Sambhav-2025

दिवस- 87: भारत में हाथियों के संरक्षण में प्रोजेक्ट एलीफेंट के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। साथ ही, मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में इसकी प्रभावशीलता की समीक्षा कीजिये।

12 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | पर्यावरण

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण: 

  • प्रोजेक्ट एलीफेंट का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • हाथी संरक्षण पर इसके प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।
  • मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में इसकी प्रभावशीलता पर चर्चा कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष निकालिये।

परिचय: 

वर्ष 1992 में केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में शुरू की गई परियोजना हाथी का उद्देश्य हाथियों की आबादी की रक्षा करना, उनके आवासों को बहाल करना और मानव-हाथी संघर्ष (HEC) को कम करना है। भारत वैश्विक एशियाई हाथी आबादी का 60% हिस्सा है, जिससे संरक्षण प्रयास महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।

मुख्य भाग: 

संरक्षण पर प्रोजेक्ट एलिफेंट का प्रभाव: 

  • जनसंख्या रुझान
    • भारत की हाथियों की आबादी 25,000 (1992) से बढ़कर 30,000 (2021) हो गई है, जो एक स्थिर वृद्धि प्रवृत्ति का संकेत है।
    • कर्नाटक (6,049), असम (5,719) और केरल (5,706) की जनसंख्या सबसे अधिक है।
    • हाथियों को भारत के राष्ट्रीय विरासत पशु के रूप में मान्यता मिलने (2010) से संरक्षण प्रयासों को बल मिला है।
  • आवास संरक्षण और हाथी रिज़र्व
    • भारत ने 14 प्रमुख हाथी-धारक राज्यों में 33 हाथी रिज़र्व अधिसूचित किये हैं, जो लगभग 80,778 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं। 
    • उदाहरण:
      • दांडेली ई.आर. (कर्नाटक) - पश्चिमी घाट हाथी गलियारे का हिस्सा।
      • मयूरझरना ई.आर. (पश्चिम बंगाल) - भारत का पहला ई.आर. जो आवास पुनर्स्थापन पर केंद्रित है।
  • कॉरिडोर संरक्षण और कनेक्टिविटी
    • आवास संपर्कता सुनिश्चित करने के लिये 101 हाथी गलियारों की पहचान।
    • गज यात्रा (2017-2019): गलियारों की सुरक्षा के लिये 12 हाथी रेंज राज्यों में जागरूकता अभियान चलाया गया।
  • कानूनी और शिकार विरोधी उपाय
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के अंतर्गत हाथियों को सर्वोच्च कानूनी संरक्षण प्राप्त है
    • CITES के अंतर्गत हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (MIKE) कार्यक्रम (2003) अवैध शिकार के मामलों पर नज़र रखने में मदद करता है।
    • गश्त और खुफिया नेटवर्क के कारण अवैध शिकार में कमी आई है, हालाँकि अवैध बंदी अब भी एक समस्या बनी हुई है।

मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में प्रभावशीलता (HEC)

  • मानवीय हताहत: हाथियों से टकराव के कारण प्रतिवर्ष 500 से अधिक लोगों की मृत्यु होती है (2018-2023 डेटा)।
  • आवास विखंडन: तीव्र अवसंरचना विकास (रेलवे, राजमार्ग) से हाथियों के लिये मार्ग कम हो जाते हैं।
    • हाथियों की मृत्यु: प्रतिवर्ष 100 से अधिक हाथियों की मृत्यु मुख्यतः रेल दुर्घटनाओं, विद्युत-आघात और विष के कारण होती है।
    • उच्च HEC मामलों वाले राज्य: पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और झारखंड।
  • धीमी कार्यान्वयन: चिह्नित गलियारों में से आधे से भी कम कानूनी रूप से संरक्षित हैं।

मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की रणनीतियाँ

  • आवास पुनर्स्थापन:
    • लुप्त गलियारों को पुनः स्थापित करने के लिये हाथी अभ्यारण्यों और पुनर्वनीकरण कार्यक्रमों का विस्तार करना।
    • संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) नीति का कार्यान्वयन।
  • संघर्ष प्रबंधन के लिये उन्नत प्रौद्योगिकी:
    • गतिविधियों की भविष्यवाणी करने के लिये AI-आधारित निगरानी, उपग्रह ट्रैकिंग और जियो-फेंसिंग का उपयोग।
      • ओडिशा में AI आधारित निगरानी कैमरे मानव बस्तियों के निकट हाथियों पर नज़र रखते हैं।
    • ध्वनि अलार्म और ड्रोन जैसे स्वचालित निवारकों की तैनाती।
      • असम और तमिलनाडु में SMS आधारित अलर्ट ग्रामीणों को हाथियों की आवाजाही के बारे में चेतावनी देते हैं।
  • समुदाय-नेतृत्व संरक्षण:
    • सीधे संपर्क को सीमित करने के लिये सतत् कृषि तकनीकों और बफर ज़ोन के विस्तार को प्रोत्साहित करना।
    • शीघ्र हस्तक्षेप के लिये स्थानीय त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को मज़बूत बनाना।
      • हाथियों के आक्रमण को रोकने के लिये मधुमक्खी के छत्ते की बाड़ (कर्नाटक) तथा नींबू वर्गीय वृक्षों से जैविक बाड़ (तमिलनाडु) का उपयोग।
  • नीति एवं विधायी सुधार:
    • हाथियों के आवासों में भूमि उपयोग विनियमों का कठोर प्रवर्तन।
    • शहरी नियोजन और रेलवे परियोजनाओं में हाथी संरक्षण का एकीकरण।

निष्कर्ष:

यद्यपि प्रोजेक्ट एलीफेंट ने संरक्षण में महत्त्वपूर्ण सुधार किया है, फिर भी लगातार हो रहे मानव-हाथी संघर्षों के लिये दीर्घकालिक सह-अस्तित्व सुनिश्चित करने हेतु बहु-हितधारक सहयोग, उन्नत प्रौद्योगिकी और मज़बूत नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।