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11 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
पर्यावरण
दिवस- 86: भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में संभावित अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय में, गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और इसके महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष निकालिये।
परिचय:
भारत की ऊर्जा सुरक्षा उसके आर्थिक विकास और स्थिरता लक्ष्यों के लिये महत्त्वपूर्ण है। सरकार ने अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने, ग्रिड स्थिरता में सुधार करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये कई योजनाएँ शुरू की हैं। जनवरी 2025 तक, भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता 217.62 गीगावाट तक पहुँच गई है, जो वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट के लक्ष्य की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
मुख्य भाग:
500 गीगावाट लक्ष्य प्राप्त करने के अवसर:
- प्रचुर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: भारत में सौर और पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता है, जनवरी 2025 तक सौर क्षमता 97 गीगावाट से अधिक होगी।
- पवन ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो उन्नत पवन मानचित्रण और स्थल पहचान के कारण 48 गीगावाट तक पहुँच गई है।
- मज़बूत नीतिगत ढाँचा और सरकारी समर्थन: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, PM-कुसुम और PM सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना जैसी पहल सौर अपनाने, ऊर्जा संक्रमण एवं हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था विकास को बढ़ावा देती हैं।
- राष्ट्रीय सौर मिशन (NSM) और हरित ऊर्जा गलियारा ग्रिड एकीकरण तथा नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार को सुविधाजनक बनाते हैं।
- बढ़ते निवेश और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: नवीकरणीय क्षेत्र ने महत्त्वपूर्ण निजी और वैश्विक निवेश आकर्षित किया है, जिसे व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) योजनाओं तथा उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) द्वारा प्रोत्साहित किया गया है।
- जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों तथा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) जैसे वैश्विक मंचों के साथ साझेदारी से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वित्तपोषण में वृद्धि होगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की लागत में कमी: सौर और पवन ऊर्जा की लागत में काफी कमी आई है, जिससे वे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में लागत-प्रतिस्पर्द्धी हो गई हैं।
- सरकारी सब्सिडी और कर प्रोत्साहन से सामर्थ्य में वृद्धि होती है, जिससे व्यापक पैमाने पर इसे अपनाया जाता है।
- अपतटीय पवन और हरित हाइड्रोजन क्षेत्रों का विस्तार: गुजरात और तमिलनाडु में अपतटीय पवन परियोजनाओं के लिये 7,453 करोड़ रुपए की मंज़ूरी विविधीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य 2030 तक 5 MMT तक पहुँचना है , जिससे नए औद्योगिक अवसर उत्पन्न होंगे।
500 गीगावाट लक्ष्य प्राप्त करने में चुनौतियाँ:
- ग्रिड एकीकरण और भंडारण चुनौतियाँ: नवीकरणीय ऊर्जा अस्थायी है, जिसके लिये बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण समाधान और स्मार्ट ग्रिड उन्नयन की आवश्यकता होती है।
- हरित ऊर्जा गलियारा कुशल विद्युत संचरण के लिये आवश्यक है, लेकिन इसका कार्यान्वयन धीमा है।
- उच्च पूंजी आवश्यकताएँ और वित्तपोषण अंतराल: 500 गीगावाट क्षमता प्राप्त करने के लिये पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है, जिसके लिये अनुमानित वित्तपोषण की आवश्यकता 200 बिलियन डॉलर से अधिक है।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्त्वपूर्ण है, लेकिन नीति स्थिरता और नियामक स्पष्टता को लेकर चिंताएँ बनी हुई हैं।
- भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: बड़े पैमाने पर सौर और पवन परियोजनाओं के लिये विशाल भूमि संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिसके कारण अधिग्रहण में बाधाएँ तथा पर्यावरणीय संघर्ष उत्पन्न होते हैं।
- पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में परियोजनाओं को स्थानीय समुदायों और पर्यावरण समूहों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।
- प्रमुख प्रौद्योगिकियों के लिए आयात पर निर्भरता: भारत अपने सौर पी.वी. मॉड्यूलों का 80% से अधिक आयात करता है, मुख्य रूप से चीन से, जिससे आपूर्ति शृंखला सुरक्षा प्रभावित होती है।
- बैटरी भंडारण के लिये आवश्यक लिथियम और कोबाल्ट जैसे महत्त्वपूर्ण खनिज घरेलू स्तर पर दुर्लभ बने हुए हैं।
- ऊर्जा भंडारण समाधानों को अपनाने में धीमी गति: बैटरी भंडारण और पंप हाइड्रो प्रणालियाँ नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति को संतुलित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन महँगी बनी हुई हैं।
- कुशल उपयोग के लिये उन्नत भंडारण प्रौद्योगिकियों और ग्रिड आधुनिकीकरण में निवेश की आवश्यकता है।
- नीति और विनियामक बाधाएँ: नीतियों में राज्य-स्तरीय भिन्नता अनिश्चितताएँ उत्पन्न करती हैं, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना अनुमोदन प्रभावित होता है।
- वित्तीय रूप से कमज़ोर डिस्कॉम (वितरण कंपनियाँ) नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के लिये संघर्ष करती हैं, जिससे विस्तार योजनाएँ प्रभावित होती हैं।
निष्कर्ष:
भारत का 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन लक्ष्य स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक बड़ा बदलाव दर्शाता है। ग्रिड एकीकरण, वित्तपोषण और भूमि चुनौतियों का समाधान सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है। घरेलू विनिर्माण, भंडारण समाधान और नीति स्थिरता को मज़बूत करने से अक्षय ऊर्जा एवं स्थिरता में भारत का नेतृत्व सुनिश्चित होगा।