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Sambhav-2025

  • 22 Mar 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    दिवस- 93: भारत की सीमा सुरक्षा को सुदृढ़ करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका का आकलन कीजिये और इससे जुड़ी संभावित चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय में, भारत की सीमा सुरक्षा चुनौतियों और उनके समाधान में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • प्रमुख सीमा सुरक्षा चुनौतियों, तकनीकी हस्तक्षेपों और उनके प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारत सात देशों के साथ 15,106 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा और 7,516 किलोमीटर लंबी तटरेखा साझा करता है, जिससे सीमा सुरक्षा जटिल एवं बहुआयामी हो जाती है। घुसपैठ, तस्करी, अवैध प्रवास, साइबर युद्ध और ड्रोन घुसपैठ जैसे खतरों के लिये प्रभावी निगरानी एवं बचाव के लिये उन्नत तकनीकी समाधानों की आवश्यकता होती है। निगरानी प्रणाली, AI-संचालित खुफिया जानकारी, ड्रोन और उपग्रह निगरानी को एकीकृत करने से भारत की सीमा सुरक्षा काफी मज़बूत हुई है।

    मुख्य भाग:

    तकनीकी हस्तक्षेप और उनका प्रभाव:

    • स्मार्ट फेंसिंग और निगरानी प्रणाली
      • व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) चौबीसों घंटे निगरानी के लिये रडार, थर्मल इमेजिंग, मोशन सेंसर और लेज़र फेंसिंग को एकीकृत करती है।
      • उदाहरण: बोल्ड-QIT परियोजना असम के धुबरी में भारत-बांग्लादेश सीमा को सुरक्षित करती है तथा नदी सुरक्षा संबंधी कमियों को दूर करती है।
    • ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहन (UAV)
      • हेरोन, रुस्तम और स्विच ड्रोन जैसे UAV वास्तविक समय की निगरानी एवं उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की टोह लेने में सहायता करते हैं।
      • उदाहरण: कश्मीर में तैनात गरुड़ ड्रोनों ने आतंकवादियों की ट्रैकिंग और प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार किया है।
    • उपग्रह निगरानी और GIS मानचित्रण
      • इसरो के रीसैट और कार्टोसैट उपग्रह सीमा निगरानी के लिये उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग, रात्रि दृष्टि एवं स्थलाकृतिक मानचित्रण प्रदान करते हैं।
      • उदाहरण: RISAT-2 ने वर्ष 2020 के गलवान संघर्ष के दौरान चीनी सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखने में मदद की थी
    • AI, बिग डेटा और पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण
      • AI-संचालित चेहरे की पहचान, बायोमेट्रिक सत्यापन और गति पैटर्न विश्लेषण सुरक्षा जाँच को बढ़ाते हैं।
      • पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण ऐतिहासिक डेटा के आधार पर संभावित तस्करी और घुसपैठ मार्गों की पहचान करने में मदद करता है।
    • साइबर सुरक्षा और एन्क्रिप्टेड संचार
      • सामरिक संचार प्रणाली (TCS) और रक्षा संचार नेटवर्क (DCN) जैसे उन्नत सुरक्षित नेटवर्क हैकिंग एवं खुफिया जानकारी लीक होने से रोकते हैं।
      • उदाहरण: IB, रॉ और BSF के बीच वास्तविक समय समन्वय से खुफिया जानकारी साझा करने की दक्षता में सुधार हुआ है
    • समुद्री निगरानी और तटीय रडार नेटवर्क
      • स्वचालित पहचान प्रणालियाँ (AIS), तटीय रडार शृंखलाएँ और सोनार पहचान प्रणालियाँ समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करती हैं।
      • उदाहरण: राष्ट्रीय स्वचालित पहचान प्रणाली (NAIS) भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) पर संदिग्ध गतिविधि की निगरानी करती है।

    सीमा सुरक्षा के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग में उभरती चुनौतियाँ:

    • उन्नत प्रौद्योगिकियों की उच्च लागत के कारण बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन कठिन हो जाता है, विशेष रूप से दूर-दराज़ और कठिन इलाकों में।
    • स्वदेशी क्षमता सीमित होने के कारण विदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी आयात पर निर्भरता बढ़ रही है।
    • GPS सिग्नल को जाम करना, निगरानी प्रणालियों को हैक करना और ड्रोन झुंड जैसे विरोधी प्रतिवाद
    • AI-आधारित सुरक्षा प्रणालियों, डेटा विश्लेषण और साइबर रक्षा प्रौद्योगिकियों को संभालने के लिये कुशल कर्मियों की कमी।
    • खरीद और कार्यान्वयन में नौकरशाही देरी, प्रौद्योगिकी उन्नयन में देरी।

    निष्कर्ष:

    प्रौद्योगिकी ने भारत की सीमा सुरक्षा में क्रांति ला दी है, निगरानी, ​​खुफिया जानकारी और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाया है। स्वदेशी नवाचार और रणनीतिक निवेश के माध्यम से साइबर खतरों, उच्च लागत एवं परिचालन चुनौतियों पर काबू पाना दीर्घकालिक सुरक्षा प्रभावशीलता के लिये महत्त्वपूर्ण है।

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