दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- तापमान व्युत्क्रमण को परिभाषित कीजिये तथा संक्षेप में अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
- वायु प्रदूषण के स्तर पर इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिये।
- उपयुक्त उदाहरणों से स्पष्ट कीजिये।
- हानिकारक प्रभावों को कम करने के क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?
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परिचय:
तापमान व्युत्क्रमण एक मौसम संबंधी घटना है, जिसमें क्षोभमंडल में सामान्य तापमान प्रवणता विपरीत हो जाती है। इस प्रक्रिया में ऊँचाई बढ़ने पर तापमान घटने के बजाय, गर्म हवा की एक परत सतह पर मौजूद ठंडी हवा को रोक देती है, जिससे प्रदूषक तत्त्व नीचे फँस जाते हैं। यह स्थिति विशेष रूप से शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
मुख्य भाग:
तापमान व्युत्क्रमण के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ:
- शीत ऋतु की लंबी रातें: रात्रि के दौरान, स्थलीय विकिरण के कारण ज़मीन की सतह से निकलने वाली ऊष्मा की हानि, दिन में प्राप्त होने वाली सौर विकिरण की मात्रा से अधिक हो सकती है।
- बादल रहित एवं स्वच्छ आकाश: स्थलीय विकिरण के माध्यम से ऊष्मा का ह्रास बिना किसी रुकावट के अधिक तेज़ी से होता है।
- ज़मीन की सतह के निकट शुष्क हवा: यह पृथ्वी की सतह से विकिरणित ऊष्मा के अवशोषण को सीमित करती है।
- वायु की धीमी गति: इसके परिणामस्वरूप, वायुमंडल की निचली परतों में ऊष्मा का स्थानांतरण या मिश्रण नहीं हो पाता है।
- बर्फ से ढकी हुई ज़मीन की सतह: इसके परिणामस्वरूप, आने वाली सौर विकिरण के परावर्तन से गर्मी का अधिकतम ह्रास होता है।
तापमान व्युत्क्रमण वायु गुणवत्ता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालता है:
- प्रदूषकों को फँसाना: सामान्य वायुमंडलीय परिस्थितियों में, गर्म हवा ऊपर उठती है, जिससे प्रदूषक फैल जाते हैं। हालाँकि तापमान व्युत्क्रमण के दौरान, गर्म हवा की एक स्थिर परत आवरण की तरह कार्य करती है, जो ठंडी हवा और उसमें मौजूद प्रदूषकों को ऊपर उठने से रोकती है।
- व्युत्क्रम परत द्वारा बनाया गया आवरण प्रदूषकों के फैलाव को बाधित करता है, जिससे वे सतह के निकट एकत्र हो जाते हैं।
- प्रदूषण की बढ़ी हुई सांद्रता: कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें कणीय पदार्थों के साथ मिलकर वातावरण में एकत्र होती हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- वर्ष 2024 में, नई दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हुई थी, जहाँ वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 409 तक पहुँच गया था।
- धुंध का निर्माण: फँसे हुए प्रदूषक नमी के साथ मिलकर धुंध का रूप ले सकते हैं, जिससे दृश्यता कम हो सकती है और स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
- वर्ष 1952 का लंदन स्मॉग, जिसे "लंदन का महान स्मॉग" भी कहा जाता है, तापमान व्युत्क्रमण के परिणामस्वरूप हुई एक गंभीर पर्यावरणीय घटना थी।
मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव
- मानव स्वास्थ्य:
- संकेंद्रित प्रदूषकों के संपर्क में आने से श्वसन समस्याएँ, अस्थमा और हृदय रोगों जैसी गंभीर बिमारियों की समस्या बढ़ सकती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वायु प्रदूषण से हर वर्ष 7 मिलियन लोगों की मृत्यु होती हैं।
- पर्यावरण:
- दृश्यता कम होने से परिवहन और विमानन प्रभावित होता है।
- संचित प्रदूषकों के कारण अम्लीय वर्षा उत्पन्न हो सकती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को हानि पहुँच सकती है।
निष्कर्ष
इस समस्या से निपटने के लिये विभिन्न रणनीतियों का संयोजन आवश्यक है, जैसे- स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके उत्सर्जन को कम करना, मौसम की स्थिति का पर्यवेक्षण करना और वायु गुणवत्ता पर इसके प्रभाव को कम करने के लिये प्रभावी शहरी नियोजन लागू करना