21 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आंतरिक सुरक्षा
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में बौद्ध धर्म के संदर्भ में 'लाल संप्रदाय' और इसके महत्त्व को दर्शाया गया है।
- लाल को सुरक्षा के लिये खतरा माना जाता है।
- शासन की विफलताएँ किस प्रकार के बौद्धवाद को बढ़ावा दे रही हैं।
- आगे बढ़ने के सुझाव और निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
लाल गलियारा भारत के उन क्षेत्रों को चिह्नित करता है जो उग्रवाद (LWE) से काफी प्रभावित हैं, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से अनुयायी समूह करते हैं। ये हैं छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार और महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश के कुछ प्रमुख क्षेत्र जिनमें कई राज्य शामिल हैं। जबकि उग्रवाद को अक्सर एक गंभीर सुरक्षा चुनौती के रूप में देखा जाता है, दशकों से यह शासन, सामाजिक-आर्थिक न्याय और अधिकार वितरण में गहरी विफलता का संकेत देता है।

मुख्य भाग:
सुरक्षा के लिये खतरे के रूप में लाल स्टॉक को सूचीबद्ध करें
- हिंसा और उग्रवाद: जमातवादी सुरक्षा बलों पर हमले करने और राज्य की गतिविधियों को बाधित करने के लिये गुरिल्ला युद्ध, घाटों पर आक्रमण एवं बारूदी सुरंगों का उपयोग करते हैं।
- प्रमुख हमले:
- दाँते व्हीअटैक (2010): छत्तीसगढ़ में गॉड के 76 युवा शहीद।
- सुकामा हमला (2017): 25 जवान शहीद।
- मित्रवत अनुयायियों का लक्ष्य हिंसा और ज़बरदस्ती के माध्यम से समांतर प्रशासन स्थापित करना है।
- विश्विद्यालयों को प्राय: संस्थागत बनाया जाता है, जिससे शासन की साख कम हो जाती है।
- दलितवादी "जनता सरकार" की स्थापना होती है, कर और क्षेत्रीय स्तर लागू होते हैं एवं राज्य को सीधे-सीधे अपनी चुनौती देते हैं।
- आर्थिक विकास में बाधा: राज्य की उपस्थिति को रोकने के लिये राजमार्गों, पुलों और ढलानों जैसे ढाँचों पर हमला किया जाता है।
- इस्लामिक स्टेट (वैकल्पिक) को निवेश करने से रोका जाता है।
- कारखानों और औद्योगिक इंजीनियरिंग की मुहर लगने से आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होती है।
शासन की विफलताओं में छात्रावासवाद को बढ़ावा दे रही हैं
- आर्थिक वंचना और असमानता: वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में गरीबी का स्तर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है।
- नक्सलवाद अविकसित क्षेत्रों में पनपता है जहाँ गरीबी दर अधिक है।
- रोज़गार या औद्योगीकरण न होने के कारण युवा नक्सली समूहों द्वारा भर्ती किये जाने के प्रति संवेदनशील बने हुए हैं।
- भूमि एवं वन अधिकार मुद्दे: खनन परियोजनाओं, औद्योगिकीकरण और वनों की कटाई के कारण भूमि हस्तांतरण एवं विस्थापन ने विशेष रूप से आदिवासी समुदायों को प्रभावित किया है।
- वन अधिकार अधिनियम, 2006 को पूरी तरह से लागू करने में विफलता, जो आदिवासियों को वनों के प्रबंधन और उपयोग का अधिकार प्रदान करता है, उनके अलगाव को बढ़ाती है।
- शक्तिशाली संस्थाओं द्वारा शोषण: जनजातीय समुदायों का अक्सर ज़मींदारों, साहूकारों और खनन कंपनियों द्वारा शोषण किया जाता है।
- नक्सलवादी स्वयं को इस शोषण के विरुद्ध रक्षक के रूप में स्थापित करते हैं तथा प्रभावित लोगों से समर्थन प्राप्त करते हैं।
- कमज़ोर शासन और बुनियादी ढाँचे का अभाव: नक्सलवाद उन क्षेत्रों में प्रचलित है जहाँ कमज़ोर सरकारी उपस्थिति और अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे, जैसे खराब सड़कें एवं संचार नेटवर्क हैं।
- इससे नक्सलवादियों को अपेक्षाकृत आसानी और न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ काम करने में मदद मिलती है।
आगे की राह
- शासन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना और समावेशी विकास
- बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाएँ: एक व्यापक रणनीति अपनाएँ जो सामाजिक-आर्थिक विकास, संवाद और लक्षित सैन्य कार्रवाई को सम्मिलित करती हो।
- समाधान रणनीति वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिये भारत सरकार का एक व्यापक दृष्टिकोण है।
- अंतिम छोर तक लाभ पहुँचाने में सुधार: कल्याणकारी योजनाओं में लीकेज को कम करने के लिये प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) सुनिश्चित करना।
- जनजातीय अधिकार संरक्षण:
- भूमि और वन संबंधी निर्णयों में स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाने के लिये ग्राम सभाओं को मज़बूत बनाना।
- वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अंतर्गत भूमि अधिकारों पर तेज़ी लाना।
- निष्पक्ष भूमि अधिग्रहण नीतियाँ:
- विस्थापित समुदायों के लिये उचित मुआवज़ा और पुनर्वास सुनिश्चित करना।
- समग्र उग्रवाद-विरोधी रणनीति
- समर्पण और पुनर्वास कार्यक्रम:
- "आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास योजना" का विस्तार, जो आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 5 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान:
- युवाओं में कट्टरपंथ को कम करने के लिये वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ाना।
- सामुदायिक सहभागिता और नागरिक समाज की भागीदारी
- स्वयं सहायता समूहों (SHG) को सशक्त बनाना: महिलाओं के नेतृत्व वाले सहकारी आंदोलनों को बढ़ावा देना।
- चरमपंथी दुष्प्रचार का मुकाबला करना: शांति कथाओं को बढ़ावा देने के लिये मीडिया, स्थानीय प्रभावशाली लोगों और सामाजिक पहलों का उपयोग करना।
निष्कर्ष:
विकास को नक्सलवाद के खिलाफ पहली रक्षा पंक्ति होना चाहिये। दशकों से चली आ रही आर्थिक उपेक्षा, भूमि अलगाव, राजनीतिक बहिष्कार और बुनियादी सेवाओं की कमी ने नक्सलवाद को बढ़ावा दिया है। दीर्घकालिक समाधान के लिये संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें प्रभावी शासन, आर्थिक विकास और लक्षित सुरक्षा उपायों को एकीकृत किया जाना चाहिये।