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10 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
पर्यावरण
दिवस-85: पारिस्थितिकी तंत्र में पोषक तत्त्वों के चक्र की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिये। कार्बन और नाइट्रोजन चक्र पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बनाए रखने में किस प्रकार सहायक होते हैं? विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- पोषक तत्त्व पुनर्चक्रण की सामान्य प्रक्रिया को संक्षेप में समझाइये।
- पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता में कार्बन और नाइट्रोजन चक्रों के योगदान पर चर्चा कीजिये।
- उचित रूप से निष्कर्ष निकालिये।
परिचय:
पोषक चक्र वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कार्बन और नाइट्रोजन जैसे आवश्यक तत्त्व किसी पारिस्थितिकी तंत्र के जैविक (जीवित) तथा अजैविक (निर्जीव) घटकों के बीच स्थानांतरित होते हैं। यह चक्र जीवन के लिये आवश्यक पोषक तत्त्वों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करता है, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखता है और जैवविविधता का समर्थन करता है।
मुख्य भाग:
कार्बन और नाइट्रोजन चक्र का योगदान:
- कार्बन चक्र: कार्बन चक्र पर्यावरण में कार्बन के प्रवाह को नियंत्रित करता है, जिससे ऊर्जा संचरण और जलवायु संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलती है।
- प्रमुख प्रक्रियाएँ:
- प्रकाश संश्लेषण: पौधे वायुमंडल से CO₂ को अवशोषित करते हैं और इसे ग्लूकोज़ में परिवर्तित करते हैं, जिसका उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है।
- श्वसन: पौधे और जानवर दोनों श्वसन के माध्यम से CO₂ को वायुमंडल में वापस छोड़ते हैं।
- अपघटन: मृत जीव अपघटित होकर मिट्टी और वायुमंडल में कार्बन छोड़ते हैं।
- दहन: जीवाश्म ईंधन के जलने से वायुमंडल में कार्बन की महत्त्वपूर्ण मात्रा उत्सर्जित होती है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देती है।
- स्थिरता में योगदान:
- कार्बन चक्र जलवायु विनियमन के लिये आवश्यक है, क्योंकि यह वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को नियंत्रित करता है तथा वैश्विक तापमान में अत्यधिक परिवर्तन को रोकता है।
- महासागर मानव-जनित CO2 उत्सर्जन का लगभग 30% अवशोषित करते हैं तथा कार्बन संतुलन को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- अमेज़न वर्षावन, जिसे अक्सर "पृथ्वी के फेफड़े" के रूप में संदर्भित किया जाता है, प्रतिवर्ष लगभग 2 बिलियन मीट्रिक टन CO₂ को अवशोषित करता है, जो कार्बन अवशोषण में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
- यह बायोमास उत्पादन को भी बढ़ावा देता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र में खाद्य जाल का आधार बनता है।
- हालाँकि वनों की कटाई वैश्विक CO2 उत्सर्जन में लगभग 10% का योगदान देती है, क्योंकि वृक्ष बड़ी मात्रा में कार्बन जमा करते हैं जो वृक्षों को काटने पर निकलता है।
- नाइट्रोजन चक्र: यह नाइट्रोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करता है, जो पौधों और जानवरों के लिये एक आवश्यक पोषक तत्त्व है, खासकर प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- प्रमुख प्रक्रियाएँ:
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण: राइजोबियम बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव वायुमंडलीय नाइट्रोजन (N₂) को अमोनिया (NH₃) में परिवर्तित कर देते हैं, जिससे यह पौधों द्वारा उपयोग योग्य हो जाता है।
- नाइट्रीकरण: नाइट्रिफाइंग बैक्टीरिया द्वारा अमोनिया को नाइट्रेट्स (NO₃⁻) में परिवर्तित किया जाता है, जिसे पौधे अवशोषित कर लेते हैं।
- आत्मसातीकरण: पौधे नाइट्रेट्स को अवशोषित करते हैं और उन्हें कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित करते हैं।
- अमोनीकरण और विनाइट्रीफिकेशन: अपघटक कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हैं, नाइट्रोजन को मिट्टी में वापस भेजते हैं और बैक्टीरिया नाइट्रेट्स को वापस नाइट्रोजन गैस (N₂) में परिवर्तित करते हैं, जिससे चक्र पूरा हो जाता है।
- स्थिरता में योगदान:
- नाइट्रोजन चक्र मृदा की उर्वरता को बनाए रखता है और पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देता है, जो बदले में संपूर्ण खाद्य जाल को बनाए रखता है।
- यह कृषि उत्पादकता में मदद करता है तथा मनुष्यों और पशुओं के लिये भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
- 1960 के दशक में हरित क्रांति ने नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों के उपयोग के माध्यम से कृषि उत्पादकता में वृद्धि की, जिससे दुनिया भर में अरबों लोगों को भोजन मिला।
- हालाँकि नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मृदा अम्लीकरण, जल प्रदूषण और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में सुपोषण की समस्या उत्पन्न हो गई है।
निष्कर्ष
कार्बन और नाइट्रोजन चक्र पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बनाए रखने के लिये मौलिक हैं। वे जलवायु नियंत्रण, खाद्य उत्पादन और मिट्टी की उर्वरता जैसी प्रमुख प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये, भविष्य की पीढ़ियों के लिये इन आवश्यक चक्रों को बनाए रखने के लिये उत्सर्जन को कम करने, जंगलों की रक्षा करने और उर्वरकों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने जैसी सतत् प्रथाओं को अपनाना महत्त्वपूर्ण है।