दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रश्न के संदर्भ में उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- मौर्य साम्राज्य और समकालीन समाज के लिये अशोक के धम्म के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
अशोक की धम्म नीति नैतिक और आचारिक सिद्धांतों के समूह को संदर्भित करती है जिसे मौर्य सम्राट अशोक ने 268 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक अपने शासनकाल के दौरान अपनाया एवं प्रचारित किया। 13वें शिलालेख में युद्ध और हिंसा के बजाय धम्म द्वारा विजय के उनके विचार को व्यक्त किया गया है, अर्थात् दिग्विजय के बजाय धम्मविजय।
मुख्य भाग:
समकालीन प्रासंगिकता के साथ मौर्य साम्राज्य के लिये अशोक के धम्म का महत्त्व:
- सामाजिक नैतिकता:
- अशोक के लिये धम्म एक जीवन शैली थी और यह उच्च स्तर की सामाजिक नैतिकता और नागरिक ज़िम्मेदारी पर आधारित थी। धम्म का उद्देश्य समाज के प्रत्येक सदस्य तक पहुँचना था जिसके लिये अशोक ने अधिकारियों का एक अलग कैडर बनाया जिसे 'धम्म-महामाता' के नाम से जाना जाता था।
- राजनीतिक एकता और स्थिरता:
- अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और अहिंसा एवं सहिष्णुता के सिद्धांतों का प्रचार किया। विचारधारा में इस बदलाव ने विविध मौर्य साम्राज्य के भीतर आंतरिक स्थिरता और एकता बनाए रखने में मदद की।
- प्रशासनिक सुधार:
- अशोक के धम्म ने नीतियों और कानूनों के निर्माण को प्रभावित किया। साम्राज्य भर में स्तंभों और चट्टानों पर खुदे हुए शिलालेखों ने न्यायपूर्ण एवं मानवीय शासन के लिये दिशा-निर्देश प्रदान किये।
- धार्मिक सहिष्णुता:
- अशोक ने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया और धार्मिक उत्पीड़न को हतोत्साहित किया। इस नीति ने सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा दिया और धार्मिक मतभेदों के आधार पर संघर्षों को कम किया।
- अशोक के धम्म के सिद्धांत समकालीन समाज में नैतिक शासन के लिये आधारशिला के रूप में काम कर सकते हैं। ये सिद्धांत सरकारों को न्याय, करुणा और नैतिक ज़िम्मेदारी पर बल देने के लिये प्रेरित कर सकते हैं।
- पर्यावरणीय प्रबंधन:
- अशोक के धम्म में पर्यावरण संरक्षण के निर्देश शामिल थे। आज के बढ़ते पर्यावरण संबंधी चिंताओं के संदर्भ में, ये सिद्धांत स्थायी और ज़िम्मेदार प्रथाओं को प्रेरित कर सकते हैं।
- वैश्विक नागरिकता:
- संकीर्ण सीमाओं से भिन्न दृष्टिकोण वाले और वैश्विक ज़िम्मेदारी की भावना को अपनाने वाले नैतिक एवं न्यायपूर्ण शासक के विचार को वैश्विक नागरिकता की अवधारणा के अग्रदूत के रूप में देखा जा सकता है। यह राष्ट्रीय हितों से परे एक व्यापक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है।
निष्कर्ष:
अशोक के धम्म का मौर्य साम्राज्य पर गहरा प्रभाव पड़ा, लेकिन इसका स्थायी महत्त्व समकालीन दुनिया में नैतिक शासन, सामाजिक सद्भाव और ज़िम्मेदार नागरिकता को प्रेरित करने की इसकी क्षमता में निहित है। करुणा, अहिंसा और न्याय के सिद्धांत विभिन्न संस्कृतियों और समयों में गूँजते रहते हैं।