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24 Feb 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दिवस- 73: भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंध गहरे तथा बहुआयामी हैं। हाल ही में बांग्लादेश में हुए राजनीतिक घटनाक्रमों का द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत-बांग्लादेश संबंधों के महत्त्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
- बांग्लादेश में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों का भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
- द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के उपाय सुझाइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंध बहुत मज़बूत हैं, जो वर्ष 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के बाद से विकसित हुए हैं। सहयोग व्यापार, सुरक्षा और संपर्क तक फैला हुआ है। नौकरी कोटा और शेख हसीना के इस्तीफे को लेकर हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों तथा उसके बाद भारत में शरण लेने की घटनाओं ने बांग्लादेश की स्थिरता और भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है।
मुख्य भाग:
भारत-बांग्लादेश संबंधों का महत्त्व:
- ऐतिहासिक संबंध:
- बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों की नींव वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में रखी गई थी।
- भारत ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता संग्राम में बांग्लादेश को महत्त्वपूर्ण सैन्य और भौतिक सहायता प्रदान की।
- आर्थिक संबंध:
- बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में बांग्लादेश ने भारत को 1.97 बिलियन अमेरीकी डॉलर का सामान निर्यात किया। वित्त वर्ष 2023-24 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 14.01 बिलियन अमेरीकी डॉलर बताया गया है।
- आधारभूत संरचना:
- भारत और बांग्लादेश वर्ष 2023 में अखौरा-अगरतला रेल लिंक का उद्घाटन करेंगे जो त्रिपुरा के माध्यम से बांग्लादेश एवं पूर्वोत्तर को जोड़ता है।
- मैत्री थर्मल पावर प्लांट (1320 मेगावाट), भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन तथा चटगाँव और मोंगला बंदरगाहों के माध्यम से कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ आर्थिक संबंधों को बढ़ाती हैं।
- रक्षा सहयोग:
- भारत और बांग्लादेश के बीच 4096.7 किमी. लंबी सीमा है; यह भारत एवं उसके किसी भी पड़ोसी देश के बीच सबसे लंबी स्थलीय सीमा है।
- भूमि सीमा समझौते (2015) जैसे समझौतों ने लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों को सुलझाया।
- दोनों देश संयुक्त अभ्यास भी करते हैं - सेना (अभ्यास सम्प्रीति) और नौसेना (अभ्यास बोंगो सागर)।
- सांस्कृतिक संपर्क:
- रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्होंने भारत और बांग्लादेश दोनों के राष्ट्रगान ("जन गण मन" और "आमार सोनार बांग्ला") लिखे, साहित्यिक बंधन के प्रतीक हैं।
- कोलकाता-ढाका मैत्री एक्सप्रेस जैसी पहल सांस्कृतिक और पारिवारिक यात्राओं को सुगम बनाते हुए सहज आवागमन की सुविधा प्रदान करती है।
हाल के राजनीतिक घटनाक्रम का प्रभाव
- राजनीतिक अस्थिरता और शासन संबंधी चुनौतियाँ:
- बांग्लादेश में नौकरी कोटा और आर्थिक संकट को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण गंभीर अशांति उत्पन्न हो गई है।
- भारत ने शेख हसीना के रूप में एक महत्त्वपूर्ण साझेदार खो दिया है, जिन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने और द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- BNP (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) जैसे विपक्षी दलों की भारत पर आलोचनात्मक रुख के कारण कूटनीतिक प्राथमिकताओं में संभावित बदलाव की संभावना बनी रहती है।
- आर्थिक एवं व्यापारिक व्यवधान:
- राजनीतिक अनिश्चितता के कारण भारत की निवेश परियोजनाओं में विलंब हो सकता है, जिसमें CEPA (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता) भी शामिल है, जिस पर चर्चा चल रही थी।
- अस्थिरता से बांग्लादेश में 9.5 बिलियन डॉलर मूल्य के भारतीय निवेश, विशेषकर ऊर्जा और बुनियादी ढाँचे में, प्रभावित हो सकते हैं।
- सुरक्षा एवं सीमा संबंधी चिंताएँ:
- बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अवैध प्रवास की आशंका को बढ़ा सकती है।
- बढ़ती भारत विरोधी भावनाएँ सुरक्षा सहयोग को प्रभावित कर सकती हैं, विशेषकर पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा सीमा पर।
- भू-राजनीतिक बदलाव और चीन का बढ़ता प्रभाव:
- चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022 में 24 बिलियन डॉलर होगा।
- बांग्लादेश चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) में शामिल हो गया है तथा उसे पद्मा ब्रिज रेल लिंक (3.3 बिलियन डॉलर) और ढाका हवाई अड्डा विस्तार (1.2 बिलियन डॉलर) जैसी परियोजनाओं के लिये ऋण प्राप्त हुआ है।
- राजनीतिक अस्थिरता बांग्लादेश की विदेश नीति में चीन के प्रभाव को बढ़ा सकती है, जिससे क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के उपाय
- तटस्थ राजनयिक जुड़ाव:
- भारत को सभी राजनीतिक गुटों के साथ बातचीत करनी चाहिये तथा हस्तक्षेप के आरोपों से बचने के लिये तटस्थता सुनिश्चित करनी चाहिये।
- बांग्लादेश के नेतृत्व के साथ संसदीय और कूटनीतिक वार्ता को मज़बूत करना।
- आर्थिक सहयोग बढ़ाना:
- शुल्क मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और टैरिफ बाधाओं को कम करने के लिये CEPA वार्ता में तेज़ी लाना।
- IT, फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश का विस्तार करना।
- सुरक्षा और सीमा प्रबंधन:
- सीमा निगरानी को मज़बूत करना तथा BSF (सीमा सुरक्षा बल) और BGB (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के बीच समन्वय बढ़ाना।
- अवैध प्रवासन और मानवीय संकटों को रोकने के लिये रोहिंग्या शरणार्थियों की चिंताओं का समाधान करना।
- जल-बँटवारे संबंधी विवादों का समाधान:
- तीस्ता नदी समझौते को अंतिम रूप देने से उत्तर बंगाल और बांग्लादेश के लाखों किसानों को लाभ होगा।
- नदी बेसिन प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण पर सहयोग को मज़बूत करना।
- लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करना:
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान, छात्रवृत्ति और पर्यटन का विस्तार, क्योंकि वर्ष 2023 में 2.3 मिलियन बांग्लादेशी चिकित्सा एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिये भारत आएंगे।
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी और डिजिटल कनेक्टिविटी में सहयोग को प्रोत्साहित करना।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश का राजनीतिक संकट भारत के लिये अवसरों और चुनौतियों दोनों को जन्म देता है। जहाँ अस्थिरता व्यापार, सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को प्रभावित कर सकती है, वहीं सक्रिय कूटनीतिक प्रयास, आर्थिक निवेश एवं सुरक्षा साझेदारी स्थिरता को मज़बूत कर सकते हैं। भारत को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिये, यह सुनिश्चित करते हुए कि बांग्लादेश एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार बना रहे, जो क्षेत्रीय शांति और समृद्धि में योगदान दे।