Sambhav-2025

दिवस- 54: "संसदीय प्रणाली का मूल सिद्धांत सामूहिक ज़िम्मेदारी है।" इस सिद्धांत को भारत में कैसे लागू किया जाता है और इसका शासन पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस पर चर्चा कीजिये।(250 शब्द)

01 Feb 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारत में सामूहिक उत्तरदायित्व और उसके संवैधानिक आधार को परिभाषित करते हुए परिचय दीजिये।
  • भारतीय संसदीय प्रणाली में सामूहिक उत्तरदायित्व किस प्रकार कार्य करता है, इसकी व्याख्या कीजिये।
  • तर्कों को पुष्ट करने के लिये उदाहरणों, केस कानूनों और संवैधानिक प्रावधानों के साथ इसके लाभ एवं चुनौतियों सहित शासन पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष निकालिये।

परिचय:

सामूहिक ज़िम्मेदारी संसदीय प्रणाली की एक बुनियादी विशेषता है, जो सुनिश्चित करती है कि मंत्रिपरिषद एक एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करे। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) में यह कहा गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है, जिसका तात्पर्य है कि सरकार को एक समग्र इकाई के रूप में कार्य करना चाहिये और किसी भी नीतिगत निर्णय से सभी मंत्रियों पर समान रूप से बाध्यता होगी।

मुख्य भाग:

भारत में सामूहिक उत्तरदायित्व कैसे संचालित होता है:

  • सभी मंत्रियों पर बाध्यकारी कैबिनेट निर्णय:
    • यदि कोई मंत्री असहमत भी हो तो भी उसे सार्वजनिक रूप से सरकार के निर्णयों का समर्थन करना चाहिये।
    • उदाहरण: जनता की चिंताओं को दूर करने के लिये संसद में सरकार ने सामूहिक रूप से अग्निपथ योजना (2022) की शुरुआत का बचाव किया।
  • मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है:
    • यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो समग्र मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है।
    • उदाहरण: अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार (1999) अविश्वास प्रस्ताव में मात्र एक वोट से हारने के बाद गिर गई।
      • इससे यह स्पष्ट होता है कि संसद में सरकार की विफलता का अर्थ है संपूर्ण मंत्रिपरिषद का इस्तीफा, न कि केवल एक व्यक्ति का।
  • मंत्रिमंडल के नेता के रूप में प्रधानमंत्री की भूमिका:
    • प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के नेता के रूप में, नीतियों का समन्वय करते हैं, बैठकों की अध्यक्षता करते हैं, शासन का निर्देशन करते हैं, सामूहिक उत्तरदायित्व सुनिश्चित करते हैं, राष्ट्रपति को सलाह देते हैं तथा संसदीय लोकतंत्र में मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य करते हैं।
    • प्रधानमंत्री के इस्तीफे से संपूर्ण मंत्रिपरिषद स्वतः ही भंग हो जाती है

शासन पर प्रभाव:

  • लाभ:
    • जवाबदेही में वृद्धि: मंत्रियों को संसद में नीतियों की व्याख्या और बचाव करना चाहिये (प्रश्नकाल, बहस, समितियाँ, अविश्वास प्रस्ताव और संसदीय रिपोर्ट)।
      • उदाहरण: दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (2016) पर संसदीय बहस ने इसके अधिनियमन से पहले जवाबदेही तथा पारदर्शिता सुनिश्चित की।
    • कैबिनेट अनुशासन को मज़बूत करता है: मंत्रियों को सरकारी नीतियों का विरोध करने से रोकता है।
      • उदाहरण: GST कार्यान्वयन (2017) के लिये कई मंत्रालयों और राज्यों में संरेखण की आवश्यकता थी, जिससे कर संरचना में एकरूपता सुनिश्चित हो सके।
    • राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करता है: एकीकृत निर्णय लेने को बढ़ावा देता है और व्यक्तिगत मंत्रियों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने से रोकता है।
  • चुनौतियाँ:
    • सत्ता के केंद्रीकरण को बढ़ावा: मंत्रिमंडल निर्णय लेने में हावी हो सकता है, जिससे मंत्रिस्तरीय स्वायत्तता सीमित हो सकती है।
      • उदाहरण: कोविड-19 लॉकडाउन और आर्थिक राहत पैकेज बड़े पैमाने पर केंद्रीकृत निर्णय प्रक्रिया द्वारा संचालित थे, जिसमें राज्य-स्तरीय विवेकाधिकार सीमित था। 
    • मंत्रिस्तरीय स्वतंत्रता कमज़ोर होती है: सामूहिक ज़िम्मेदारी के कारण मंत्री कभी-कभी विस्तृत विचार-विमर्श के बिना ही नीतियों को लागू कर देते हैं।
      • उदाहरण: कृषि कानून (2020) और उनके निरसन (2021) ने आंतरिक परामर्श की आवश्यकता को प्रमुखता से उजागर किया है।
    • गठबंधन की राजनीति से उत्तरदायित्व कम होता है: गठबंधन में क्षेत्रीय दल सरकार पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
      • उदाहरण: महिला आरक्षण विधेयक (जो वर्ष 2023 में पारित किया गया था) को लागू करने में विलंब गठबंधन आधारित निर्णय लेने को दर्शाती है।

निष्कर्ष:

शासन में नीतिगत एकरूपता, स्थिरता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये सामूहिक ज़िम्मेदारी महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि इसे अधिक अंतर-कैबिनेट चर्चाओं, निर्णय लेने के विकेंद्रीकरण और विविध दृष्टिकोणों का सम्मान करते हुए लोकतांत्रिक शासन को बनाए रखने के लिये संसदीय निगरानी के साथ संतुलित किया जाना चाहिये।