आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
- वैश्विक शक्ति परिवर्तन का प्रतिसंतुलन:
- लघुपक्षीय पहल अक्सर क्षेत्रीय या वैश्विक आधिपत्य को संतुलित करती है, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में।
- उदाहरण: क्वाड का लक्ष्य चीन की आक्रामक रणनीति के बीच एक स्वतंत्र, समावेशी और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- मिनिलेटरलिज़्म की चुनौतियाँ:
- विशिष्टता और सार्वभौमिकता का अभाव: सीमित भागीदारी से प्रमुख वैश्विक हितधारकों की अनदेखी होने की संभावना रहती है।
- बहुपक्षीय संस्थाओं को कमज़ोर करना: इससे संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे व्यापक संगठन कमज़ोर हो सकते हैं।
- भू-राजनीतिक विखंडन: यह गुटीय राजनीति को बढ़ावा देता है, जिससे वैश्विक सहमति बनाना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
बहुपक्षवाद की स्थायी प्रासंगिकता
- वैश्विक शासन की नींव: बहुपक्षवाद समावेशी, नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों पर आधारित है, जो वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिये सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देते हैं। ये संस्थाएँ अंतरराष्ट्रीय कानून, वैधता और वैश्विक समन्वय सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- बहुपक्षवाद के उदाहरण:
- संयुक्त राष्ट्र (UN) - वैश्विक स्तर पर शांति, सुरक्षा और विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) - अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करता है और विवादों का समाधान करता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) - वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों, जैसे कि COVID-19 महामारी, के प्रति प्रतिक्रियाओं का समन्वय करता है।
- प्रणालीगत वैश्विक चुनौतियों का समाधान: बहुपक्षीय संगठन जलवायु परिवर्तन, महामारी और व्यापार विवादों से निपटने में अपरिहार्य भूमिका निभाते हैं।
- उदाहरण: पेरिस समझौता (UNFCCC) जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये लगभग 200 देशों को एकजुट करता है।
- वैधता और वैश्विक प्रतिनिधित्व: बहुपक्षीय मंच सभी देशों को प्रतिनिधित्व देते हैं और वैश्विक शासन में समान भागीदारी सुनिश्चित करते हैं।
- विश्व व्यापार संगठन का विवाद समाधान तंत्र वैश्विक व्यापार में निष्पक्षता बनाए रखता है।
- वैश्विक संकटों पर समन्वित प्रतिक्रियाएँ:
- बहुपक्षीय निकाय आपात स्थितियों में वैश्विक सहयोग को सुविधाजनक बनाते हैं।
- उदाहरण: COVAX पहल (WHO, Gavi, CEPI) ने दुनिया भर में समान COVID-19 वैक्सीन वितरण सुनिश्चित किया।
- बहुपक्षवाद की चुनौतियाँ:
- नौकरशाही अकुशलता: वृहद् संगठनों में निर्णय प्रक्रिया आम सहमति पर आधारित होती है, जिससे इसकी गति धीमी हो सकती है।
- शक्तिशाली राष्ट्रों का प्रभुत्व: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और विश्व व्यापार संगठन को अक्सर प्रमुख शक्तियों के प्रभाव में रहने के लिये आलोचना का सामना करना पड़ता है।
- संकट की स्थिति में विफलता: रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में संयुक्त राष्ट्र की असमर्थता ने इसकी संरचनात्मक कमज़ोरियों को उजागर कर दिया।
प्रभावी वैश्विक शासन के लिये लघुपक्षवाद और बहुपक्षवाद में संतुलन
- लघुपक्षवाद बहुपक्षवाद का पूरक है:
- जहाँ लघुपक्षीय समूह त्वरित समाधान प्रदान करते हैं, वहीं बहुपक्षीय निकाय दीर्घकालिक वैधता और स्थायित्व सुनिश्चित करते हैं।
- उदाहरण: G20 मिनीलेटरल समूहों की तुलना में व्यापक है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र से छोटा है, जो संतुलित वैश्विक सहयोग का एक मध्यम मार्ग प्रदान करता है।
- बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार:
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार आवश्यक हैं ताकि यह समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रभावी रूप से प्रतिबिंबित कर सके।
- आधुनिक व्यापार चुनौतियों से निपटने के लिये विश्व व्यापार संगठन के नियमों को अद्यतन किया जाना चाहिये।
- हाइब्रिड दृष्टिकोण का लाभ उठाना
- मुद्दा-आधारित सहयोग (जैसे- जलवायु गठबंधन) दोनों दृष्टिकोणों की शक्तियों को संयोजित कर सकता है।
निष्कर्ष:
मिनिलेटरलिज़्म त्वरित और लक्षित सहयोग को सक्षम बनाता है, जबकि बहुपक्षवाद दीर्घकालिक वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करता है। ये दृष्टिकोण परस्पर विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं। जटिल वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये, मिनिलेटरल समूहों का रणनीतिक उपयोग करते हुए बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार करना एक प्रभावी वैश्विक शासन ढाँचे की कुंजी होगी।