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Sambhav-2025

  • 18 Feb 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस- 68: नीति आयोग सहकारी संघवाद को मज़बूत करने में कैसे योगदान देता है? नीति-निर्माण प्रक्रिया में यह संघ और राज्यों के बीच संतुलन कैसे सुनिश्चित करता है? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नीति आयोग और सहकारी संघवाद में इसकी भूमिका का परिचय दीजिये।
    • उदाहरण सहित बताइये कि नीति आयोग सहकारी संघवाद को किस प्रकार बढ़ावा देता है।
    • चर्चा कीजिये कि यह नीति-निर्माण में संघ और राज्यों के हितों को किस प्रकार संतुलित करता है।
    • इसके प्रभाव का मूल्यांकन करके तथा सुधार के सुझाव के साथ निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    वर्ष 2015 में स्थापित नीति आयोग ने भागीदारीपूर्ण शासन, सहकारी संघवाद और डाटा-संचालित नीति-निर्माण को बढ़ावा देने तथा विकास के लिये संघ एवं राज्यों के बीच लचीला व रणनीतिक सहयोग सुनिश्चित करने के लिये योजना आयोग का स्थान लिया।

    मुख्य भाग:

    सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में नीति आयोग की भूमिका:

    • नीति-निर्माण में राज्य की भागीदारी के लिये मंच: यह एक सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करता है, जो राष्ट्रीय नीति निर्धारण में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करता है।
      • उदाहरण: गवर्निंग काउंसिल की बैठकें, जहाँ मुख्यमंत्री प्रमुख राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
    • राज्य-विशिष्ट और क्षेत्रीय नियोजन: राज्यों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियाँ तैयार करने की अनुमति देकर नीचे से ऊपर की ओर नियोजन को प्रोत्साहित करता है।
      • उदाहरण: आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP), जो स्थानीय चुनौतियों के आधार पर विकास रणनीतियों को अनुकूलित करता है।
    • प्रतिस्पर्द्धी संघवाद को बढ़ावा देना: राज्यों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के लिये रैंकिंग प्रणाली और प्रोत्साहन की शुरुआत की गई।
      • उदाहरण: व्यापार करने में आसानी सूचकांक, निर्यात तैयारी सूचकांक और स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (SEQI)
    • क्षेत्रीय नीति समन्वय: राज्यों और केंद्र सरकार के बीच क्षेत्र-विशिष्ट सहयोग को सुविधाजनक बनाता है। 
      • उदाहरण: पूर्वोत्तर के लिये नीति फोरम पूर्वोत्तर राज्यों में सतत् विकास को बढ़ावा देता है।
    • नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहन: ज्ञान-साझाकरण के माध्यम से राज्यों को नवीन शासन मॉडल अपनाने में सहायता करता है।
      • उदाहरण: अटल इनोवेशन मिशन (AIM) उद्यमशीलता और अनुसंधान-संचालित नीति समाधान को बढ़ावा देता है।
      • नीति आयोग का राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक राज्यों की वित्तीय स्थिरता का मूल्यांकन करके, विवेकपूर्ण नीतियों को बढ़ावा देकर और बेहतर राजकोषीय प्रबंधन के लिये स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर सहकारी संघवाद को बढ़ाता है।
    • क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता: राज्यों को डाटा-संचालित नीति समाधान और विशेषज्ञता प्रदान करता है।
      • उदाहरण: राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों को विकास सहायता सेवाएँ (DSSS) बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करती है।

    नीति-निर्माण में संघ और राज्यों के हितों में संतुलन:

    • सर्वसम्मति से संचालित निर्णय-निर्माण: यह सुनिश्चित करता है कि परामर्शी तंत्र के माध्यम से  राज्य और केंद्र के हित संरेखित हों।
      • उदाहरण: गवर्निंग काउंसिल, जहाँ GST सुधार और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं जैसी प्रमुख नीतियों पर राज्य की चिंताओं को संबोधित किया जाता है।
    • एकरूपी नीतियों से बचाव: राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखण सुनिश्चित करते हुए नीति कार्यान्वयन में लचीलापन प्रदान करता है।
      • उदाहरण: SDG इंडिया इंडेक्स, जो राज्यों को क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को स्थानीयकृत करने की अनुमति देता है।
    • नीतियों का क्रियान्वयन: योजना आयोग के विपरीत, नीति आयोग केंद्र द्वारा बनाई गई पंचवर्षीय योजनाओं पर लागू नहीं करता। इसके बजाय, यह राज्यों को नीति अनुकूलन में स्वायत्तता प्रदान करता है।
    • विकासात्मक प्राथमिकताओं में संतुलन: समान संसाधन आवंटन और लक्षित हस्तक्षेप सुनिश्चित करके संघ तथा राज्य के हितों को संबोधित किया जाता है। 
      • उदाहरण: राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) केंद्रीय निवेश प्राथमिकताओं को राज्य-विशिष्ट विकास परियोजनाओं के साथ संतुलित करती है।
    • वित्त एवं संसाधन आवंटन: यद्यपि इसमें वित्तीय शक्तियों का अभाव है, फिर भी नीति आयोग वित्त आयोग और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सहयोग के माध्यम से संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करने में भूमिका निभाता है।
    • अंतर्राज्यीय विवादों और क्षेत्रीय असंतुलनों से निपटना: यह आर्थिक नीतियों, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और पर्यावरण नियमों पर राज्यों की चिंताओं के समाधान में एक निष्पक्ष मध्यस्थ की भूमिका निभाता है।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को प्रोत्साहित करना: इससे केंद्र और राज्य सरकारों को बुनियादी ढाँचे तथा नवाचार के लिये निजी निवेश जुटाने में मदद मिलती है।
      • उदाहरण: स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिये नीति आयोग का सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल।

    निष्कर्ष:

    नीति आयोग ने राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा नीति-निर्माण में एक साथ काम करना सुनिश्चित करके सहकारी संघवाद को काफी मज़बूत किया है। विकेंद्रीकृत नियोजन, नवाचार और प्रतिस्पर्द्धी शासन पर इसके फोकस ने भारत में शासन की गतिशीलता को बदल दिया है। हालाँकि वित्तीय हस्तांतरण शक्तियों की कमी इसकी प्रभावशीलता को सीमित करती है। नीति आयोग को अपनी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये राज्य की स्वायत्तता को सशक्त बनाना, राजकोषीय समन्वय को मज़बूत करना और नीति क्रियान्वयन तंत्र में वास्तविक समय में सुधार करना चाहिये।

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