दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रोजेक्ट एलीफेंट का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- हाथी संरक्षण पर इसके प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।
- मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में इसकी प्रभावशीलता पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष निकालिये।
|
परिचय:
वर्ष 1992 में केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में शुरू की गई परियोजना हाथी का उद्देश्य हाथियों की आबादी की रक्षा करना, उनके आवासों को बहाल करना और मानव-हाथी संघर्ष (HEC) को कम करना है। भारत वैश्विक एशियाई हाथी आबादी का 60% हिस्सा है, जिससे संरक्षण प्रयास महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।
मुख्य भाग:
संरक्षण पर प्रोजेक्ट एलिफेंट का प्रभाव:
- जनसंख्या रुझान
- भारत की हाथियों की आबादी 25,000 (1992) से बढ़कर 30,000 (2021) हो गई है, जो एक स्थिर वृद्धि प्रवृत्ति का संकेत है।
- कर्नाटक (6,049), असम (5,719) और केरल (5,706) की जनसंख्या सबसे अधिक है।
- हाथियों को भारत के राष्ट्रीय विरासत पशु के रूप में मान्यता मिलने (2010) से संरक्षण प्रयासों को बल मिला है।
- आवास संरक्षण और हाथी रिज़र्व
- भारत ने 14 प्रमुख हाथी-धारक राज्यों में 33 हाथी रिज़र्व अधिसूचित किये हैं, जो लगभग 80,778 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं।
- उदाहरण:
- दांडेली ई.आर. (कर्नाटक) - पश्चिमी घाट हाथी गलियारे का हिस्सा।
- मयूरझरना ई.आर. (पश्चिम बंगाल) - भारत का पहला ई.आर. जो आवास पुनर्स्थापन पर केंद्रित है।
- कॉरिडोर संरक्षण और कनेक्टिविटी
- आवास संपर्कता सुनिश्चित करने के लिये 101 हाथी गलियारों की पहचान।
- गज यात्रा (2017-2019): गलियारों की सुरक्षा के लिये 12 हाथी रेंज राज्यों में जागरूकता अभियान चलाया गया।
- कानूनी और शिकार विरोधी उपाय
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के अंतर्गत हाथियों को सर्वोच्च कानूनी संरक्षण प्राप्त है।
- CITES के अंतर्गत हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (MIKE) कार्यक्रम (2003) अवैध शिकार के मामलों पर नज़र रखने में मदद करता है।
- गश्त और खुफिया नेटवर्क के कारण अवैध शिकार में कमी आई है, हालाँकि अवैध बंदी अब भी एक समस्या बनी हुई है।
मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में प्रभावशीलता (HEC)
- मानवीय हताहत: हाथियों से टकराव के कारण प्रतिवर्ष 500 से अधिक लोगों की मृत्यु होती है (2018-2023 डेटा)।
- आवास विखंडन: तीव्र अवसंरचना विकास (रेलवे, राजमार्ग) से हाथियों के लिये मार्ग कम हो जाते हैं।
- हाथियों की मृत्यु: प्रतिवर्ष 100 से अधिक हाथियों की मृत्यु मुख्यतः रेल दुर्घटनाओं, विद्युत-आघात और विष के कारण होती है।
- उच्च HEC मामलों वाले राज्य: पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और झारखंड।
- धीमी कार्यान्वयन: चिह्नित गलियारों में से आधे से भी कम कानूनी रूप से संरक्षित हैं।
मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की रणनीतियाँ
- आवास पुनर्स्थापन:
- लुप्त गलियारों को पुनः स्थापित करने के लिये हाथी अभ्यारण्यों और पुनर्वनीकरण कार्यक्रमों का विस्तार करना।
- संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) नीति का कार्यान्वयन।
- संघर्ष प्रबंधन के लिये उन्नत प्रौद्योगिकी:
- गतिविधियों की भविष्यवाणी करने के लिये AI-आधारित निगरानी, उपग्रह ट्रैकिंग और जियो-फेंसिंग का उपयोग।
- ओडिशा में AI आधारित निगरानी कैमरे मानव बस्तियों के निकट हाथियों पर नज़र रखते हैं।
- ध्वनि अलार्म और ड्रोन जैसे स्वचालित निवारकों की तैनाती।
- असम और तमिलनाडु में SMS आधारित अलर्ट ग्रामीणों को हाथियों की आवाजाही के बारे में चेतावनी देते हैं।
- समुदाय-नेतृत्व संरक्षण:
- सीधे संपर्क को सीमित करने के लिये सतत् कृषि तकनीकों और बफर ज़ोन के विस्तार को प्रोत्साहित करना।
- शीघ्र हस्तक्षेप के लिये स्थानीय त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को मज़बूत बनाना।
- हाथियों के आक्रमण को रोकने के लिये मधुमक्खी के छत्ते की बाड़ (कर्नाटक) तथा नींबू वर्गीय वृक्षों से जैविक बाड़ (तमिलनाडु) का उपयोग।
- नीति एवं विधायी सुधार:
- हाथियों के आवासों में भूमि उपयोग विनियमों का कठोर प्रवर्तन।
- शहरी नियोजन और रेलवे परियोजनाओं में हाथी संरक्षण का एकीकरण।
निष्कर्ष:
यद्यपि प्रोजेक्ट एलीफेंट ने संरक्षण में महत्त्वपूर्ण सुधार किया है, फिर भी लगातार हो रहे मानव-हाथी संघर्षों के लिये दीर्घकालिक सह-अस्तित्व सुनिश्चित करने हेतु बहु-हितधारक सहयोग, उन्नत प्रौद्योगिकी और मज़बूत नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।