Sambhav-2025

दिवस- 84: उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना भारत के विनिर्माण क्षेत्र के परिवर्तन में कितनी प्रभावी रही है? इसकी सफलता, चुनौतियों और संभावित सुधारों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

08 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बदलने में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना की भूमिका का विश्लेषण कीजिये।
  • चुनौतियों और सीमाओं पर प्रकाश डालिये।
  • अंत में, सुधार का सुझाव दीजिये।

परिचय:

भारत सरकार ने वर्ष 2020 में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना की शुरुआत घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने, विदेशी निवेश आकर्षित करने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से की थी। यह योजना 14 प्रमुख क्षेत्रों को शामिल करते हुए भारत को आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखती है।

मुख्य भाग:

भारत के विनिर्माण क्षेत्र में परिवर्तन लाने में PLI योजना की भूमिका:

  • घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा: PLI योजना घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देती है, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर जैसे उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों में।
  • भारत विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है, जिसे उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना से उत्पादन में वृद्धि का अनुभव हो रहा है।
  • रोज़गार सृजन: इस योजना से विभिन्न क्षेत्रों में 60 लाख से अधिक रोज़गार (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) सृजित होने का अनुमान है।
    • उदाहरण:
      • वस्त्र उद्योग: PLI योजना ने बड़े पैमाने पर रोज़गार को बढ़ावा दिया है, विशेष रूप से तमिलनाडु, गुजरात और उत्तर प्रदेश में।
  • FDI आकर्षित करना और निवेश वृद्धि: इस योजना ने भारत को विदेशी निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाया है, जिससे प्रमुख उद्योगों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह बढ़ा है।
    • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं में नवंबर 2023 तक 1.03 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश होगा।
  • आयात प्रतिस्थापन और निर्यात संवर्द्धन: PLI योजना विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और सौर पैनलों में चीनी आयात पर निर्भरता को कम करती है।
    • उदाहरण:
  • सक्रिय औषधि अवयव (API): भारत API के लिये चीन पर 80% निर्भर था, लेकिन PLI ने घरेलू उत्पादन को पुनर्जीवित किया है।
  • प्रमुख क्षेत्रों को मज़बूत करना और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाना
    • PLI योजना हरित ऊर्जा, श्वेत वस्तुओं (AC और LED) और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर केंद्रित है।
    • उदाहरण:
      • इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी के लिये PLI: बैटरी निर्माण के लिये 45,000 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की गई।

PLI योजना की चुनौतियाँ और आलोचना

  • सीमित क्षेत्रीय कवरेज: इस योजना में चमड़ा, हस्तशिल्प और फर्नीचर जैसे कुछ श्रम-गहन उद्योग शामिल नहीं हैं, जो बड़े पैमाने पर रोज़गार उत्पन्न कर सकते हैं।
  • उच्च पूंजी आवश्यकताएँ और MSME बहिष्करण: इस योजना से बड़ी कंपनियों को लाभ मिलता है, लेकिन इसकी उच्च निवेश सीमा के कारण MSME के लिये प्रवेश बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
  • कार्यान्वयन और संवितरण में विलंब: कई क्षेत्रों में धीमी स्वीकृति प्रक्रिया और निधि संवितरण में देरी देखी गई है।
  • वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भरता: योजना के उद्देश्य के बावजूद, भारत अभी भी प्रमुख कच्चे माल के लिये आयात पर निर्भर है।
    • उदाहरण: वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी ने भारत के ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों को प्रभावित किया, जिससे मज़बूत घरेलू आपूर्ति शृंखला की आवश्यकता सामने आई।
  • बाज़ार विकृति का जोखिम: प्रोत्साहनों का असमान वितरण बड़ी कंपनियों के पक्ष में होता है, जबकि छोटे निर्माताओं को प्रतिस्पर्द्धा करने में संघर्ष करना पड़ता है।

निष्कर्ष:

PLI योजना भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने, रोज़गार सृजन और विदेशी निवेश आकर्षित करने में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है। हालाँकि समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये कार्यान्वयन अंतराल और क्षेत्रीय सीमाओं को संबोधित करने की आवश्यकता है। कवरेज का विस्तार करके, MSME का समर्थन करके और आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत करके, भारत विनिर्माण तथा निर्यात में एक वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है।