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26 Feb 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस- 75: मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है और आर्थिक विकास के आकलन में इसकी क्या भूमिका है? साथ ही, इसे एक मीट्रिक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से कैसे तुलना किया जा सकता है? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- मानव विकास सूचकांक (HDI) को परिभाषित कीजिये तथा आर्थिक विकास को मापने में इसकी भूमिका बताइये।
- मीट्रिक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ HDI की तुलना कीजिये।
- विश्लेषण को पुष्ट करने के लिये प्रासंगिक उदाहरण, तथ्य और डाटा प्रदान कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
मानव विकास सूचकांक (HDI) वर्ष 1990 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा शुरू किया गया एक समग्र उपाय है, जिसका उद्देश्य केवल आय स्तर से परे आर्थिक विकास का आकलन करना है। यह मानव प्रगति का समग्र माप प्रदान करने के लिये तीन प्रमुख आयामों - स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मूल्यांकन करता है। जहाँ सकल घरेलू उत्पाद (GDP) केवल आर्थिक उत्पादन पर केंद्रित है, वहीं मानव विकास सूचकांक (HDI) देश की आबादी के जीवन स्तर, स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र कल्याण को दर्शाता है।
मुख्य भाग:
मानव विकास सूचकांक (HDI) और आर्थिक विकास में इसकी भूमिका:
- परिभाषा एवं घटक: मानव विकास सूचकांक की गणना चार प्रमुख संकेतकों का उपयोग करके की जाती है:
- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (स्वास्थ्य का सूचक)।
- स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष (शिक्षा के संकेतक)।
- प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) (पीपीपी$) (जीवन स्तर का संकेतक)।
- आर्थिक विकास में महत्त्व:
- समग्र माप: GDP के विपरीत, जो केवल आर्थिक प्रदर्शन को मापता है, HDI सामाजिक और आर्थिक प्रगति को दर्शाता है।
- नीति निर्णय-निर्माण: सरकारों को स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और आय वितरण में चिंता के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करता है।
- तुलनात्मक विकास विश्लेषण: समय के साथ प्रगति का आकलन करने के लिये अंतर-देशीय तुलना की सुविधा प्रदान करता है।
- असमानताओं को दर्शाता है: असमानता, गरीबी और बुनियादी सेवाओं तक पहुँच पर प्रकाश डालता है, जो सतत् विकास के लिये आवश्यक हैं।
- उदाहरण: नॉर्वे (वर्ष 2022 में रैंक 2) में उच्च जीवन प्रत्याशा (83 वर्ष) और मज़बूत शैक्षिक प्राप्ति है, जबकि भारत (वर्ष 2022 में रैंक 134), आर्थिक विकास के बावजूद, शिक्षा एवं स्वास्थ्य में चुनौतियों का सामना कर रहा है।
आर्थिक विकास के माप के रूप में HDI बनाम GDP:
पहलू
मानव विकास सूचकांक
सकल घरेलू उत्पाद
केंद्र
मानव विकास (स्वास्थ्य, शिक्षा, आय)
आर्थिक उत्पादन (कुल उत्पादन)
जीवन स्तर
प्रत्यक्ष रूप से कल्याण को दर्शाता है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और असमानता की अनदेखी
असमानता
असमानताओं के लिये समायोजित (IHDI)
आय वितरण को प्रतिबिंबित नहीं करता
पर्यावरणीय प्रभाव
ग्रहीय दबाव-समायोजित HDI को शामिल किया जा सकता है
स्थिरता की अनदेखी
उदाहरण
भारत की तुलना में कम GDP के बावजूद श्रीलंका का HDI रैंक (78) ऊँचा है
कतर में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद सबसे अधिक है, लेकिन मानव विकास अंतराल के कारण HDI कम है
मानव विकास सूचकांक के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू:
- सकारात्मकता:
- विकास के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
- लिंग असमानता सूचकांक (GII), असमानता-समायोजित HDI (IHDI) जैसे सूचकांकों के माध्यम से असमानताओं पर प्रकाश डाला गया।
- सतत् और समावेशी विकास नीतियों को बढ़ावा देता है।
- नकारात्मकता:
- राजनीतिक स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सामाजिक असमानताओं पर व्यापक रूप से विचार नहीं किया गया है।
- आर्थिक संकट (जैसे- कोविड-19) मानव विकास सूचकांक रैंकिंग को प्रभावित करते हैं, लेकिन यह अल्पकालिक नीति विफलताओं को पूर्णतः प्रतिबिंबित नहीं करता।
- शिक्षा और स्वास्थ्य के गुणात्मक पहलुओं की अनदेखी की जाती है।
अन्य मापदंडों की आवश्यकता:
- बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI):
- अकेले HDI और GDP गरीबी की जटिलता को पूरी तरह से नहीं दर्शाते, जिसके लिये MPI की आवश्यकता होती है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन स्तर को मापता है।
- प्रप्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के विपरीत, बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) पोषण, स्वच्छता और स्वच्छ जल जैसी बुनियादी आवश्यकताओं में कमी को मापता है।
- हरित GDP:
- पारंपरिक सकल घरेलू उत्पाद पर्यावरणीय क्षरण और स्थिरता की उपेक्षा करता है, जिसके परिणामस्वरूप संसाधनों का ह्रास होता है।
- ग्रीन GDP पर्यावरणीय क्षति और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की लागत को शामिल करके GDP को समायोजित करता है।
निष्कर्ष:
HDI और GDP दोनों ही विकास के महत्त्वपूर्ण संकेतक हैं, लेकिन वे अलग-अलग पहलुओं को मापते हैं। GDP आर्थिक गतिविधि को मापता है, जबकि HDI मानव कल्याण को दर्शाता है। आर्थिक विकास (GDP) को सामाजिक प्रगति (HDI) के साथ मिलाकर एक संतुलित दृष्टिकोण, सतत् और समावेशी विकास के लिये आवश्यक है। राष्ट्रों को समावेशी और सतत् विकास सुनिश्चित करने के लिये GDP के साथ-साथ HDI में वृद्धि पर भी ध्यान देना चाहिये।