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07 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस- 83: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इसे रिसाव और अक्षमताओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसकी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिये क्या सुधार किये जा सकते हैं? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय में, संक्षेप में PDS, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी भूमिका की व्याख्या कीजिये।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के महत्त्व, चुनौतियों और सुधार पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत भारत की दो-तिहाई आबादी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि इसके महत्त्व के बावजूद, आवंटित भोजन का 28% कभी भी लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाता है, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान और अक्षमताएँ होती हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये पारदर्शिता, दक्षता और पोषण सुरक्षा बढ़ाने के लिये संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है।
मुख्य भाग:
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का महत्त्व:
- खाद्य सुरक्षा एवं गरीबी उन्मूलन: अत्यधिक गरीबी में रहने वाले 129 मिलियन भारतीयों को सब्सिडीयुक्त भोजन उपलब्ध कराकर सहायता प्रदान करता है।
- मूल्य स्थिरीकरण और बाज़ार विनियमन: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करता है, जैसा कि वर्ष 2022-23 में देखा गया जब FCI ने बाज़ार मूल्यों को स्थिर करने के लिये 34.82 लाख टन गेहूँ जारी किया।
- किसानों को सहायता: सुनिश्चित बाज़ार और MSP प्रदान किया गया; वर्ष 2023-24 में 52.54 मिलियन टन चावल की खरीद की गई।
- पोषण सुरक्षा और स्वास्थ्य: कुछ राज्यों (जैसे- तमिलनाडु जिसमें फोर्टिफाइड चावल है) ने दालों और तेलों को शामिल करने के लिये PDS का विस्तार किया है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के समक्ष चुनौतियाँ:
- रिसाव और डायवर्सन:
- 90% उचित मूल्य की दुकानों (FPS) में POS मशीन के उपयोग के बावजूद, आवंटित खाद्यान्न का 28% अवैध बाज़ार विचलन के कारण नष्ट हो जाता है।
- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और गुजरात जैसे राज्यों में सबसे अधिक लीकेज की रिपोर्ट है।
- छद्म लाभार्थी और पहचान धोखाधड़ी:
- आधार एकीकरण के बावजूद 47 मिलियन फर्जी राशन कार्ड रद्द (2013-2021)।
- अकेले ओडिशा में 2 लाख फर्जी लाभार्थी थे (RTI, 2021)।
- गुणवत्ता ह्रास और भंडारण हानि:
- खराब भंडारण के कारण प्रतिवर्ष 74 मिलियन टन खाद्यान्न नष्ट हो जाता है, जो भारत के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 10% है।
- लक्ष्यीकरण त्रुटियाँ और बहिष्करण-समावेश मुद्दे:
- 12.9% भारतीय अत्यधिक गरीबी में रहते हैं, लेकिन PDS PMGKAY के तहत लगभग 57% आबादी को कवर करता है, जिसके कारण ज़रूरतमंदों को पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता है।
- उचित मूल्य की दुकानों में भ्रष्टाचार:
- उचित दर दुकानों में अनियमितताओं में कम वज़न, अधिक कीमत वसूलना और धोखाधड़ी शामिल हैं, TPDS (नियंत्रण) आदेश, 2015 के तहत वर्ष 2018-2020 के बीच 19,410 कार्रवाई की गई।
- बढ़ता राजकोषीय बोझ:
- वर्ष 2024-25 के लिये खाद्य सब्सिडी बिल ₹2,05,250 करोड़ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7% अधिक है, जिससे सरकारी वित्त प्रभावित होगा।
- पोषण अपर्याप्तता:
- PDS मुख्य रूप से गेहूँ और चावल प्रदान करता है, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की उपेक्षा करता है।
- ओडिशा के बाजरा मिशन (OMM) ने पोषक तत्त्वों से भरपूर बाजरे को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सफलतापूर्वक शामिल कर लिया है, जो एक आदर्श उदाहरण है।
अधिक प्रभावी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिये सुधार:
- एंड-टू-एंड डिजिटलीकरण और वास्तविक समय निगरानी:
- खाद्यान्नों की आवाजाही पर नज़र रखने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और लीकेज को कम करने के लिये ब्लॉकचेन ट्रैकिंग तथा IoT सेंसर लागू करना।
- अनाधिकृत मार्ग परिवर्तन को रोकने के लिये सरकारी खाद्य आपूर्ति वाहनों के लिये GPS-सक्षम परिवहन ट्रैकिंग का उपयोग करें।
- भ्रष्टाचार और चोरी पर अंकुश लगाने के लिये भंडारण और वितरण बिंदुओं पर AI-आधारित धोखाधड़ी पहचान प्रणालियों को अनिवार्य बनाया जाए।
- स्मार्ट FPS परिवर्तन:
- धोखाधड़ी को रोकने और निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित करने के लिये बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, डिजिटल तराजू और इलेक्ट्रॉनिक POS मशीनों के साथ FPS को अपग्रेड करें।
- नकदी रहित लेन-देन और बढ़ी हुई पारदर्शिता के लिये UPI और आधार-लिंक्ड भुगतान को सक्षम बनाना।
- उपभोक्ताओं को मोबाइल ऐप्स के माध्यम से प्रामाणिकता सत्यापित करने में मदद करने के लिये QR कोड-आधारित खाद्य गुणवत्ता प्रमाणन शुरू करना।
- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ONORC) को मज़बूत करना:
- विभिन्न राज्यों में प्रवासी श्रमिकों के लिये निर्बाध राशन पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करना, जिससे खाद्य असुरक्षा को रोका जा सके।
- दोहराव और धोखाधड़ी को खत्म करने के लिये एक केंद्रीकृत वास्तविक समय लाभार्थी डाटाबेस विकसित करें।
- मौसमी प्रवासियों के लिये सब्सिडी वाले भोजन तक निर्बाध पहुँच बनाए रखने हेतु अस्थायी राशन पंजीकरण को लागू करना।
- भंडारण अवसंरचना आधुनिकीकरण:
- खाद्यान्न की बर्बादी को कम करने और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये पारंपरिक गोदामों को तापमान नियंत्रित साइलो में अपग्रेड करें।
- खराबी, कीटों और संदूषण का शीघ्र पता लगाने के लिये AI-संचालित अनाज गुणवत्ता निगरानी की स्थापना करें।
- आधुनिक भंडारण अवसंरचना विकसित करने और आपूर्ति शृंखला दक्षता में सुधार करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को प्रोत्साहित करें।
- पोषण सुरक्षा एवं विविधीकरण का विस्तार:
- कुपोषण और छिपी हुई भूख को दूर करने के लिये PDS का विस्तार कर इसमें दालें, फोर्टिफाइड चावल, खाद्य तेल और बाजरा को शामिल किया जाना चाहिये।
- लक्षित पोषण सुनिश्चित करने के लिये गर्भवती महिलाओं और बच्चों जैसे कमज़ोर समूहों के लिये ई-रुपी आधारित खाद्य वाउचर लागू करें।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आहार विविधता बढ़ाने के लिये ओडिशा के बाजरा मिशन जैसी राज्य-नेतृत्व वाली पहलों को बढ़ावा देना।
- संकट प्रतिक्रिया और आपातकालीन वितरण को बढ़ाना:
- आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सेवा प्रदान करने के लिये डिजिटल राशन वितरण के साथ मोबाइल PDS इकाइयाँ तैनात करें।
- त्वरित प्रतिक्रिया के लिये आपदा-प्रवण क्षेत्रों में आपातकालीन खाद्य भंडार स्थापित करें।
- सूखे या महामारी जैसे संकटों के दौरान आवंटन बढ़ाने के लिये सतत् राशन कोटे लागू करें।
निष्कर्ष:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन इसकी दीर्घकालिक प्रभावशीलता के लिये रिसाव, अक्षमताओं और पोषण संबंधी कमियों को दूर करना आवश्यक है। डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने, भंडारण को आधुनिक बनाने, खाद्य टोकरियों में विविधता लाने और शासन को मज़बूत करने से भारत के लिये एक पारदर्शी, कुशल तथा समावेशी खाद्य सुरक्षा प्रणाली बनाने में मदद मिलेगी।