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22 Feb 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस- 72: गरीबी केवल आय की कमी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षमताओं के अभाव को भी दर्शाती है। भारत के सामाजिक संरक्षण कार्यक्रमों की भूमिका को इस संदर्भ में विश्लेषित कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- गरीबी के प्रति अमर्त्य सेन के क्षमता दृष्टिकोण का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- भारतीय संदर्भ में क्षमताओं के अभाव पर चर्चा कीजिये।
- समझाइये कि भारत के सामाजिक संरक्षण कार्यक्रम किस प्रकार आय गरीबी और क्षमता वंचना दोनों का समाधान करते हैं।
- कुछ आँकड़ों और तथ्यों के साथ बिंदुओं को पुष्ट कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत में गरीबी एक बहुआयामी समस्या है, जो केवल आय की कमी तक सीमित न रहकर विभिन्न सामाजिक और आर्थिक अभावों तक विस्तृत है। जैसा कि अमर्त्य सेन के क्षमता दृष्टिकोण से पता चलता है, गरीबी केवल वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में भागीदारी के अवसरों तक पहुँच जैसी क्षमताओं से वंचित होना है।
मुख्य भाग:
भारतीय संदर्भ में क्षमताओं का अभाव:
- बहुआयामी गरीबी: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) 2024 के अनुसार, भारत में वैश्विक स्तर पर गरीबी में रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या है, जहाँ 23.4 करोड़ (234 मिलियन) व्यक्ति गरीब के रूप में वर्गीकृत हैं।
- शिक्षा: ASER 2023 के अनुसार, 14-18 आयु वर्ग के लगभग 25% छात्र अभी भी अपनी क्षेत्रीय भाषा में कक्षा II स्तर के पाठ को धाराप्रवाह पढ़ने में सक्षम नहीं हैं।
- स्वास्थ्य देखभाल: राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा, 2022 के अनुसार, भारत में कुल स्वास्थ्य व्यय का 39.4% हिस्सा जेब से किये जाने वाले खर्च (OOPE) के रूप में आता है, जिससे लाखों परिवार वित्तीय अस्थिरता और चिकित्सा जनित गरीबी का सामना करने के लिये मजबूर हो जाते हैं।
- रोज़गार: भारत का 92% कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में है (आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, 2022), जहाँ नौकरी की सुरक्षा और लाभ का अभाव है।
- पोषण और लैंगिक असमानता: NFHS-5 के अनुसार, भारत में 5 वर्ष से कम आयु के 35.5% बच्चे अविकसित हैं, जबकि महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर 37% पर बनी हुई है, जो पोषण और लैंगिक समावेशन दोनों में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों को दर्शाती है।
- भारत की लगभग 74% आबादी स्वस्थ आहार का खर्च वहन नहीं कर सकती। (FAO)
- राजनीतिक असमानता: गरीबी राजनीतिक असमानता को जन्म दे सकती है, जहाँ धनी व्यक्तियों या समूहों का नीति-निर्माण पर अधिक प्रभाव होता है।
- 18वीं लोकसभा के लिये चुने गए 543 सांसदों में से लगभग 504 या 93% करोड़पति हैं।
भारत में सामाजिक संरक्षण कार्यक्रम
- स्वास्थ्य एवं पोषण
- आयुष्मान भारत (PMJAY): इसमें प्रतिवर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपए का कवरेज दिया जाता है, लेकिन केवल 60% पात्र परिवारों को ही नामांकित किया गया है (2023)।
- पोषण अभियान: इसका लक्ष्य प्रतिवर्ष 3% की दर से कुपोषण को कम करना है, फिर भी 67% किशोरियाँ एनीमिया से ग्रस्त हैं (NFHS-5)।
- शिक्षा और कौशल विकास
- समग्र शिक्षा अभियान: इससे स्कूलों में नामांकन दर 96.7% तक पहुँच गई, लेकिन हाशिये पर पड़े समुदायों में ड्रॉपआउट दर अभी भी उच्च स्तर पर बनी हुई है।
- कौशल भारत मिशन: 12 मिलियन से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया, फिर भी कौशल-उद्योग बेमेल के कारण केवल 47% को ही रोज़गार मिला।
- रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा
- मनरेगा: वर्ष 2023 में 3.5 बिलियन कार्यदिवस प्रदान किये जाएंगे, फिर भी कई राज्यों में मज़दूरी न्यूनतम मज़दूरी स्तर से नीचे बनी हुई है।
- PM स्वनिधि: स्ट्रीट वेंडर्स को 7,300 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया, जिससे वित्तीय स्थिरता में सुधार हुआ।
- खाद्य एवं वित्तीय समावेशन
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम सब्सिडीयुक्त खाद्यान्न की आपूर्ति करती है, जिससे अत्यधिक भूखमरी के स्तर में कमी आती है। (नौकरशाही की अकुशलता के कारण 20% पात्र लाभार्थी इससे वंचित रह जाते हैं)।
- जन धन योजना: 51 करोड़ नए बैंक खाते खोले गए, जिससे वित्तीय समावेशन में वृद्धि हुई, लेकिन ऋण उपलब्धता अब भी सीमित बनी हुई है।
निष्कर्ष:
गरीबी उन्मूलन को आय-आधारित दृष्टिकोण से आगे बढ़कर कौशल, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के साथ व्यक्तियों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सुदृढ़ करना और बुनियादी सेवाओं की सार्वभौमिक उपलब्धता सुनिश्चित करना भारत को क्षमता वंचना के चक्र से बाहर निकालने में सहायक हो सकता है।