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12 Feb 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस- 63: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) समाज के हाशिये पर पड़े और वंचित वर्गों को न्याय सुलभ कराने में किस प्रकार सहायक है? इसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने के दृष्टिकोण:
- न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये NALSA और इसके संवैधानिक अधिदेश को संक्षेप में परिभाषित कीजिये।
- प्रासंगिक उदाहरणों और आँकड़ों का उपयोग करते हुए नालसा की भूमिका, प्रमुख पहल, प्रभाव, चुनौतियों और सुधारों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष निकालिये।
परिचय:
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत स्थापित राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) हाशिये पर पड़े और वंचित समूहों के लिये निशुल्क कानूनी सहायता सुनिश्चित करता है। अनुच्छेद 39A राज्य को न्याय की समान उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश देता है, ताकि आर्थिक और सामाजिक बाधाएँ न्यायिक प्रणाली तक पहुँच में रुकावट न बनें।
मुख्य भाग:
न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करना:
- निशुल्क कानूनी सहायता और प्रतिनिधित्व:
- नालसा अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), महिलाओं, बच्चों, विकलांग व्यक्तियों और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सेवाएँ प्रदान करता है।
- कानूनी सहायता में परामर्श, न्यायालय में प्रतिनिधित्व, मध्यस्थता और दस्तावेज़ीकरण सहायता शामिल है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति आर्थिक तंगी के कारण न्याय से वंचित न रहे।
- सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) के माध्यम से 50.33 लाख से अधिक लाभार्थियों को सलाह और कानूनी सहायता सेवाएँ प्राप्त हुई हैं।
- लोक अदालतें – शीघ्र एवं लागत प्रभावी न्याय:
- लोक अदालतें लंबित मामलों की संख्या कम करती हैं और वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) को बढ़ावा देती हैं, जिससे त्वरित तथा किफायती न्याय सुनिश्चित होता है।
- तीन प्रकार: राष्ट्रीय लोक अदालतें, राज्य लोक अदालतें और स्थायी लोक अदालतें, जो मुकदमे-पूर्व और लंबित मामलों को संभालती हैं।
- डाटा:
- राष्ट्रीय लोक अदालत: वर्ष 2024 में 10.45 करोड़ मामले, वर्ष 2023 में 8.53 करोड़ और वर्ष 2022 में 4.19 करोड़ मामले निपटाए जाएंगे।
- राज्य लोक अदालत: 12.07 लाख मामले (2023-24), 10.88 लाख (2024-25, नवंबर तक)।
- स्थायी लोक अदालत: वर्ष 2023-24 में 2.32 लाख मामले निपटाए जाएंगे।
- कानूनी जागरूकता और आउटरीच कार्यक्रम:
- कानूनी साक्षरता अभियान कमज़ोर समूहों को उनके अधिकारों, उपायों और कानूनी सहायता की उपलब्धता के बारे में शिक्षित करते हैं।
- अखिल भारतीय विधिक जागरूकता अभियान (2021) 6.7 लाख गाँवों और 4,100 नगरपालिका शहरों तक पहुँचा, जिससे 75 लाख व्यक्ति लाभान्वित हुए।
- मोबाइल कानूनी सहायता क्लिनिक और अर्द्ध कानूनी स्वयंसेवक (PLV) जैसी पहल ज़मीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाती हैं ।
- कमज़ोर समूहों के लिये लक्षित योजनाएँ:
- कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (LADCS): विचाराधीन कैदियों और गरीब वादियों के लिये मुफ्त कानूनी सहायता।
- तस्करी के पीड़ितों के लिये NALSA योजना (2015): पुनर्वास, कानूनी सहायता और मुआवज़ा सुनिश्चित करती है।
चुनौतियाँ एवं सुधार के क्षेत्र:
- सीमित जागरूकता: कई पात्र व्यक्ति मुफ्त कानूनी सहायता के अपने अधिकार के बारे में अनभिज्ञ रहते हैं।
- संसाधन की कमी: अपर्याप्त धन और कानूनी जनशक्ति के कारण NALSA की सेवाओं की पहुँच सीमित हो जाती है।
- दक्षता का मुद्दा: चुनौती NALSA, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों (NLSA) और ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरणों (DLSA) की दक्षता एवं क्षमता को बढ़ाने में निहित है, ताकि प्रभावी कार्यान्वयन तथा न्याय तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष:
NALSA ने मुफ्त कानूनी सहायता, लोक अदालतों और विशेष योजनाओं के माध्यम से न्याय तक पहुँच का काफी विस्तार किया है। हालाँकि डिजिटल कानूनी सेवाओं, जन-जागरूकता अभियानों और बुनियादी ढाँचे के विकास में अधिक निवेश की आवश्यकता है। एक प्रभावी कानूनी सहायता प्रणाली न केवल संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करती है, बल्कि सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने और भारत में लंबित मामलों के बोझ को कम करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।